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यहां खुदाई में मिली थी भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति, भक्तों की है गहरी आस्था

मिर्जापुर जिले के पहाड़ी ब्लॉक चौहान पट्टी में बने भगवान विष्णु के प्रचीन मंदिर से भक्तों की गहरी आस्था है. इस मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति सन 1904 के आसपास खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी. जिसे लोगों ने मंदिर में स्थापित कर पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया.

शेषनाग कि शैया पर विराजमान हैं भगवान विष्णु
शेषनाग कि शैया पर विराजमान हैं भगवान विष्णु
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Published : Aug 31, 2021, 2:28 PM IST

मिर्जापुर : जनपद के पहाड़ी ब्लॉक के चौहान पट्टी गांव में भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर से भक्तों की गहरी आस्था है. यहां मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में सन 1904 के आसपास जब इस स्थान पर लोगों ने घर बनाने के लिए खुदाई शुरू की तो भगवान विष्णु और लक्ष्मी की खंडित मूर्ति मिली, जिसे ग्रामीणों ने गांव के शंकर जी मंदिर के बाहर विराजमान कर दिया. बाद में कारीगरों से बनवाकर मंदिर में स्थापित किया गया और तब से इस मंदिर में लोगों ने पूजा-पाठ शुरू कर दिया.

शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं भगवान विष्णु
गांव के स्वामी शरण दुबे बताते हैं कि मुगल शासन काल में कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर ध्वस्त किए गए थे. मूर्तियां खंडित की गईं थीं. उसी तरह हमारे गांव में एक विशालकाय विष्णु भगवान, सूर्य, वरुण सहित कई देवताओं का मंदिर बना हुआ था, जिसे तोड़ दिया गया था. सन 1904 के आसपास जब यहां लोग आकर बसने लगे तो घर बनाने के लिए मिट्टी की आवश्यकता हुई. मिट्टी खुदाई के समय विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की खंडित मूर्ति मिली, जिसे गांव वालों ने शंकर जी के मंदिर में रख दिया, क्योंकि हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है. इसके बाद गांव के ही एक सुखई नाम के मिस्त्री ने विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की मूर्ति की मरम्मत की. जिसे बाद में मंदिर में स्थापित कर दिया गया.मंदिर के पुजारी गंगा शरण सिंह का दावा है कि यह कई साल पुराना मंदिर है. उनका कहना है कि यह मंदिर औरंगजेब के समय का है. खंडित मूर्तियों को बाद में मरम्मत कर यहां स्थापित किया गया है. ऐसी मूर्ति उन्होंने अभी तक कहीं नहीं देखी.इसे भी पढ़ें-अद्भुत है 150 साल पुराने कानपुर देहात के इस मंदिर की कलाकृति, जानें क्या है मान्यता

मिर्जापुर : जनपद के पहाड़ी ब्लॉक के चौहान पट्टी गांव में भगवान विष्णु का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर से भक्तों की गहरी आस्था है. यहां मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में सन 1904 के आसपास जब इस स्थान पर लोगों ने घर बनाने के लिए खुदाई शुरू की तो भगवान विष्णु और लक्ष्मी की खंडित मूर्ति मिली, जिसे ग्रामीणों ने गांव के शंकर जी मंदिर के बाहर विराजमान कर दिया. बाद में कारीगरों से बनवाकर मंदिर में स्थापित किया गया और तब से इस मंदिर में लोगों ने पूजा-पाठ शुरू कर दिया.

शेषनाग की शैया पर विराजमान हैं भगवान विष्णु
गांव के स्वामी शरण दुबे बताते हैं कि मुगल शासन काल में कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर ध्वस्त किए गए थे. मूर्तियां खंडित की गईं थीं. उसी तरह हमारे गांव में एक विशालकाय विष्णु भगवान, सूर्य, वरुण सहित कई देवताओं का मंदिर बना हुआ था, जिसे तोड़ दिया गया था. सन 1904 के आसपास जब यहां लोग आकर बसने लगे तो घर बनाने के लिए मिट्टी की आवश्यकता हुई. मिट्टी खुदाई के समय विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की खंडित मूर्ति मिली, जिसे गांव वालों ने शंकर जी के मंदिर में रख दिया, क्योंकि हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है. इसके बाद गांव के ही एक सुखई नाम के मिस्त्री ने विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की मूर्ति की मरम्मत की. जिसे बाद में मंदिर में स्थापित कर दिया गया.मंदिर के पुजारी गंगा शरण सिंह का दावा है कि यह कई साल पुराना मंदिर है. उनका कहना है कि यह मंदिर औरंगजेब के समय का है. खंडित मूर्तियों को बाद में मरम्मत कर यहां स्थापित किया गया है. ऐसी मूर्ति उन्होंने अभी तक कहीं नहीं देखी.इसे भी पढ़ें-अद्भुत है 150 साल पुराने कानपुर देहात के इस मंदिर की कलाकृति, जानें क्या है मान्यता
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