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मिर्जापुर के हलिया ब्लॉक में चल रहा मनरेगा में घोटाला, RCC की जगह लगाया जा रहा पटिये का साइन बोर्ड - मिर्जापुर का समाचार

मिर्जापुर के हलिया ब्लॉक में साल 2007 से 2010 के बीच कराए गए मनरेगा कार्यों के करोड़ों रुपये के घोटोले की सीबीआई जांच भी पुरी नहीं हो पाई थी. अब साल 2021 में कराए जा रहे मनरेगा कार्यों में भी घोटोले की बात सामने आ रही है.

RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड
RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड
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Published : Aug 28, 2021, 2:14 AM IST

मिर्जापुरः जिले के हलिया ब्लॉक में मनरेगा के तहत लगाए जा रहे साइन बोर्ड मानक के मुताबिक नहीं लगाये जा रहे हैं. आरसीसी की जगह पटिये का इस्तेमाल किया जा रहा है. पटिया का दाम महज 5 सौ रुपये है. अधिकारी आरसीसी के दाम लगाकर तीन से पांच हजार रुपये निकाल ले रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम के कैमरे में जब साइन बोर्ड कैद होने लगे तो ब्लॉक में हड़कंप मच गया. फौरन साइन बोर्ड हटा लिये गए. डीएम ने मामले में संज्ञान लेकर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.

RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड

मिर्जापुर के हलिया ब्लॉक में साल 2007 से 2010 के बीच में कराए गए मनरेगा के कार्यों में हुए करोड़ों के घोटाले की खबर पूरे देश में चर्चा का विषय बना था, ब्लॉक को पूरा देश जान गया था. मनरेगा कार्यों की जांच सीबीआई टीम कई बार आकर फाइलें खंगाल कर चली जा रही है अभी जांच पूरी नहीं हुई है. इस बीच मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों के लिए लगाए जा रहे साइन बोर्ड मानक के अनुसार नहीं लगाए जा रहे हैं. सरकार के विपरीत काम कराया जा रहा है. साइन बोर्ड आरसीसी की होनी चाहिए. लेकिन उसके जगह पूरे विकासखंड में पटिया लगाया जा रहा है. पटिया का दाम महक 500 बताया जा रहा है. जबकि आरसीसी के दाम के बराबर यानी 3 से 5 हजार रुपए प्रति साइन बोर्ड पैसा निकाल लिया जा रहा है. कई जगह एक काम के लिए दो साइन बोर्ड का पैसा निकाला गया है. कई जगह तो काम कहीं हुआ है और साइन बोर्ड कहीं और लगा दिया गया है.

RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड

जिले का सबसे पिछड़ा ब्लॉक हलिया

मिर्जापुर शहर से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित जिले का सबसे पिछड़े हलिया ब्लॉक में मनरेगा में घोटाला जारी है. 136 साइन बोर्ड का भुगतान कर दिया गया है. इस सत्र में लगभग 2000 साइन बोर्ड लगाने का लक्ष्य रखा गया है. एक साइन बोर्ड की कीमत 3000 से लेकर 5000 सरकारी खर्च में दिखाया जा रहा है. जबकि पटिया महज 500 की है.

मनरेगा में घोटाला
मनरेगा में घोटाला

स्वयं सहायता समूह बना रही है साइन बोर्ड

उज्जवला आजीविका महिला सेवा सहायता समूह भटवारी पुराना एक समूह है. ब्लॉक के अधिकारियों ने अपने फायदे के लिए समूह का नया टीन नंबर रजिस्ट्रेशन करा कर कानपुर से अपने चहेतों को बुलाकर काम कराया जा रहा है. स्वयं सहायता समूह के महिलाओं की सहायता कर रहे मानिक चंद ने बताया कि पत्थर अहरौरा से मंगाया जा रहा है. यहां पर पेंटिंग कराकर ग्राम पंचायतों में भेजा जा रहा है मगर हमें रेट नहीं पता है कितने का आ रहा है और कितने का जा रहा है. कुल मिलाकर 400 पटिया यहां से जा चुका है, 400 पटिया यहां पर अभी रखा है, आगे अभी और जाएगा.

मनरेगा में घोटाला
मनरेगा में घोटाला

कानपुर से आकर शख्स पटिया का करा रहा है डेंटिंग पेंटिंग

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कोई कारखाना नहीं है, न ही निजी कारखाना कही भी स्थित है. ब्लॉक के अधिकारियों के सांठगांठ की सहायता से समूह का चयन कर टिन नंबर दिला कर कानपुर से व्यक्ति बुलाकर काम करवा रहे हैं. सहायता समूह कि महिलाओं का काम कानपुर से आकर पुष्पेंद्र करा रहा है. पुष्पेंद्र का कहना है कि मुझे बुलाया गया है. पुष्पेंद्र सहायता समूह की महिलाओं का नाम ले रहे हैं, जबकि पुष्पेंद्र को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के पूरा डिटेल भी नहीं पता है. पुष्पेंद्र का कहना है कि मुझे बुलाया गया है इसलिए मैं काम करवा रहा हूं.

किसान का दर्द

मनरेगा के तहत कराए जा रहे हैं कार्यों के लेखा-जोखा के लिए साइन बोर्ड लगाया जा रहा है. बरी गांव के किसान शिवराम के खेत में भी पटिया का साइन बोर्ड लगाया गया है. उनके बगल में देशबंधु किसान के खेत में साइन बोर्ड लगाया गया है. किसान शिवराम के खेत के समतलीकरण के नाम पर लगभग दो लाख, इतने ही रुपए से देशबंधु के खेत का भी समतलीकरण कराया गया है. जिसका साइन बोर्ड लगाया गया है. किसान शिवराम बताते हैं कि साहब समतलीकरण कहीं और किया गया है, वो भी नाममात्र का और साइन बोर्ड मेरे खेत में यहां पर लगा दिया गया है. साहब आप को सब पता है क्या होता है हम बोलेंगे तो हमें लोग मारेंगे.

साइन बोर्ड लगने की गाइडलाइन

मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में लगाए जाने वाले साइन बोर्ड की गाइडलाइन बताया जाता है मिट्टी, बालू, सीमेंट से बने स्लैब में चार खड़ी और पांच बेड़े सरिया का बनाया जाना चाहिए. 500-600 ईंट की बनी साइन बोर्ड के वर्क पर मौजूद होनी चाहिए. मनरेगा के साइन बोर्ड को दो तरह से गाइडलाइन के अनुसार लगाए जाने का प्रावधान है. पहला व्यक्तिगत वर्क में 3×3 फीट को 2•50 इंच मोटे में. दूसरा सार्वजनिक वर्क में 3× 4 फीट को 2• 50 इंच मोटे में होना चाहिए. यह दोनों न लगाकर सीधे पटिया लगाया जा रहा है.

डीएम ने कहा दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई

मनरेगा के तहत लगाए जा रहे साइन बोर्ड कि मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मामला संज्ञान में आया है. बताया जा रहा है कार्यों का जो शीला पट्ट लगाया जाता है वह आरसीसी की जगह पटिया का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए उपजिलाधिकारी लालगंज अमित शुक्ला को जांच दिया गया है. जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

मिर्जापुरः जिले के हलिया ब्लॉक में मनरेगा के तहत लगाए जा रहे साइन बोर्ड मानक के मुताबिक नहीं लगाये जा रहे हैं. आरसीसी की जगह पटिये का इस्तेमाल किया जा रहा है. पटिया का दाम महज 5 सौ रुपये है. अधिकारी आरसीसी के दाम लगाकर तीन से पांच हजार रुपये निकाल ले रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम के कैमरे में जब साइन बोर्ड कैद होने लगे तो ब्लॉक में हड़कंप मच गया. फौरन साइन बोर्ड हटा लिये गए. डीएम ने मामले में संज्ञान लेकर जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.

RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड

मिर्जापुर के हलिया ब्लॉक में साल 2007 से 2010 के बीच में कराए गए मनरेगा के कार्यों में हुए करोड़ों के घोटाले की खबर पूरे देश में चर्चा का विषय बना था, ब्लॉक को पूरा देश जान गया था. मनरेगा कार्यों की जांच सीबीआई टीम कई बार आकर फाइलें खंगाल कर चली जा रही है अभी जांच पूरी नहीं हुई है. इस बीच मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों के लिए लगाए जा रहे साइन बोर्ड मानक के अनुसार नहीं लगाए जा रहे हैं. सरकार के विपरीत काम कराया जा रहा है. साइन बोर्ड आरसीसी की होनी चाहिए. लेकिन उसके जगह पूरे विकासखंड में पटिया लगाया जा रहा है. पटिया का दाम महक 500 बताया जा रहा है. जबकि आरसीसी के दाम के बराबर यानी 3 से 5 हजार रुपए प्रति साइन बोर्ड पैसा निकाल लिया जा रहा है. कई जगह एक काम के लिए दो साइन बोर्ड का पैसा निकाला गया है. कई जगह तो काम कहीं हुआ है और साइन बोर्ड कहीं और लगा दिया गया है.

RCC की जगह पटिये का साइन बोर्ड

जिले का सबसे पिछड़ा ब्लॉक हलिया

मिर्जापुर शहर से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित जिले का सबसे पिछड़े हलिया ब्लॉक में मनरेगा में घोटाला जारी है. 136 साइन बोर्ड का भुगतान कर दिया गया है. इस सत्र में लगभग 2000 साइन बोर्ड लगाने का लक्ष्य रखा गया है. एक साइन बोर्ड की कीमत 3000 से लेकर 5000 सरकारी खर्च में दिखाया जा रहा है. जबकि पटिया महज 500 की है.

मनरेगा में घोटाला
मनरेगा में घोटाला

स्वयं सहायता समूह बना रही है साइन बोर्ड

उज्जवला आजीविका महिला सेवा सहायता समूह भटवारी पुराना एक समूह है. ब्लॉक के अधिकारियों ने अपने फायदे के लिए समूह का नया टीन नंबर रजिस्ट्रेशन करा कर कानपुर से अपने चहेतों को बुलाकर काम कराया जा रहा है. स्वयं सहायता समूह के महिलाओं की सहायता कर रहे मानिक चंद ने बताया कि पत्थर अहरौरा से मंगाया जा रहा है. यहां पर पेंटिंग कराकर ग्राम पंचायतों में भेजा जा रहा है मगर हमें रेट नहीं पता है कितने का आ रहा है और कितने का जा रहा है. कुल मिलाकर 400 पटिया यहां से जा चुका है, 400 पटिया यहां पर अभी रखा है, आगे अभी और जाएगा.

मनरेगा में घोटाला
मनरेगा में घोटाला

कानपुर से आकर शख्स पटिया का करा रहा है डेंटिंग पेंटिंग

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कोई कारखाना नहीं है, न ही निजी कारखाना कही भी स्थित है. ब्लॉक के अधिकारियों के सांठगांठ की सहायता से समूह का चयन कर टिन नंबर दिला कर कानपुर से व्यक्ति बुलाकर काम करवा रहे हैं. सहायता समूह कि महिलाओं का काम कानपुर से आकर पुष्पेंद्र करा रहा है. पुष्पेंद्र का कहना है कि मुझे बुलाया गया है. पुष्पेंद्र सहायता समूह की महिलाओं का नाम ले रहे हैं, जबकि पुष्पेंद्र को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के पूरा डिटेल भी नहीं पता है. पुष्पेंद्र का कहना है कि मुझे बुलाया गया है इसलिए मैं काम करवा रहा हूं.

किसान का दर्द

मनरेगा के तहत कराए जा रहे हैं कार्यों के लेखा-जोखा के लिए साइन बोर्ड लगाया जा रहा है. बरी गांव के किसान शिवराम के खेत में भी पटिया का साइन बोर्ड लगाया गया है. उनके बगल में देशबंधु किसान के खेत में साइन बोर्ड लगाया गया है. किसान शिवराम के खेत के समतलीकरण के नाम पर लगभग दो लाख, इतने ही रुपए से देशबंधु के खेत का भी समतलीकरण कराया गया है. जिसका साइन बोर्ड लगाया गया है. किसान शिवराम बताते हैं कि साहब समतलीकरण कहीं और किया गया है, वो भी नाममात्र का और साइन बोर्ड मेरे खेत में यहां पर लगा दिया गया है. साहब आप को सब पता है क्या होता है हम बोलेंगे तो हमें लोग मारेंगे.

साइन बोर्ड लगने की गाइडलाइन

मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में लगाए जाने वाले साइन बोर्ड की गाइडलाइन बताया जाता है मिट्टी, बालू, सीमेंट से बने स्लैब में चार खड़ी और पांच बेड़े सरिया का बनाया जाना चाहिए. 500-600 ईंट की बनी साइन बोर्ड के वर्क पर मौजूद होनी चाहिए. मनरेगा के साइन बोर्ड को दो तरह से गाइडलाइन के अनुसार लगाए जाने का प्रावधान है. पहला व्यक्तिगत वर्क में 3×3 फीट को 2•50 इंच मोटे में. दूसरा सार्वजनिक वर्क में 3× 4 फीट को 2• 50 इंच मोटे में होना चाहिए. यह दोनों न लगाकर सीधे पटिया लगाया जा रहा है.

डीएम ने कहा दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई

मनरेगा के तहत लगाए जा रहे साइन बोर्ड कि मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि मामला संज्ञान में आया है. बताया जा रहा है कार्यों का जो शीला पट्ट लगाया जाता है वह आरसीसी की जगह पटिया का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए उपजिलाधिकारी लालगंज अमित शुक्ला को जांच दिया गया है. जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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