मिर्जापुर : सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बाणसागर परियोजना की तरह कनहर परियोजना से भी किसानों को जल्द सिंचाई का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. 44 सालों से प्रतीक्षित कनहर सिंचाई परियोजना का कार्य तेजी से किया जा रहा है. 2022 के शुरुआत में इससे किसानों को पानी मिलना शुरू हो जाएगा. इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के साथ ही झारखंड के किसानों को भी सिंचाई की सुविधा मिलेगी. यह जानकारी नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने मिर्जापुर में प्रेस वार्ता के दौरान दी है.
कई सरकारें बदलीं, नहीं पूरी हुई कनहर परियोजना
सिंचाई के पानी की समस्या को दूर करने के लिए कनहर सिंचाई परियोजना 44 सालों बाद भी पूरी नहीं हो सकी है. कभी राज्यों की अनापत्ति, कभी भूमि अधिग्रहण तो कभी बजट का अभाव परियोजना के लिए बाधा बनती रही. यूपी के सोनभद्र में जब यह कनहर परियोजना शुरू हुई तब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे. नारायण दत्त तिवारी के बाद अब तक लगभग 20 से ज्यादा मुख्यमंत्री बनें, लेकिन 44 सालों में भी यह परियोजना पूरी नहीं हो पाई. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कनहर परियोजना पूरी होने की संभावना जताई जा रही है. कार्य तेजी से चल रहा है.
मिर्जापुर पहुंचे नाबार्ड के तकनीकी सलाहकार अजय कुमार सिंह ने बताया कि अब बजट की कोई समस्या नहीं है. जल्द ही यह योजना पूरी हो जाएगी और 2021 में कार्य पूरा करने के बाद 2022 में पानी मिलना शुरू हो जाएगा.
परियोजना में आई अड़चन
यूपी का सोनभद्र जिला 4 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से लगती है. परियोजना शुरू हुई तो साल 2000 में बिहार से झारखंड और एमपी से छत्तीसगढ़ अलग हुआ. 1983 से 2001 तक राज्य में समन्वय न होने से योजना अटकी रही. करीब 20 साल तक सिर्फ राज्यों के बीच समस्या बना रहा. वर्ष 2009-10 में झारखंड और छत्तीसगढ़ से स्वीकृति मिली. इन राज्यों से एग्रीमेंट हुआ और पैसा मिलना शुरू हुआ. तब जमीन के दाम बढ़ गए और अधिग्रहण करने में समस्या आने लगी. इस परियोजना की लागत 27 करोड़ से बढ़कर 2239 करोड़ पहुंच चुकी है.
कनहर के आसपास लोगों को किया गया विस्थापित
कनहर-फागन नदी के संगम तट पर कनहर सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखते समय बांध का निर्माण करने की जब रूपरेखा तैयार हुई तो प्रस्ताव बनाकर दिया गया. उत्तर प्रदेश के 11 झारखंड और छत्तीसगढ़ के चार-चार गांव इस बांध से प्रभावित होंगे. जबकि बदले में 108 गांव के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलेगा. साथ ही पूरे क्षेत्र में जलस्तर बढ़ेगी. प्रभावित गांव वाले 244 परिवारों को विस्थापन के लिए मुआवजा का प्रावधान किया गया. दोबारा बजट संशोधित कर एस्टीमेट बनाया गया. सभी लोग लगभग विस्थापित करा दिए गए हैं. जो लोग बचे हैं, वह भी जल्द चले जाएंगे. कनहर के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी कार्य में लगे हुए हैंं. समय पर परियोजना को पूरा करा कर किसानों को पानी दिया जाएगा.