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मिर्जापुर की महिलाओं की छलका दर्द, कहा- पानी के लिए लगानी पड़ती कोसों की दौड़

यूपी के मिर्जापुर जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां आज भी लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. कई गांवों में पानी की समस्या से ग्रामीणों का बुरा हाल है. महिलाओं का कहना है कि जब से शादी हुई है तब से वे केवल पानी ही लाने का काम करती हैं.

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पानी की समस्या
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Published : May 3, 2023, 8:12 PM IST

Updated : May 3, 2023, 8:18 PM IST

शादी होने के बाद 10 साल से केवल पानी लाने का काम करती हूं..

मिर्जापुर: सरकार जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव-गांव में करोड़ों की लागत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने का काम कर रही है, ताकि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ और शुद्ध पानी मिल सके. लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से आज भी मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेहरा ब्लॉक के कई गांव में पानी की समस्या से ग्रामीणों का बुरा हाल है. सुबह होने पर महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं. महिलाओं का पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. महिलाओं का कहना है कि जब से शादी हुई है तब से केवल पानी ही लाने का काम करती हूं. वहीं, इस मामले में खंड विकास अधिकारी कहना है कि जहां पर पानी की समस्या है वहां पर टैंकर की व्यवस्था की गई है. पानी की समस्या के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. जब इस समस्या की जानकारी जिला अधिकारी को दी गई तो जिलाधिकारी बात करने से बचती नजर आई.

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डिब्बों में पानी भरते हुए ग्रामीण

सुबह होते ही पानी लेने निकल जाती हैं महिलाएं
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेरा ब्लॉक के गांव में शासन की योजना के तहत लाखों रुपये तो विकास कार्य के नाम पर आते हैं, लेकिन हकीकत में उसका कितना फायदा ग्रामीणों को मिल रहा है, इसकी वानगी इन गांव में देखने को मिल रही है. यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के भी लाले पड़े हुए है. सुबह होते ही महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं और उनका पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. पानी की समस्या देखते हुए लोग पशु भी नहीं पालते हैं. दीपनगर, पटेहरा कला, मलुआ, कन्हईपुर, रजौहा, शीतलगढ़ पटेहरा, बहरछठ समेत कई गांव पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग सुबह होते ही पानी के लिए लाइन में लग जाते हैं. गांव की महिलाएं बच्चों के साथ ठेले के माध्यम से और अपने सिर पर बाल्टी व डिब्बे रखकर गांव के बोरिंग से पानी लेकर घर पहुंचती हैं. वहीं, जिस दिन बिजली नहीं आई तो उस दिन और ज्यादा समस्या हो जाती है.

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सिर पानी रखकर ले जाती हुए ग्रामीण

900 लोग पानी की समस्या से परेशान
पटेरा चौकी के पास बहरछठ गांव की रहने वाली अंजनी ने बताया कि 'जब से शादी हुई है 10 साल से केवल पानी लाने का काम करती हूं. पटेहरा की रहने वाली महिला चिरंजीवी ने कहा कि जिनके पास बोर है वह भी पानी नहीं लेने देते हैं. वे भगा देते हैं. खाना तो है मगर पानी नहीं है. सुबह से ही बिना खाए पानी के लिए निकलती हूं. पानी लाने के बाद खाने की व्यवस्था करती हूं. रीना ने बताया कि परिवार वाले बाहर कमाने चले गए हैं. हम लोग केवल पानी भरने का काम करते हैं. जिसके यहां जाते हैं वह भी नहीं लेने देते. बोलते हैं अपना बोर करा लो. पटेहरा कला कोलबस्ती के रहने वाले रविशंकर ने बताया कि एक किलोमीटर से पानी लाने का हम ग्रामीण काम करते हैं. इंसानों का तो काम चल जा रहा है, लेकिन पशुओं का नहीं चल पा रहा है. यहां पर 900 लोग पानी को लेकर लगभग परेशान हैं'.

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पानी इंतजार में बैठी हुईं महिलाएं और बच्चे

2024 तक पूरा होगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट
सोनभद्र व मिर्जापुर में पाइप लाइन योजना का शिलान्यास नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. जल निगम के अधिशासी अभियंता अजेंद्र कुमार ने बताया कि 1832 करोड़ से मिर्जापुर में 743 राजस्व गांवों को लाभ मिलना और 21 लाख 87 हजार ग्रामीणों को फायदा होगा. मिर्जापुर में नौ स्थानों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने की योजना है, जो चल रहा है. कई गांवों में कनेक्शन हो गया है. 80 प्रतिशत तक काम पूरा हो गया है 2024 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा.

नलों से पानी निकलना हुआ बंद
मिर्जापुर के राजगढ़, हलिया, लालगंज, पटेहरा, सीखड़ ब्लॉक के सैकड़ों गांव में वॉटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से नलों से पानी निकलना गर्मी में बंद हो गया है. कुएं, तलाब सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं, जिसके चलते इंसानो के साथ पशु-पक्षियों तक को समस्या हो रही. पटेहरा ग्राम सभा के कई गांव की खबर बनाने के बाद ईटीवी भारत ने जब फोन पर खंड विकास अधिकारी पटेहरा शैलेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि जहां भी पानी की समस्या है हर गांव में एक टैंकर लगाया गया है, जो पानी पहुंचाने का काम करता है. क्रिटीकल गांव में आवश्यकता पड़ने पर दूसरा टैंकर भी भेजा जाता है.

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ठेले से पानी ढोती हुई महिला

पानी की समस्या के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. शिकायत मिलने पर तत्काल पानी की व्यवस्था की जाती है. पानी की समस्या से जल्द और निजात मिलेगी. ब्लॉक के अंतर्गत 12 बोरिंग हो चुके हैं. टंकियां लगाई जा चुकी हैं. वहीं, जब इस मामले की जानकारी लेने ईटीवी भारत की टीम जिलाधिकारी दिव्या मित्तल से उनके कार्यालय पहुंची तो वह जवाब देने से बचती नजर आईं. उन्होंने कहा कि 'पहले मैं विजिट करूंगी इसके बाद बात करूंगी'.

पढ़ेंः बांदा : पानी की समस्या को लेकर महिलाओं ने की नारेबाजी, अधिकारी को दी चूड़ियां

शादी होने के बाद 10 साल से केवल पानी लाने का काम करती हूं..

मिर्जापुर: सरकार जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव-गांव में करोड़ों की लागत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने का काम कर रही है, ताकि लोगों को पीने के लिए स्वच्छ और शुद्ध पानी मिल सके. लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से आज भी मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेहरा ब्लॉक के कई गांव में पानी की समस्या से ग्रामीणों का बुरा हाल है. सुबह होने पर महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं. महिलाओं का पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. महिलाओं का कहना है कि जब से शादी हुई है तब से केवल पानी ही लाने का काम करती हूं. वहीं, इस मामले में खंड विकास अधिकारी कहना है कि जहां पर पानी की समस्या है वहां पर टैंकर की व्यवस्था की गई है. पानी की समस्या के लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. जब इस समस्या की जानकारी जिला अधिकारी को दी गई तो जिलाधिकारी बात करने से बचती नजर आई.

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डिब्बों में पानी भरते हुए ग्रामीण

सुबह होते ही पानी लेने निकल जाती हैं महिलाएं
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित तहसील मड़िहान के पटेरा ब्लॉक के गांव में शासन की योजना के तहत लाखों रुपये तो विकास कार्य के नाम पर आते हैं, लेकिन हकीकत में उसका कितना फायदा ग्रामीणों को मिल रहा है, इसकी वानगी इन गांव में देखने को मिल रही है. यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के भी लाले पड़े हुए है. सुबह होते ही महिलाएं पानी के लिए निकल लेती हैं और उनका पूरा दिन पानी लाने में ही चला जाता है. पानी की समस्या देखते हुए लोग पशु भी नहीं पालते हैं. दीपनगर, पटेहरा कला, मलुआ, कन्हईपुर, रजौहा, शीतलगढ़ पटेहरा, बहरछठ समेत कई गांव पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग सुबह होते ही पानी के लिए लाइन में लग जाते हैं. गांव की महिलाएं बच्चों के साथ ठेले के माध्यम से और अपने सिर पर बाल्टी व डिब्बे रखकर गांव के बोरिंग से पानी लेकर घर पहुंचती हैं. वहीं, जिस दिन बिजली नहीं आई तो उस दिन और ज्यादा समस्या हो जाती है.

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सिर पानी रखकर ले जाती हुए ग्रामीण

900 लोग पानी की समस्या से परेशान
पटेरा चौकी के पास बहरछठ गांव की रहने वाली अंजनी ने बताया कि 'जब से शादी हुई है 10 साल से केवल पानी लाने का काम करती हूं. पटेहरा की रहने वाली महिला चिरंजीवी ने कहा कि जिनके पास बोर है वह भी पानी नहीं लेने देते हैं. वे भगा देते हैं. खाना तो है मगर पानी नहीं है. सुबह से ही बिना खाए पानी के लिए निकलती हूं. पानी लाने के बाद खाने की व्यवस्था करती हूं. रीना ने बताया कि परिवार वाले बाहर कमाने चले गए हैं. हम लोग केवल पानी भरने का काम करते हैं. जिसके यहां जाते हैं वह भी नहीं लेने देते. बोलते हैं अपना बोर करा लो. पटेहरा कला कोलबस्ती के रहने वाले रविशंकर ने बताया कि एक किलोमीटर से पानी लाने का हम ग्रामीण काम करते हैं. इंसानों का तो काम चल जा रहा है, लेकिन पशुओं का नहीं चल पा रहा है. यहां पर 900 लोग पानी को लेकर लगभग परेशान हैं'.

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पानी इंतजार में बैठी हुईं महिलाएं और बच्चे

2024 तक पूरा होगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट
सोनभद्र व मिर्जापुर में पाइप लाइन योजना का शिलान्यास नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. जल निगम के अधिशासी अभियंता अजेंद्र कुमार ने बताया कि 1832 करोड़ से मिर्जापुर में 743 राजस्व गांवों को लाभ मिलना और 21 लाख 87 हजार ग्रामीणों को फायदा होगा. मिर्जापुर में नौ स्थानों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने की योजना है, जो चल रहा है. कई गांवों में कनेक्शन हो गया है. 80 प्रतिशत तक काम पूरा हो गया है 2024 तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा.

नलों से पानी निकलना हुआ बंद
मिर्जापुर के राजगढ़, हलिया, लालगंज, पटेहरा, सीखड़ ब्लॉक के सैकड़ों गांव में वॉटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से नलों से पानी निकलना गर्मी में बंद हो गया है. कुएं, तलाब सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं, जिसके चलते इंसानो के साथ पशु-पक्षियों तक को समस्या हो रही. पटेहरा ग्राम सभा के कई गांव की खबर बनाने के बाद ईटीवी भारत ने जब फोन पर खंड विकास अधिकारी पटेहरा शैलेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि जहां भी पानी की समस्या है हर गांव में एक टैंकर लगाया गया है, जो पानी पहुंचाने का काम करता है. क्रिटीकल गांव में आवश्यकता पड़ने पर दूसरा टैंकर भी भेजा जाता है.

etv bharat
ठेले से पानी ढोती हुई महिला

पानी की समस्या के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. शिकायत मिलने पर तत्काल पानी की व्यवस्था की जाती है. पानी की समस्या से जल्द और निजात मिलेगी. ब्लॉक के अंतर्गत 12 बोरिंग हो चुके हैं. टंकियां लगाई जा चुकी हैं. वहीं, जब इस मामले की जानकारी लेने ईटीवी भारत की टीम जिलाधिकारी दिव्या मित्तल से उनके कार्यालय पहुंची तो वह जवाब देने से बचती नजर आईं. उन्होंने कहा कि 'पहले मैं विजिट करूंगी इसके बाद बात करूंगी'.

पढ़ेंः बांदा : पानी की समस्या को लेकर महिलाओं ने की नारेबाजी, अधिकारी को दी चूड़ियां

Last Updated : May 3, 2023, 8:18 PM IST
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