मिर्जापुर: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विवाद फैल गया है. केंद्र सरकार ने देश भर में निवासियों का डेटाबेस यानी एनपीआर अपडेट करने की मंजूरी दे दी है. विपक्षियों ने एनपीआर पर सवाल उठाते कहा कि एनपीआर एनआरसी का पहला कदम है. सरकार को एनआरसी और सीएए को पहले नहीं लाना चाहिए था. इन दोनों को रद्द करना चाहिए. सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है.
एनआरसी के बाद एनपीआर को लेकर घमासान
- देश में एनपीआर के अपडेट पर सरकार की मंजूरी से विवाद छिड़ गया है.
- विपक्ष ने एनपीआर पर सवाल उठाया है.
- एनआरसी और एनपीआर से सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है.
- सरकार को एनआरसी और एनपीआर को रद्द करना चाहिए.
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) एनआरसी का पहला कदम है. अगर सरकार एनपीआर को एनआरसी के साथ जोड़ने का कदम पीछे नहीं लेती है तो बीएसपी इसका पुरजोर विरोध करेगी. एनआरसी को एनपीआर के तौर पर लाना सरकार की साजिश है. सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है.
-परवेज खान, बीएसपी नेता