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विदेश में फैलने लगी चंदौली के काले चावल की खुशबू, ऐसे हुई थी शुरूआत

चंदौली के काले चावल की खुशबू अब विदेश में भी फैलने लगी है. महज चंद वर्षों में ही यह चावल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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Chandauli black rice : पूरा होने लगा किसानों की आय दोगुना करने का पीएम-सीएम का सपना
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Published : Aug 13, 2022, 7:05 PM IST

चंदौलीः धान के कटोरे चंदौली में शुगर फ्री और औषधीय गुणों से भरपूर ब्लैक राइस का उत्पादन अब बड़े पैमाने पर होने लगा है. इसका निर्यात भी शुरू हो चुका है. सरकार इसकी पैदावार और मार्केटिंग में किसानों की मदद कर रही है. साथ ही ब्लैक राइस के वर्ल्ड क्लास उत्पादन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं.

नाबार्ड द्वारा प्रायोजित चंदौली के ब्लैक राइस फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के डायरेक्टर शशिकांत राय ने बताया कि 2018 में काला चावल की खेती की शुरुआत महज 25 प्रगतिशील किसानों के साथ से हुई थी. अब इन किसानों की संख्या 600 के पार हो चुकी है. काला चावल को प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड भी मिल चुका है. ब्लैक राइस को चंदौली जनपद का वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट (ओडीओपी) घोषित किया गया है.

मौजूदा समय में चंदौली में 400 हेक्टेयर से अधिक एरिया में काला चावल की खेती हो रही है. अभी तक 3400 कुंतल की पैदावार हो चुकी है. इसके अलावा करीब 1600 कुंतल काला चावल गल्फ देश, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में निर्यात किया जा चुका है. घरेलू बाजार में भी इसकी अच्छी डिमांड है.

उनके मुताबिक हम कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, उद्योग तथा बैंकों के साथ मिलकर किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिससे चंदौली के ब्लैक राइस की डिमांड ग्लोबल मार्केट में बढ़ायी जा सके. हाल ही में हमने 100 किसानों का 10 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाया है. हमारा जोर गोबर से निर्मित ऑर्गेनिक खाद की मदद से उत्पादन को बढ़ाना है. उन्होंने बताया कि योगी सरकार ने 2019 में चंदौली काला चावल कृषक समिति का गठन किया था. इसका मकसद बाजार उपलब्ध कराना था.चंदौली के किसानों के मुनाफे और बढ़ी आय को देखते हुए प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र, बलिया और गाज़ीपुर समेत कई जिलों में इसकी खेती शुरू हो गई है.

बता दें कि पीएम नरेन्द्र मोदी भी काला चावल की खेती और इसके उत्पादक किसानों की सराहना कर चुके हैं. वर्ष 2019 -20 में इसे प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिल चुका है. साथ ही योगी सरकार चंदौली का काला चावल नाम से इसकी ब्रांडिंग भी करती है. ब्लैक राइस की खेती करने के लिए जिला प्रशासन की और से इससे संबंधित अपडेट वैज्ञानिक जानकारी भी किसान सम्मेलनों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है.

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चंदौलीः धान के कटोरे चंदौली में शुगर फ्री और औषधीय गुणों से भरपूर ब्लैक राइस का उत्पादन अब बड़े पैमाने पर होने लगा है. इसका निर्यात भी शुरू हो चुका है. सरकार इसकी पैदावार और मार्केटिंग में किसानों की मदद कर रही है. साथ ही ब्लैक राइस के वर्ल्ड क्लास उत्पादन के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं.

नाबार्ड द्वारा प्रायोजित चंदौली के ब्लैक राइस फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के डायरेक्टर शशिकांत राय ने बताया कि 2018 में काला चावल की खेती की शुरुआत महज 25 प्रगतिशील किसानों के साथ से हुई थी. अब इन किसानों की संख्या 600 के पार हो चुकी है. काला चावल को प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड भी मिल चुका है. ब्लैक राइस को चंदौली जनपद का वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रॉडक्ट (ओडीओपी) घोषित किया गया है.

मौजूदा समय में चंदौली में 400 हेक्टेयर से अधिक एरिया में काला चावल की खेती हो रही है. अभी तक 3400 कुंतल की पैदावार हो चुकी है. इसके अलावा करीब 1600 कुंतल काला चावल गल्फ देश, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों में निर्यात किया जा चुका है. घरेलू बाजार में भी इसकी अच्छी डिमांड है.

उनके मुताबिक हम कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, उद्योग तथा बैंकों के साथ मिलकर किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, जिससे चंदौली के ब्लैक राइस की डिमांड ग्लोबल मार्केट में बढ़ायी जा सके. हाल ही में हमने 100 किसानों का 10 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाया है. हमारा जोर गोबर से निर्मित ऑर्गेनिक खाद की मदद से उत्पादन को बढ़ाना है. उन्होंने बताया कि योगी सरकार ने 2019 में चंदौली काला चावल कृषक समिति का गठन किया था. इसका मकसद बाजार उपलब्ध कराना था.चंदौली के किसानों के मुनाफे और बढ़ी आय को देखते हुए प्रयागराज, मिर्जापुर, सोनभद्र, बलिया और गाज़ीपुर समेत कई जिलों में इसकी खेती शुरू हो गई है.

बता दें कि पीएम नरेन्द्र मोदी भी काला चावल की खेती और इसके उत्पादक किसानों की सराहना कर चुके हैं. वर्ष 2019 -20 में इसे प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिल चुका है. साथ ही योगी सरकार चंदौली का काला चावल नाम से इसकी ब्रांडिंग भी करती है. ब्लैक राइस की खेती करने के लिए जिला प्रशासन की और से इससे संबंधित अपडेट वैज्ञानिक जानकारी भी किसान सम्मेलनों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है.

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