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इन गांवों में पेड़ और पहाड़ी पर चढ़कर ग्रामीण बोलते हैलो...हैलो...आवाज आ रही है - चंदौली की ताजी खबर

चंदौली में कई गांव ऐसे हैं जहां आज भी ग्रामीण मोबाइल से बात करने के लिए पेड़ या पहाड़ी पर जाते हैं. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.

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इन गांवों में पेड़ और पहाड़ी पर चढ़कर ग्रामीण बोलते हैलो...हैलो...आवाज आ रही है
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Published : Jan 9, 2023, 6:17 PM IST

चन्दौली: हैलो...हैलो...आवाज नहीं आ रही...कौन बोल रहे हैं ? नेटवर्क प्राब्लम है... ये शब्द अक्सर जिले के कई गांवों में सुनने को मिल जाते हैं. पेड़ और पहाड़ी पर चढ़े लोग अक्सर मोबाइल नेटवर्क की समस्या (Mobile network problem in Chandauli) से जूझते नजर आते हैं. कई बार तो आकस्मिक मौके पर मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से उन्हें बड़ी तकलीफ उठानी पड़ती है. मौजूदा समय में इस समस्या से करीब 12 से ज्यादा गांव जूझ रहे हैं. इन गांवों में रहने वाली 10 से 15 हजारी आबादी के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है. हाल में ही इन गांवों के ग्रामीणों ने डीएम ईशा दुहन को प्रार्थनापत्र देकर इस समस्या से राहत दिलाने की मांग की है.

ग्रामीण सतीश सिंह ने बताया कि चंदौली जिला मुख्यालय से 40-50 किलोमीटर दूर स्थित दक्षिण पहाड़ी इलाके के कई गांव मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज तक यहां के गांवों में मोबाइल का नेटवर्क आ ही नहीं सका. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में हुए लॉकडाउन में सभी स्कूल - कॉलेजों को अनिश्चितकालीन समय तक के लिए बंद कर दिया गया था. इसके बाद स्कूल व कॉलेजों के बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन करायी गई लेकिन इन इलाकों के बच्चे ऑनलाइन क्लासों का फायदा नहीं उठा पाए. इसकी वजह भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या थी.

ग्रामीण सतीश सिंह ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क न होने के चलते एंबुलेंस को भी सही समय पर सूचना नहीं दे पाते हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सांप, बिच्छू सहित अन्य जहरीले जानवरों के काटने की घटनाएं भी ज्यादा होती है. इन घटनाओं के दौरान समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. कोई भी हादसा होने पर इन गांव में रहने वाले लोगों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती है. इसके अलावा झगड़ा या अन्य कोई घटना होने पर गांव में पुलिस को सूचना देना संभव नहीं हो पाता है. नतीजा ये है कि अब जहां नेटवर्क आता है, उस जगह को लोगों ने चिन्हित कर लिया है. वहां खड़े होकर ग्रामीण बात करते हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस बुलाने में आती है.

ग्रामीण एहसान अली का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र से घिरा होने के कारण दूर - दूर तक मोबाइल टॉवर नहीं मिलता है. अगर किसी को बहुत जरूरी बात करनी हो तो पहाड़ी पर जाना पड़ता है. रात के समय कोई इमरजेंसी होने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है. जंगल से आने-जाने में घंटों बर्बाद होता है. मोबाइल में बात करने में भी परेशानी होती है. पेड़ पर चढ़कर बात करनी पड़ती है. कई बार तो दो-तीन बार फोन कट जाता है. यह हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है. उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन से शिकायत की गई लेकिन राहत नहीं मिली.

वहीं, डीएम ईशा दुहन का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. ग्रामीणों से प्रार्थना पत्र मिला था. मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से बातचीत की जा रही है ताकि इन गांवों में नेटवर्क की समस्या दूर की जा सके.

ये भी पढ़ेंः चीन और अमेरिका में कोरोना के कहर से 40 फीसदी घटा कानपुर का चमड़ा कारोबार

चन्दौली: हैलो...हैलो...आवाज नहीं आ रही...कौन बोल रहे हैं ? नेटवर्क प्राब्लम है... ये शब्द अक्सर जिले के कई गांवों में सुनने को मिल जाते हैं. पेड़ और पहाड़ी पर चढ़े लोग अक्सर मोबाइल नेटवर्क की समस्या (Mobile network problem in Chandauli) से जूझते नजर आते हैं. कई बार तो आकस्मिक मौके पर मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से उन्हें बड़ी तकलीफ उठानी पड़ती है. मौजूदा समय में इस समस्या से करीब 12 से ज्यादा गांव जूझ रहे हैं. इन गांवों में रहने वाली 10 से 15 हजारी आबादी के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है. हाल में ही इन गांवों के ग्रामीणों ने डीएम ईशा दुहन को प्रार्थनापत्र देकर इस समस्या से राहत दिलाने की मांग की है.

ग्रामीण सतीश सिंह ने बताया कि चंदौली जिला मुख्यालय से 40-50 किलोमीटर दूर स्थित दक्षिण पहाड़ी इलाके के कई गांव मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज तक यहां के गांवों में मोबाइल का नेटवर्क आ ही नहीं सका. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 में हुए लॉकडाउन में सभी स्कूल - कॉलेजों को अनिश्चितकालीन समय तक के लिए बंद कर दिया गया था. इसके बाद स्कूल व कॉलेजों के बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन करायी गई लेकिन इन इलाकों के बच्चे ऑनलाइन क्लासों का फायदा नहीं उठा पाए. इसकी वजह भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या थी.

ग्रामीण सतीश सिंह ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क न होने के चलते एंबुलेंस को भी सही समय पर सूचना नहीं दे पाते हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सांप, बिच्छू सहित अन्य जहरीले जानवरों के काटने की घटनाएं भी ज्यादा होती है. इन घटनाओं के दौरान समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. कोई भी हादसा होने पर इन गांव में रहने वाले लोगों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती है. इसके अलावा झगड़ा या अन्य कोई घटना होने पर गांव में पुलिस को सूचना देना संभव नहीं हो पाता है. नतीजा ये है कि अब जहां नेटवर्क आता है, उस जगह को लोगों ने चिन्हित कर लिया है. वहां खड़े होकर ग्रामीण बात करते हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस बुलाने में आती है.

ग्रामीण एहसान अली का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र से घिरा होने के कारण दूर - दूर तक मोबाइल टॉवर नहीं मिलता है. अगर किसी को बहुत जरूरी बात करनी हो तो पहाड़ी पर जाना पड़ता है. रात के समय कोई इमरजेंसी होने पर सुबह का इंतजार करना पड़ता है. जंगल से आने-जाने में घंटों बर्बाद होता है. मोबाइल में बात करने में भी परेशानी होती है. पेड़ पर चढ़कर बात करनी पड़ती है. कई बार तो दो-तीन बार फोन कट जाता है. यह हमारे लिए बहुत बड़ी समस्या है. उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन से शिकायत की गई लेकिन राहत नहीं मिली.

वहीं, डीएम ईशा दुहन का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है. ग्रामीणों से प्रार्थना पत्र मिला था. मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से बातचीत की जा रही है ताकि इन गांवों में नेटवर्क की समस्या दूर की जा सके.

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