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शारदीय नवरात्रि: मां दुर्गा का डोली में आना और हाथी पर जाना, किसानों के लिए शुभ और राजनीति में होगी उथल-पुथल - शारदीय नवरात्रि

आज से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है. इस नवरात्रि ग्रह-नक्षत्रों के कुछ ऐसे योग बन रहे हैं जो हानि और लाभ दोनों लेकर आ रहे हैं. धर्माचार्य से जानते हैं इस नवरात्रि क्या लाभ और हानि होने वाली है.

शारदीय नवरात्रि 2021
शारदीय नवरात्रि 2021
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Published : Oct 7, 2021, 5:10 PM IST

मिर्जापुर: शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा और आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरु हो रहा है. शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना की जाती है और मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. इस बार की शारदीय नवरात्रि में ग्रह नक्षत्र कुछ ऐसे बन रहे हैं जो दुर्लभ योग लेकर आए हैं और भक्तों को मां भगवती की विशेष कृपा प्रसाद स्वरूप में मिलने वाली है. इस बार षष्ठी तिथि का लोप होने से नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी.

किसानों के लिए है शुभ संदेश

इस नवरात्रि माता का आगमन डोली से हो रहा है और प्रस्थान हाथी से होगा. गुरुवार के दिन माता के डोली से आने का संकेत है कि प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी भूकंप जैसी घटनाएं ज्यादा सुनने को मिलेगी साथ ही राजनीति में भी उथल-पुथल देखने को मिलेगा. शुक्रवार को हाथी पर मां का प्रस्थान करना किसानों के लिए बड़ा ही शुभ संदेश लेकर आया है. इसमें किसानों की पैदावर ज्यादा होगी, वर्षा अत्यधिक होगी. इस प्रकार से अन्न में भी वृद्धि होने के संकेत इस नवरात्रि में मिल रहे हैं.

शारदीय नवरात्रि 2021

कलश स्थापना का मुहूर्त

इस नवरात्रि का अपना अलग महत्व है. इस नवरात्रि में ऐसे दुर्लभ योग हैं जो नवरात्रि के महत्व को बढ़ाते हैं. वैसे तो हर नवरात्रि विशेष होती है लेकिन, यह नवरात्रि विशेष फलदाई है. इस बार नवरात्रि 8 दिनों की है. काशी पंचांग के अनुसार 7 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक नवरात्रि होगी. 7 अक्टूबर यानि की आज कलश स्थापना होगी, 13 अक्टूबर को अष्टमी का व्रत होगा, निशा पूजा होगी और 14 को नवमी तिथि है. इस दिन हवन-पूजन किया जाएगा. इसके साथ ही अपराजिता पूजन और नीलकंठ पक्षी दर्शन 15 अक्टूबर दशमी तिथि को होंगे. अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को 11:24 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा. इसमें भक्तों को कलश स्थापना करने का विशेष फल मिलने वाला है, इसलिए भक्तों को अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें- शारदीय नवरात्रि: सिर्फ 47 मिनट में ही करनी होगी कलश स्थापना, ऐसे करें माता की आराधना

अभिजीत मुहूर्त में करें कलश स्थापना

धर्माचार्य मिट्ठू मिश्रा बताते हैं कि ग्रह नक्षत्रों के कुछ ऐसे योग बन रहे हैं जो इस शारदीय नवरात्रि में दुर्लभ योग लेकर आए हैं. इस नवरात्रि में चित्रा नक्षत्र वैधृति योग है. इस चित्रा नक्षत्र वैधृति योग होने की वजह से इस बार अभिजीत मुहूर्त का विशेष महत्व हो जाता है. उन्होंने कहा कि भक्तों को अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करनी चाहिए. वह आगे बताते हैं कि इस नवरात्रि में 4 रवि योग के दुर्लभ योग बन रहे हैं. इस बार विश्व कुंभ योग भी लग रहा है. यह नवरात्रि विशेष ग्रह नक्षत्रों के सहयोग के साथ आई है और भक्तों के ऊपर कृपा बरसाने वाली है और भक्तों की मनोकामना पूर्णं होने वाली है. इस नवरात्रि में भक्त माता विंध्यवासिनी के दरबार में आकर त्रिकोण के माध्यम से दर्शन पूजन करके अपनी सभी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं.

मिर्जापुर: शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा और आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरु हो रहा है. शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना की जाती है और मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. इस बार की शारदीय नवरात्रि में ग्रह नक्षत्र कुछ ऐसे बन रहे हैं जो दुर्लभ योग लेकर आए हैं और भक्तों को मां भगवती की विशेष कृपा प्रसाद स्वरूप में मिलने वाली है. इस बार षष्ठी तिथि का लोप होने से नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी.

किसानों के लिए है शुभ संदेश

इस नवरात्रि माता का आगमन डोली से हो रहा है और प्रस्थान हाथी से होगा. गुरुवार के दिन माता के डोली से आने का संकेत है कि प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी भूकंप जैसी घटनाएं ज्यादा सुनने को मिलेगी साथ ही राजनीति में भी उथल-पुथल देखने को मिलेगा. शुक्रवार को हाथी पर मां का प्रस्थान करना किसानों के लिए बड़ा ही शुभ संदेश लेकर आया है. इसमें किसानों की पैदावर ज्यादा होगी, वर्षा अत्यधिक होगी. इस प्रकार से अन्न में भी वृद्धि होने के संकेत इस नवरात्रि में मिल रहे हैं.

शारदीय नवरात्रि 2021

कलश स्थापना का मुहूर्त

इस नवरात्रि का अपना अलग महत्व है. इस नवरात्रि में ऐसे दुर्लभ योग हैं जो नवरात्रि के महत्व को बढ़ाते हैं. वैसे तो हर नवरात्रि विशेष होती है लेकिन, यह नवरात्रि विशेष फलदाई है. इस बार नवरात्रि 8 दिनों की है. काशी पंचांग के अनुसार 7 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक नवरात्रि होगी. 7 अक्टूबर यानि की आज कलश स्थापना होगी, 13 अक्टूबर को अष्टमी का व्रत होगा, निशा पूजा होगी और 14 को नवमी तिथि है. इस दिन हवन-पूजन किया जाएगा. इसके साथ ही अपराजिता पूजन और नीलकंठ पक्षी दर्शन 15 अक्टूबर दशमी तिथि को होंगे. अभिजीत मुहूर्त 7 अक्टूबर को 11:24 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा. इसमें भक्तों को कलश स्थापना करने का विशेष फल मिलने वाला है, इसलिए भक्तों को अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करनी चाहिए.

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अभिजीत मुहूर्त में करें कलश स्थापना

धर्माचार्य मिट्ठू मिश्रा बताते हैं कि ग्रह नक्षत्रों के कुछ ऐसे योग बन रहे हैं जो इस शारदीय नवरात्रि में दुर्लभ योग लेकर आए हैं. इस नवरात्रि में चित्रा नक्षत्र वैधृति योग है. इस चित्रा नक्षत्र वैधृति योग होने की वजह से इस बार अभिजीत मुहूर्त का विशेष महत्व हो जाता है. उन्होंने कहा कि भक्तों को अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करनी चाहिए. वह आगे बताते हैं कि इस नवरात्रि में 4 रवि योग के दुर्लभ योग बन रहे हैं. इस बार विश्व कुंभ योग भी लग रहा है. यह नवरात्रि विशेष ग्रह नक्षत्रों के सहयोग के साथ आई है और भक्तों के ऊपर कृपा बरसाने वाली है और भक्तों की मनोकामना पूर्णं होने वाली है. इस नवरात्रि में भक्त माता विंध्यवासिनी के दरबार में आकर त्रिकोण के माध्यम से दर्शन पूजन करके अपनी सभी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं.

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