मिर्जापुर: विंध्याचल में इस बार नवरात्रि मेले में श्रद्धालुओं को कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर दर्शन करने के लिए ऊंची सीढ़ियां नहीं चढ़ना पड़ रहा है, क्योंकि पूर्वांचल के पहले रोप-वे का संचालन शारदीय नवरात्रि से शुरू हो गया है. यानि इस नवरात्रि में श्रद्धालु रोप-वे से सफर तय कर बेहद कम समय में कालीखोह स्थित काली माता और अष्टभुजा स्थिति अष्ठभुजा माता का दर्शन का लाभ ले रहे हैं.
आस्था का केंद्र मां विंध्यवासिनी के दरबार में पहली बार इस नवरात्रि में श्रद्धालुओं को रोप-वे से जाने को मिल रहा है. पहले मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद त्रिकोण मार्ग पर स्थित मां काली, मां अष्टभुजा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को ऊंची-ऊंची सीढ़ियों से पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता था, लेकिन पूर्वांचल के पहले रोप-वे तैयार हो जाने के बाद श्रद्धालुओं के लिए दर्शन पूजन आसान हो गया है. नवरात्रि में रोप-वे की सवारी कर श्रद्धालु विंध्य पर्वत का अद्भुत नजारा निहार रहे हैं. प्लांट इंचार्ज के मुताबिक भक्त सीढ़ियों की अपेक्षा रोप वे का सफर ज्यादा कर रहे हैं.
समाजवादी पार्टी की सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने श्रद्धालुओं की मांग पर रोप-वे का निर्माण पीपीपी मॉडल पर अपने कार्यकाल में ही शुरू कर दिया था. 16 करोड़ की लागत से बन रहे रोप-वे का लंबे इंतजार के बाद अगस्त माह में गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया था. तब जाकर श्रद्धालुओं के लिए उड़ान भरने का मौका मिला. यह रोप-वे उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का पहला रोप-वे है. विंध्याचल धाम में आए खासकर बुजुर्गों के लिए काली माता और अष्टभुजा माता का दर्शन करने के लिए वरदान साबित होगा.
बेहद कम पैसे में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद
नवरात्रि मेले में विंध्याचल धाम में हर दिन लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद कालिखोह और अष्ठभुजा मंदिर पहुंचने पर सीढ़ियों के बजाए रोप-वे की सवारी कर पहाड़ पर जा रहे हैं. कालीखोह रोप-वे प्लांट इंचार्ज संजय सिंह के मुताबिक, श्रद्धालु बहुत कम ही सीढ़ियों से पहाड़ पर जा रहे हैं. ज्यादातर लोग रोप-वे सवारी कर रहे हैं. कम पैसे में कालीखोह से अष्टभुजा, अष्टभुजा से कालीखोह आसानी से श्रद्धालु आ जा रहे हैं. कालिखोह मंदिर से ऊपर पहाड़ पर जाने के लिए दोनों तरफ का 40 रुपये. एक तरफ का 25 रुपये देकर श्रद्धालु यात्रा कर रहे हैं.
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