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कनहर सिंचाई परियोजना से 2022 में किसानों को मिलेगा लाभ - दुद्धी और चोपन विकासखंड

किसानों के लिए खुशखबरी है. बाणसागर परियोजना की तरह अब उन्हें एक और परियोजना का जल्द लाभ मिलने वाला है, जिसका नाम है - कनहर सिंचाई परियोजना. इस परियोजना का लाभ यूपी के अलावा झारखंड के किसान भी उठा सकेंगे.

kanhar irrigation project in uttar pradesh
नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह.
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Published : Dec 19, 2020, 3:38 PM IST

मिर्जापुर : सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बाणसागर परियोजना की तरह कनहर परियोजना से भी किसानों को जल्द सिंचाई का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. 44 सालों से प्रतीक्षित कनहर सिंचाई परियोजना का कार्य तेजी से किया जा रहा है. 2022 के शुरुआत में इससे किसानों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा. इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के साथ ही झारखंड के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी. यह जानकारी नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने मिर्जापुर में प्रेस वार्ता के दौरान दी है.

जानकारी देते नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार.
2022 में कनहर परियोजना से मिलेगा किसानों को लाभ
नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह शनिवार को दिल्ली से मिर्जापुर के सिंचाई विभाग के वीआईपी गेस्ट हाउस पहुंचे. उन्होंने 44 सालों से लंबित कनहर बांध परियोजना का काम करने का भरोसा दिया और कहा कि वर्ष 2022 के शुरुआत में इस परियोजना से सिंचाई शुरू हो जाएगी. सिंचाई विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है. वर्तमान संसाधन का सदुपयोग करते हुए मार्च 2021 में बांध के बने हुए हिस्से में जल इकट्ठा होना शुरू हो जाएगा. क्योंकि नए बांध होने के कारण एकाएक नहीं बल्कि चरणों में पानी भरा जाएगा, ताकि बांध पर एकाएक लोड न पड़ने पाए. निर्धारित समय तक पानी इकट्ठा कर उसे सिंचाई के लिए दिया जाएगा. इससे किसानों को बहुत लाभ मिलने वाला है. इस परियोजना से दुद्धी और चोपन विकासखंड के किसानों को लाभ मिलेगा.
कई सरकारें बदलीं, नहीं पूरी हुई कनहर परियोजना
सिंचाई के पानी की समस्या को दूर करने के लिए कनहर सिंचाई परियोजना 44 सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. कभी राज्यों की अनापत्ति, कभी भूमि अधिग्रहण तो कभी बजट का अभाव परियोजना के लिए बाधा बनती रही. यूपी के सोनभद्र में जब यह कनहर परियोजना शुरू हुई तब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे. नारायण दत्त तिवारी के बाद अब तक लगभग 20 से ज्यादा मुख्यमंत्री बनें, लेकिन 44 सालों में भी यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कनहर परियोजना पूरी होने की संभावना जताई जा रही है. कार्य तेजी से चल रहा है.

मिर्जापुर पहुंचे नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने बताया कि अब बजट की कोई समस्या नहीं है. जल्द ही यह योजना पूरी हो जाएगी और 2021 में कार्य पूरा करने के बाद 2022 में पानी मिलना शुरू हो जाएगा.

परियोजना में आई अड़चन
यूपी का सोनभद्र जिला 4 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से लगती है. परियोजना शुरू हुई तो साल 2000 में बिहार से झारखंड और एमपी से छत्तीसगढ़ अलग हुआ. 1983 से 2001 तक राज्य में समन्वय न होने से योजना अटकी रही. करीब 20 साल तक सिर्फ राज्यों के बीच समस्या बना रहा. वर्ष 2009-10 में झारखंड और छत्तीसगढ़ से स्वीकृति मिली. इन राज्यों से एग्रीमेंट हुआ और पैसा मिलना शुरू हुआ. तब जमीन के दाम बढ़ गए और अधिग्रहण करने में समस्या आने लगी. इस परियोजना की लागत 27 करोड़ से बढ़कर 2239 करोड़ पहुंच चुकी है.

कनहर के आसपास लोगों को किया गया विस्थापित
कनहर-फागन नदी के संगम तट पर कनहर सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखते समय बांध का निर्माण करने की जब रूपरेखा तैयार हुई तो प्रस्ताव बनाकर दिया गया. उत्तर प्रदेश के 11 झारखंड और छत्तीसगढ़ के चार-चार गांव इस बांध से प्रभावित होंगे. जबकि बदले में 108 गांव के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा. साथ ही पूरे क्षेत्र में जलस्तर बढ़ेगी. प्रभावित गांव वाले 244 परिवारों को विस्थापन के लिए मुआवजा का प्रावधान किया गया. दोबारा बजट संशोधित कर एस्टीमेट बनाया गया. सभी लोग लगभग विस्थापित करा दिए गए हैं. जो लोग बचे हैं, वह भी जल्द चले जाएंगे. कनहर के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी कार्य में लगे हुए हैंं. समय पर परियोजना को पूरा करा कर किसानों को पानी दिया जाएगा.

मिर्जापुर : सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बाणसागर परियोजना की तरह कनहर परियोजना से भी किसानों को जल्द सिंचाई का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. 44 सालों से प्रतीक्षित कनहर सिंचाई परियोजना का कार्य तेजी से किया जा रहा है. 2022 के शुरुआत में इससे किसानों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा. इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के साथ ही झारखंड के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी. यह जानकारी नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने मिर्जापुर में प्रेस वार्ता के दौरान दी है.

जानकारी देते नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार.
2022 में कनहर परियोजना से मिलेगा किसानों को लाभ
नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह शनिवार को दिल्ली से मिर्जापुर के सिंचाई विभाग के वीआईपी गेस्ट हाउस पहुंचे. उन्होंने 44 सालों से लंबित कनहर बांध परियोजना का काम करने का भरोसा दिया और कहा कि वर्ष 2022 के शुरुआत में इस परियोजना से सिंचाई शुरू हो जाएगी. सिंचाई विभाग ने इसके लिए कमर कस ली है. वर्तमान संसाधन का सदुपयोग करते हुए मार्च 2021 में बांध के बने हुए हिस्से में जल इकट्ठा होना शुरू हो जाएगा. क्योंकि नए बांध होने के कारण एकाएक नहीं बल्कि चरणों में पानी भरा जाएगा, ताकि बांध पर एकाएक लोड न पड़ने पाए. निर्धारित समय तक पानी इकट्ठा कर उसे सिंचाई के लिए दिया जाएगा. इससे किसानों को बहुत लाभ मिलने वाला है. इस परियोजना से दुद्धी और चोपन विकासखंड के किसानों को लाभ मिलेगा.
कई सरकारें बदलीं, नहीं पूरी हुई कनहर परियोजना
सिंचाई के पानी की समस्या को दूर करने के लिए कनहर सिंचाई परियोजना 44 सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. कभी राज्यों की अनापत्ति, कभी भूमि अधिग्रहण तो कभी बजट का अभाव परियोजना के लिए बाधा बनती रही. यूपी के सोनभद्र में जब यह कनहर परियोजना शुरू हुई तब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे. नारायण दत्त तिवारी के बाद अब तक लगभग 20 से ज्यादा मुख्यमंत्री बनें, लेकिन 44 सालों में भी यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कनहर परियोजना पूरी होने की संभावना जताई जा रही है. कार्य तेजी से चल रहा है.

मिर्जापुर पहुंचे नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने बताया कि अब बजट की कोई समस्या नहीं है. जल्द ही यह योजना पूरी हो जाएगी और 2021 में कार्य पूरा करने के बाद 2022 में पानी मिलना शुरू हो जाएगा.

परियोजना में आई अड़चन
यूपी का सोनभद्र जिला 4 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से लगती है. परियोजना शुरू हुई तो साल 2000 में बिहार से झारखंड और एमपी से छत्तीसगढ़ अलग हुआ. 1983 से 2001 तक राज्य में समन्वय न होने से योजना अटकी रही. करीब 20 साल तक सिर्फ राज्यों के बीच समस्या बना रहा. वर्ष 2009-10 में झारखंड और छत्तीसगढ़ से स्वीकृति मिली. इन राज्यों से एग्रीमेंट हुआ और पैसा मिलना शुरू हुआ. तब जमीन के दाम बढ़ गए और अधिग्रहण करने में समस्या आने लगी. इस परियोजना की लागत 27 करोड़ से बढ़कर 2239 करोड़ पहुंच चुकी है.

कनहर के आसपास लोगों को किया गया विस्थापित
कनहर-फागन नदी के संगम तट पर कनहर सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखते समय बांध का निर्माण करने की जब रूपरेखा तैयार हुई तो प्रस्ताव बनाकर दिया गया. उत्तर प्रदेश के 11 झारखंड और छत्तीसगढ़ के चार-चार गांव इस बांध से प्रभावित होंगे. जबकि बदले में 108 गांव के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा. साथ ही पूरे क्षेत्र में जलस्तर बढ़ेगी. प्रभावित गांव वाले 244 परिवारों को विस्थापन के लिए मुआवजा का प्रावधान किया गया. दोबारा बजट संशोधित कर एस्टीमेट बनाया गया. सभी लोग लगभग विस्थापित करा दिए गए हैं. जो लोग बचे हैं, वह भी जल्द चले जाएंगे. कनहर के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी कार्य में लगे हुए हैंं. समय पर परियोजना को पूरा करा कर किसानों को पानी दिया जाएगा.

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