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सहजन की खेती बदलेगी किसानों की किस्मत

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर सहजन की खेती से मुनाफा कमाने की उम्मीद में लगे हैं. सहजन का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसीलिए किसान इस खेती के साथ मिश्रित खेती कर रहे हैं.

किसान कर रहे सहजन की खेती.
किसान कर रहे सहजन की खेती.
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Published : Dec 5, 2020, 4:47 PM IST

मिर्जापुर: परंपरागत खेती को छोड़कर जिले में इस बार सैकड़ों किसान सहजन की खेती करने में जुटे हैं. खेत में इनके पौधे लहलहा रहे हैं. यह पौधे अब फल देने लगे हैं. साल भर में 2 बार उपज देने वाली सहजन किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने जा रही है. बता दें कि सहजन एक औषधि पौधा है. इसमें अंडे या नानवेज से ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. इसकी पत्तियां गाय भैंस को खिलाने पर फैट की मात्रा बढ़ जाती है. यही कारण है कि कई गांव में किसान सहजन की खेती कर रहे हैं. इनको उम्मीद है कि परंपरागत खेती से इस खेती में ज्यादा इनकम होगी.

औषधीय गुणों से भरपूर है सहजन
सब्जी की दुकानों पर आपने लंबी हरी हरी सहजन की फलियां देखी होंगी. इसे कुछ क्षेत्रों में मुनगा नाम से भी जाना जाता है. यह सहजन की फली केवल बढ़िया स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहतरीन गुणों से भरपूर होती है. इस फली का अचार, चटनी, सब्जियां खाने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. सहजन में नॉनवेज से ज्यादा प्रोटीन मिलता है. सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलेक्स प्रचुर मात्रा में होता है.

किसान कर रहे सहजन की खेती.

सैकड़ों किसान कर रहे खेती
परंपरागत खेती धान और गेहूं में लगातार घाटे को देखते हुए जनपद में लगभग 450 किसानों ने 70 हजार से ज्यादा तमिलनाडु वेराइटी का सहजन का पौधा लगाया हुआ है. यह पौधा साल में 2 बार फल देता है. मिर्जापुर के सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह परंपरागत खेती छोड़कर सहजन के साथ मिश्रित खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब सहजन और मिश्रित खेती करेंगे तभी किसानों की इनकम दुगनी हो पाएगी. उन्होंने बताया कि सहजन की खेती में अच्छा प्रॉफिट होने की संभावना है. योगेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि यह उनका पहला वर्ष है. उन्हें उम्मीद है कि 1 एकड़ में 3 से 4 लाख रुपये की इनकम हो सकती है. उनका कहना है कि वह पहले 1 एकड़ में 10 से 20 हजार रुपये तक ही कमा पा रहे थे. योगेंद्र ने बताया कि सहजन के ही खेत में उन्होंने टमाटर, कद्दू जैसे तमाम फल और सब्जियां लगाई हैं. उनका कहना है कि परंपरागत खेती के हिसाब से जो इनकम होती थी वह मिल जाएगी और सहजन से इनकी पूरी बचत हो जाएगी.

किसानों को 450 पौधे दिए गए फ्री
जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि सरकार की योजना थी कि सब को नि:शुल्क सहजन उपलब्ध कराया जाए. जिले में 70,000 से ज्यादा पौधे उपलब्ध कराए गए हैं, लगभग 450 पौधे किसानों को फ्री में दिए गए हैं. इनके फल तैयार होने वाले हैं. उन्होंने बताया कि इस पौधे की पत्तियां गाय-भैंस को खिलाने से उनमें दूध की मात्रा बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि किसान सहजन खुद खाएं और इससे अपना व्यापार भी करें, जिससे उनकी इनकम में इजाफा हो सके.

मिर्जापुर: परंपरागत खेती को छोड़कर जिले में इस बार सैकड़ों किसान सहजन की खेती करने में जुटे हैं. खेत में इनके पौधे लहलहा रहे हैं. यह पौधे अब फल देने लगे हैं. साल भर में 2 बार उपज देने वाली सहजन किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने जा रही है. बता दें कि सहजन एक औषधि पौधा है. इसमें अंडे या नानवेज से ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. इसकी पत्तियां गाय भैंस को खिलाने पर फैट की मात्रा बढ़ जाती है. यही कारण है कि कई गांव में किसान सहजन की खेती कर रहे हैं. इनको उम्मीद है कि परंपरागत खेती से इस खेती में ज्यादा इनकम होगी.

औषधीय गुणों से भरपूर है सहजन
सब्जी की दुकानों पर आपने लंबी हरी हरी सहजन की फलियां देखी होंगी. इसे कुछ क्षेत्रों में मुनगा नाम से भी जाना जाता है. यह सहजन की फली केवल बढ़िया स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत के लिहाज से भी बेहतरीन गुणों से भरपूर होती है. इस फली का अचार, चटनी, सब्जियां खाने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. सहजन में नॉनवेज से ज्यादा प्रोटीन मिलता है. सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलेक्स प्रचुर मात्रा में होता है.

किसान कर रहे सहजन की खेती.

सैकड़ों किसान कर रहे खेती
परंपरागत खेती धान और गेहूं में लगातार घाटे को देखते हुए जनपद में लगभग 450 किसानों ने 70 हजार से ज्यादा तमिलनाडु वेराइटी का सहजन का पौधा लगाया हुआ है. यह पौधा साल में 2 बार फल देता है. मिर्जापुर के सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह परंपरागत खेती छोड़कर सहजन के साथ मिश्रित खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब सहजन और मिश्रित खेती करेंगे तभी किसानों की इनकम दुगनी हो पाएगी. उन्होंने बताया कि सहजन की खेती में अच्छा प्रॉफिट होने की संभावना है. योगेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि यह उनका पहला वर्ष है. उन्हें उम्मीद है कि 1 एकड़ में 3 से 4 लाख रुपये की इनकम हो सकती है. उनका कहना है कि वह पहले 1 एकड़ में 10 से 20 हजार रुपये तक ही कमा पा रहे थे. योगेंद्र ने बताया कि सहजन के ही खेत में उन्होंने टमाटर, कद्दू जैसे तमाम फल और सब्जियां लगाई हैं. उनका कहना है कि परंपरागत खेती के हिसाब से जो इनकम होती थी वह मिल जाएगी और सहजन से इनकी पूरी बचत हो जाएगी.

किसानों को 450 पौधे दिए गए फ्री
जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि सरकार की योजना थी कि सब को नि:शुल्क सहजन उपलब्ध कराया जाए. जिले में 70,000 से ज्यादा पौधे उपलब्ध कराए गए हैं, लगभग 450 पौधे किसानों को फ्री में दिए गए हैं. इनके फल तैयार होने वाले हैं. उन्होंने बताया कि इस पौधे की पत्तियां गाय-भैंस को खिलाने से उनमें दूध की मात्रा बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि किसान सहजन खुद खाएं और इससे अपना व्यापार भी करें, जिससे उनकी इनकम में इजाफा हो सके.

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