मिर्जापुर: वैश्विक महामारी कोरोना ने समाज के हर तबके को परेशान कर रखा है. इस मुश्किल की घड़ी में सबसे ज्यादा परेशानी भीख मांगकर जीवन यापन करने वाले लोगों को हो रही है. मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर भीख मांगकर अपना परिवार चलाने वाली लालमनी देवी आंखों से दिव्यांग हैं और लॉकडाउन लगने से काफी परेशान हैं. दिव्यांग लालमनी देवी ट्रेनों में भीख मांगकर अपने तीनों बच्चों का पेट भरती हैं. देश में लॉकडाउन लगने से जहां एक तरफ ट्रेनों के पहिए थम गए तो वहीं दूसरी तरफ लालमनी देवी की रोजी-रोटी में भी ब्रेक लग गया है.
स्टेशन पर भीख मांगकर पालती हैं पेट
लालमनी देवी कई सालों से रेलवे स्टेशन की सीढ़ी पर बैठकर भीख मांगती हैं, जिससे उनका परिवार चलता है. देशव्यापी लॉकडाउन लागू होने के कारण ट्रेनों की आवाजाही बंद कर दी गई है. जिसके चलते स्टेशन अब खाली हो गया. वहीं दिव्यांग लालमनी देवी घर पर रहने को मजबूर हो गईं हैं.
लालमनी के पति की हो गई है मौत
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर दोनों आंखों से दिव्यांग लालमनी अपने पति के साथ भीख मांगती थीं, लेकिन पति के मौत के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी लालमनी पर आ गई. उनके सामने तीन बच्चों का पालन-पोषण करना सबसे बड़ी चुनौती हो गई है. अब लालमनी अकेले ही स्टेशन की सीढ़ी पर बैठकर अपने परिवार का पेट भरने के लिए भीख मांगती हैं.
सरकार की तरफ से नहीं मिली मदद
नम आंखों से दिव्यांग ने बताया कि इस मुसीबत की घड़ी में सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है. इसका बड़ा दुख हैं. घर में खाने को दाना नहीं, लेकिन अभी तक कोई सरकारी अमला उनके घर नहीं पहुंचा है. खाने की बहुत परेशानी हो रही है. तीन बच्चों का पेट भरना उनके सामने एक बड़ी समस्या है. लेकिन सरकार की कोई नजर उन पर नहीं पहुंच रही है.
पड़ोसियों ने की मदद
दिव्यांग लालमनी देवी के घर की स्थिति को देखते हुए पड़ोसियों ने कुछ दिन उनकी मदद की. खाने के लिए अनाज दिए. कुछ पैसे भी दिए, लेकिन लॉकडाउन के बढ़ने से लालमनी की मुसीबतें बढ़ती जा रहीं हैं.
दुकानदार का सहारा
दिव्यांग लालमनी देवी ने बताया कि पड़ोस के दुकानदार नरेंद्र कुमार आजाद ने उनकी मदद की. उन्होंने बच्चों को खाने के साथ कुछ जरुरत की चीजें भी दी हैं. नरेंद्र कुमार आजाद ने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है, जितना हो सकता है लालमनी की मदद कर रहा हूं, लेकिन इनके परिवार को देखते हुए ये मदद काफी नहीं है. लॉकडाउन को एक महीने से ज्यादा हो गया, लेकिन अभी तक सरकार की कोई मदद इनके तक नहीं पहुंची है.
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