मिर्जापुर : कोरोना काल का असर मंदिर के दान पात्रों पर भी देखने को मिल रहा है. विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी मंदिर में लगे दान पात्रों में महज 25 प्रतिशत ही दान किया गया है. सामान्य दिनों में हर तीसरे महीने मंदिर में लगे दान पात्रों को खोला जाता था तो 30 से 35 लाख रुपए मिलते थे. जबकि कोरोना के चलते लगभग 8 महीने बाद तीनों मंदिर मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा और मां काली के दान पात्रों को खोला गया तो सिर्फ 12 लाख 76 हजार रुपए ही प्राप्त हुए.
अब तक का है सबसे कम चढ़ावा
मिर्जापुर के विंध्याचल में स्थित विश्व प्रसिद्ध धाम, मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. प्रतिदिन सैकड़ों लोग मां के चरणों में माथा टेकने पहुंचते हैं. वहीं नवरात्रि के दिनों में यहां पर लाखों लोग प्रतिदिन दर्शन करने पहुंचते हैं. विन्धयाचल धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद, मां काली और मां अष्टभुजा का दर्शन पूजन करना नहीं भूलते हैं. तीनों मंदिरों का दर्शन पूजन करने के पश्चात श्रद्धालु यहां लगे दान पात्रों में दान भी करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते 2020 चैत नवरात्र से पहले ही मंदिर का कपाट बंद कर दिया गया था. चैत्र नवरात्र में श्रद्धालुओं के नहीं आने के चलते दान पात्रों में चढ़ावा कम हुआ है.
नायब तहसीलदार उमेश चंद्र, श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी व मंत्री भानु पाठक की निगरानी में तीनों मंदिरों से 8 दान पात्रों को लगभग 8 महीने बाद खोला गया. इन दान पात्रों से महज 12 लाख 76 हजार 550 रुपये ही चढ़ावा प्राप्त हुआ है. यह अब तक का सबसे कम चढ़ावा बताया जा रहा है. दान पात्रों से निकले पैसे को भारतीय स्टेट बैंक शाखा विंध्याचल में विंध्य विकास परिषद अध्यक्ष जिला अधिकारी के खाते में जमा करा दिया गया है. बताया जा रहा है कि सामान्य दिनों में हर तिमाही इन दान पात्रों से 30 से 35 लाख रुपये चढ़ावा प्राप्त होता है. वहीं विंध्याचल धाम में स्थित तीनों मंदिरों में अब आने वाले नवरात्रि को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं.