मिर्जापुर : सूचना और तकनीकि के दौर में दुनियां भर के देश एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए हर दिन नए अविष्कार कर रहें हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस आधुनिक युग में भी चमत्कार और अंधविश्वास पर भरोसा करते हैं. मिर्जापुर जिले के बरही गांव में बेचूबीर बाबा और बरहिया माता के चौखट पर लाखों लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं.
बरही गांव मिर्जापुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर बसा है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना कि जिन्हें संतान नहीं होती है वह अपनी मुराद लेकर बरही गांव आते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि बेचूबीर बाबा और बरहिया माता की चौखट पर माथा टेकने के बाद संतान की प्राप्ति के अलावा मन की साभी मुरादें पूरी होतीं हैं. प्रत्येक वर्ष बरही गांव में 3 दिन के लिए मेला लगता है, जहां कई प्रदेश के लोग आकर अपनी मुराद मांगते हैं. हालांकि ईटीवी भारत इस घटनी की पुष्टि नहीं करता है.
बरही गांव में लगता है भूतों का मेला
मिर्जापुर जिले के बरही गांव में प्रतिवर्ष 3 दिन के लिए मेले का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां बेचुबीर और बरहिया माता की चौकी पर भूतो का मेला लगता है. यह मेला जो लगभग 300 वर्षों से लग रहा है. भूत-प्रेत जैसी बाधाओ से परेसान लोगों यहां भीड़ लगी रहती है. इस मेले में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश राज्यों से लोग आते हैं.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप
मान्यता है कि बेचुबीर भगवान शंकर के साधना में हमेशा लीन रहते थे. परम योद्धा लोरिक इनका परम भक्त था. एक बार लोरिक के साथ बेचुबीर घने जंगल में ठहरे थे. बाबा बेचुबीर भगवान शिव की आराधना में लीन थे, तभी उनके ऊपर एक शेर ने हमला कर दिया. बाबा बेचुबीर और शेर का 3 दिनों तक युद्द हुआ.
युद्ध में बाबा बेचुबीर घायल हो गए, जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई. कहा जाता है बाबा की मृत्यु के स्थान पर ही उनकी समाधि बनी है. बेचुबीर बाबा की मृत्यु होने के बाद उनकी पत्नी बरही गांव में सती हो गई. तभी से बरही गांव में मेला लगता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा सीसीटीवी से निगरानी की जाती है. इसके पुलिस की तैनाती भी की जाती है.
इसे पढ़ें- प्रियंका गांधी ने बुलंदशहर में भरी हुंकार, यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस