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मिर्जापुर में पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने दीपावली पर मनाया शोक, नहीं जलाए दीये, जानिए वजह

आपको जानकर हैरानी होगी कि मिर्जापुर में एक ऐसा गांव है जहां के ग्रामीण दीवाली नहीं मनाते हैं. इस बार भी गांव में दीवाली नहीं मनाई गई. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है चलिए आगे जानते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 13, 2023, 9:58 AM IST

मिर्जापुर में पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने नहीं मनाई दीवाली.

मिर्जापुर: इस बार भी दीपावली के दिन जिले के करीब 10 गांवों में शोक मनाया गया. यहां रहने वाले चौहान बिरादरी के लोगों ने न तो दीये जलाए और न ही दीवाली मनाई. गांवों में सन्नाटा पसरा रहा. चौहान बिरादरी के लोग पृथ्वीराज चौहान के वशंज हैं. ये सभी परिवार अब एकादशी को दीया जलाकर दीपोत्सव मनाएंगे.

दरअसल, मिर्जापुर की मड़िहान तहसील के अटारी और आसपास के करीब 10 गांवों में चौहान समुदाय के लोग रहते हैं. इनका दावा है कि ये सभी पृथ्वीराज चौहान के वशंज हैं. इनका मानना है कि दीपावली के दिन ही मोहम्मद गोरी ने धोखे से पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी थी. चूंकि वे उनके वंशज है इसलिए वह दीपावली का त्योहार नहीं मनाते हैं. उस दिन वह शोक मनाते हैं. उन्होंने बताया कि दीवाली के बाद एकादशी के दिन वे घरों में दीया जलाते हैं. 12 नवंबर को भी दीवाली के मौके पर करीब दस गांवों में रहने वाली चौहान बिरादरी के घरों पर शोक मनाया गया.

बता दें कि चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने 12 वीं सदी में उत्तर भारत में अजमेर और दिल्ली पर राज किया था. 1192 में हुई तराइन की दूसरी लड़ाई में मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज को हराकर मार डाला था. तभी से मिर्जापुर जनपद के मड़िहान तहसील के राजगढ़ ब्लॉक के आसपास के गांवों में बसे उनके वशंज दीपावली नहीं मनाते हैं. इस बार भी इस बिरादरी ने दीपावली नहीं मनाई.


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मिर्जापुर में पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने नहीं मनाई दीवाली.

मिर्जापुर: इस बार भी दीपावली के दिन जिले के करीब 10 गांवों में शोक मनाया गया. यहां रहने वाले चौहान बिरादरी के लोगों ने न तो दीये जलाए और न ही दीवाली मनाई. गांवों में सन्नाटा पसरा रहा. चौहान बिरादरी के लोग पृथ्वीराज चौहान के वशंज हैं. ये सभी परिवार अब एकादशी को दीया जलाकर दीपोत्सव मनाएंगे.

दरअसल, मिर्जापुर की मड़िहान तहसील के अटारी और आसपास के करीब 10 गांवों में चौहान समुदाय के लोग रहते हैं. इनका दावा है कि ये सभी पृथ्वीराज चौहान के वशंज हैं. इनका मानना है कि दीपावली के दिन ही मोहम्मद गोरी ने धोखे से पृथ्वीराज चौहान की हत्या कर दी थी. चूंकि वे उनके वंशज है इसलिए वह दीपावली का त्योहार नहीं मनाते हैं. उस दिन वह शोक मनाते हैं. उन्होंने बताया कि दीवाली के बाद एकादशी के दिन वे घरों में दीया जलाते हैं. 12 नवंबर को भी दीवाली के मौके पर करीब दस गांवों में रहने वाली चौहान बिरादरी के घरों पर शोक मनाया गया.

बता दें कि चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने 12 वीं सदी में उत्तर भारत में अजमेर और दिल्ली पर राज किया था. 1192 में हुई तराइन की दूसरी लड़ाई में मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज को हराकर मार डाला था. तभी से मिर्जापुर जनपद के मड़िहान तहसील के राजगढ़ ब्लॉक के आसपास के गांवों में बसे उनके वशंज दीपावली नहीं मनाते हैं. इस बार भी इस बिरादरी ने दीपावली नहीं मनाई.


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