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श्रम विभाग को 2 वर्षों से नहीं मिला कोई बंधुआ मजदूर - बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी

बाल मजदूरी और बंधुआ मजदूरी रोकने के लिए श्रम विभाग नियमित अभियान चलाता है. मिर्जापुर जिले में विभाग को दो साल से बंधुआ मजदूरी का एक भी मामला नहीं मिला है. विभाग का यह आंकड़ा आश्चर्यचकित करने वाला है.

2 वर्षों से नहीं मिला कोई बंधुआ मजदूर
2 वर्षों से नहीं मिला कोई बंधुआ मजदूर
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Published : Jan 10, 2021, 12:31 PM IST

मिर्जापुर : श्रम विभाग बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम रोकने के लिए लगातार अभियान चलाता रहता है, लेकिन मिर्जापुर जिले में अजब स्थिति सामने आई है. श्रम विभाग मिर्जापुर के पास दो वर्षों से एक भी बंधुआ मजदूरी की शिकायत नहीं आई है. श्रम विभाग के आंकड़ों की बात करें तो 2017-18 से लेकर अब तक चाइल्ड लेबर को लेकर 33 बार निरीक्षण किया गया है, जिसमें 49 बाल श्रमिक और किशोर श्रमिक चिह्नित किए गए. वहीं, बंधुआ मजदूर की बात करें तो 2017 -18 से लेकर अब तक 36 मजदूरों को रेस्क्यू किया गया. जबकि 2019 -20 और 2020 -21 में बंधुआ मजदूरी की एक भी शिकायत नहीं मिली. बंधुआ मजदूरों और बाल श्रम कराने वाले सभी नियोजकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

नहीं मिला कोई बंधुआ मजदूर

दो वर्ष से नहीं मिल रही बंधुआ मजदूरी की शिकायत
श्रम विभाग में बंधुआ मजदूरों के आंकड़ों के अनुसार 2017- 18 से लेकर अब तक मात्र 36 बंधुआ मजदूरों का रेस्क्यू किया गया है. 2017-18 में दो रेस्क्यू चुनार, मड़िहान में किए गए थे. एक ईंट भट्ठे पर और एक क्रेशर प्लांट पर. इसमें कुल 31 बंधुआ मजदूर मिले थे. 2018-19 में एक रेस्क्यू किया गया था, जिसमें 5 बंधुआ मजदूर मिले थे. बंधुआ श्रम कराने वाले नियोजकों को दंडित किया गया. इसके अलावा संबंधित बंधुआ श्रमिकों को मुक्त कराने के साथ उनका पुनर्वास कराया गया. 2019- 20 और 2020 -21 में श्रम विभाग के हाथ खाली रहे. इस दौरान एक भी शिकायत नहीं आई. वहीं, पुनर्वास की बात करें तो पुरुष बंधुआ मजदूरों को एक लाख रुपए, महिला बंधुआ मजदूरों को दो लाख रुपए सीधे नियोजकों से लेकर उनके खाते में ट्रांसफर किए गए. साथ ही सरकारी योजनाओं से सभी 36 बंधुआ मजदूरों को लाभान्वित किया गया.

4 साल में 49 चाइल्ड लेबर मिले
जिले में सैकड़ों ईंट भट्ठा, होटल, ढाबा संचालित किए जा रहे हैं. यहां तमाम स्थानों पर चाइल्ड लेबर दिखाई पड़ती है. इसके बावजूद भी श्रम विभाग को 4 सालों में सिर्फ 49 चाइल्ड लेबर मिले हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 से लेकर 2020 दिसंबर तक कुल 33 निरीक्षण किया गया है. जिसमें 49 बाल श्रमिक और किशोर श्रमिक पाए गए हैं. जिसमें 6 बाल श्रमिक 14 साल के नीचे हैं, बाकी के 14 से 18 वर्ष के बीच के हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दिसंबर तक विभिन्न जगहों से 12 निरीक्षण करके 20 बच्चों को रेस्क्यू करके बचाया गया. 14 वर्ष के नीचे वाले बाल श्रमिकों के नियोजक को 20- 20 हजार का नोटिस भेजा गया है. जिसमें एक नियोजक ने जमा किया है और दो ने कोर्ट में स्टे ले लिया है. बाकी के खिलाफ प्रक्रिया चल रही है.

शिकायत पर होता है रेस्क्यू
मामले में सहायक श्रम आयुक्त आरके पाठक ने बताया कि चाइल्ड लेबर का अभियान विभाग की ओर से नियमित चलाया जाता है. बंधुआ मजदूरों के लिए शिकायत मिलने पर निरीक्षण किया जाता है क्योंकि ट्रेस करने पर बंधुआ मजदूर नहीं मिल पाते हैं. जब कहीं समस्या होती है तो शिकायत मेरे पास आती है या जिला अधिकारी, एसडीएम के पास जाती है तो रेस्क्यू किया जाता है. कहीं पर भी बंधुआ मजदूरी या बालश्रम हो रहा है होता है तो सूचना पर तत्काल कार्रवाई की जाती है. उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कार्यक्रम कल्याण बोर्ड की ओर से संचालित योजनाओं से इन बाल श्रमिक और बंधुआ मजदूरों को लाभान्वित किया जाता है. कोशिश की जाती है कि जनपद में कोई भी बाल श्रमिक और बंधुआ मजदूर काम करते न दिखाई पड़े.

मिर्जापुर : श्रम विभाग बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम रोकने के लिए लगातार अभियान चलाता रहता है, लेकिन मिर्जापुर जिले में अजब स्थिति सामने आई है. श्रम विभाग मिर्जापुर के पास दो वर्षों से एक भी बंधुआ मजदूरी की शिकायत नहीं आई है. श्रम विभाग के आंकड़ों की बात करें तो 2017-18 से लेकर अब तक चाइल्ड लेबर को लेकर 33 बार निरीक्षण किया गया है, जिसमें 49 बाल श्रमिक और किशोर श्रमिक चिह्नित किए गए. वहीं, बंधुआ मजदूर की बात करें तो 2017 -18 से लेकर अब तक 36 मजदूरों को रेस्क्यू किया गया. जबकि 2019 -20 और 2020 -21 में बंधुआ मजदूरी की एक भी शिकायत नहीं मिली. बंधुआ मजदूरों और बाल श्रम कराने वाले सभी नियोजकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

नहीं मिला कोई बंधुआ मजदूर

दो वर्ष से नहीं मिल रही बंधुआ मजदूरी की शिकायत
श्रम विभाग में बंधुआ मजदूरों के आंकड़ों के अनुसार 2017- 18 से लेकर अब तक मात्र 36 बंधुआ मजदूरों का रेस्क्यू किया गया है. 2017-18 में दो रेस्क्यू चुनार, मड़िहान में किए गए थे. एक ईंट भट्ठे पर और एक क्रेशर प्लांट पर. इसमें कुल 31 बंधुआ मजदूर मिले थे. 2018-19 में एक रेस्क्यू किया गया था, जिसमें 5 बंधुआ मजदूर मिले थे. बंधुआ श्रम कराने वाले नियोजकों को दंडित किया गया. इसके अलावा संबंधित बंधुआ श्रमिकों को मुक्त कराने के साथ उनका पुनर्वास कराया गया. 2019- 20 और 2020 -21 में श्रम विभाग के हाथ खाली रहे. इस दौरान एक भी शिकायत नहीं आई. वहीं, पुनर्वास की बात करें तो पुरुष बंधुआ मजदूरों को एक लाख रुपए, महिला बंधुआ मजदूरों को दो लाख रुपए सीधे नियोजकों से लेकर उनके खाते में ट्रांसफर किए गए. साथ ही सरकारी योजनाओं से सभी 36 बंधुआ मजदूरों को लाभान्वित किया गया.

4 साल में 49 चाइल्ड लेबर मिले
जिले में सैकड़ों ईंट भट्ठा, होटल, ढाबा संचालित किए जा रहे हैं. यहां तमाम स्थानों पर चाइल्ड लेबर दिखाई पड़ती है. इसके बावजूद भी श्रम विभाग को 4 सालों में सिर्फ 49 चाइल्ड लेबर मिले हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 से लेकर 2020 दिसंबर तक कुल 33 निरीक्षण किया गया है. जिसमें 49 बाल श्रमिक और किशोर श्रमिक पाए गए हैं. जिसमें 6 बाल श्रमिक 14 साल के नीचे हैं, बाकी के 14 से 18 वर्ष के बीच के हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 के दिसंबर तक विभिन्न जगहों से 12 निरीक्षण करके 20 बच्चों को रेस्क्यू करके बचाया गया. 14 वर्ष के नीचे वाले बाल श्रमिकों के नियोजक को 20- 20 हजार का नोटिस भेजा गया है. जिसमें एक नियोजक ने जमा किया है और दो ने कोर्ट में स्टे ले लिया है. बाकी के खिलाफ प्रक्रिया चल रही है.

शिकायत पर होता है रेस्क्यू
मामले में सहायक श्रम आयुक्त आरके पाठक ने बताया कि चाइल्ड लेबर का अभियान विभाग की ओर से नियमित चलाया जाता है. बंधुआ मजदूरों के लिए शिकायत मिलने पर निरीक्षण किया जाता है क्योंकि ट्रेस करने पर बंधुआ मजदूर नहीं मिल पाते हैं. जब कहीं समस्या होती है तो शिकायत मेरे पास आती है या जिला अधिकारी, एसडीएम के पास जाती है तो रेस्क्यू किया जाता है. कहीं पर भी बंधुआ मजदूरी या बालश्रम हो रहा है होता है तो सूचना पर तत्काल कार्रवाई की जाती है. उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कार्यक्रम कल्याण बोर्ड की ओर से संचालित योजनाओं से इन बाल श्रमिक और बंधुआ मजदूरों को लाभान्वित किया जाता है. कोशिश की जाती है कि जनपद में कोई भी बाल श्रमिक और बंधुआ मजदूर काम करते न दिखाई पड़े.

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