मिर्जापुरः कभी विंध्यवासिनी मां के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता था. लेकिन आजकल गंगा के बढ़ते जलस्तर ने यहां की रफ्तार पर रोक लगा दी है. सड़कों पर भी बाढ़ का पानी आ गया है. जिससे धाम को जाने वाले रास्ते पर अब नाव चलाने की तैयारी की जा रही है. सड़क पर कई फीट पानी आने की वजह से दर्शनार्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को अपनी गाड़ियों को छोड़कर जान जोखिम में डालकर पानी के बीच से गुजरना पड़ रहा है. जिसकी वजह से अब यहां की गलियां सुनसान हो गई हैं.
मिर्जापुर जिले में गंगा खतरे के निशान से करीब 50 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं. सितंबर 1978 में गंगा का अधिकतम जलस्तर 80.34 मीटर दर्ज किया गया था. गुरुवार को दोपहर जलस्तर 78.40 मीटर दर्ज किया गया है. जिला मुख्यालय को जोड़ने वाले विभिन्न मार्गों पर गंगा का पानी पहुंचने की वजह से आवागमन प्रभावित हुआ है. विंध्याचल धाम की सड़कों पर पानी आने से मां के दर्शन करने के लिए आने वाले भक्त अपने वाहनों को पहले ही छोड़कर पानी के बीच से पैदल मां के मंदिर में पहुंच रहे हैं. अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था न किए जाने से भक्तों के साथ ही स्थानीय नागरिक को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में गंगा का बढाव एक सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गुरुवार की सुबह से जारी रहा.
इसे भी पढ़ें- प्रयागराज को बाढ़ मुक्त कराने के लिए जल्द तैयार हो कार्य योजना- केशव प्रसाद मौर्य
गंगा का जलस्तर ने खतरे का निशान पार करने के बाद पूरे जिले में तबाही मचा दी है. छानबे, कोन, मझवां, सिटी, सीखड़, पहाड़ी और नरायनपुर के करीब 404 गांवों को बाढ़ ने अपनी चपेट में ले लिया है. 75 गांव का संपर्क तो पूरी तरह से दूसरे गांवों से टूट गया है. गांवों में पानी घुसने से यहां के लोग परेशान हो गए हैं. लगातार पानी बढ़ने से लोगों का पलायन जारी है.