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पंचतत्व में विलीन हुए बिहार के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा, मंत्री और विधायकों ने दी अंतिम विदाई - सुनील भाई ओझा

Sunil Bhai Ojha Funeral : मिर्जापुर कछवां क्षेत्र के गड़ौली धाम आश्रम के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व सह प्रभारी और वर्तमान में बिहार राज्य के सह प्रभारी रहे सुनील भाई ओझा गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार गड़ौली धाम के गंगा घाट पर किया गया. उनके बड़े बेटे विरल और छोटे बेटे रुत्वीज ने मुखाग्नि दी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 5:39 PM IST

सुनील भाई ओझा को श्रद्धांजलि देतीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल.

मिर्जापुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रांत के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के गड़ौली धाम आश्रम के गंगा घाट पर किया गया. बड़े बेटे विरल और छोटे बेटे रुत्वीज ने मुखाग्नि दी. इस दौरान भाजपा के कई पदाधिकारी, मंत्री व विधायकों ने पहुंचकर श्रद्धांजलि दी.

इस दौरान उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य सहित भाजपा के कई देश प्रदेश के पदाधिकारी, मंत्री व विधायक मौजूद रहे. अंतिम दर्शन के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, भाजपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सम्राट चौधरी समेत कई विधायक सांसदों ने सुनील ओझा को पुष्प गुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. साथ ही उनके परिजनों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए. उनके बेटे विरल और रुत्वीज ने चिता में आग लगाई.

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल एस पार्टी की ओर से उन्हें विन्रम श्रद्धांजलि है. उन्होंने कई सालों से वाराणसी मिर्जापुर के क्षेत्र में काम किया है. उनके निधन से अपूर्णीय क्षति पहुंची है. भाजपा वरिष्ठ नेता सुनील ओझा का 29 नवंबर को सुबह 4.30 बजे गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में हार्टअटैक से निधन हो गया था. निधन की सूचना से भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई.

सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी थे. मूल रूप से गुजरात के रहने वाले सुनील ओझा ने अपने राजनीतिक जीवर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी. 1998 और 2002 में भावनगर (दक्षिण) निर्वाचन क्षेत्र से गुजरात विधानसभा के लिए विधायक थे. वर्ष 2007 में भाजपा ने टिकट काट दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, पार्टी का विरोध करते हुए 2007 के चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी थी.

फिर 2011 में भाजपा के करीब आ गए. गुजरात का प्रवक्ता बना दिया गया था. जब 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया तो सुनील ओझा को जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया. 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह को यूपी भाजपा का प्रभारी बनाया गया तो सुनील ओझा को सहप्रभारी बनाया गया था. वाराणसी चुनाव की जिम्मेदारी के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चुना था, तब से सुनील कुमार ओझा वाराणसी क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.

ये भी पढ़ेंः सुनील भाई ओझा को बिहार का सह प्रभारी बनाया गया, जानिए वजह

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सुनील भाई ओझा को श्रद्धांजलि देतीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल.

मिर्जापुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रांत के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. उनका अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के गड़ौली धाम आश्रम के गंगा घाट पर किया गया. बड़े बेटे विरल और छोटे बेटे रुत्वीज ने मुखाग्नि दी. इस दौरान भाजपा के कई पदाधिकारी, मंत्री व विधायकों ने पहुंचकर श्रद्धांजलि दी.

इस दौरान उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य सहित भाजपा के कई देश प्रदेश के पदाधिकारी, मंत्री व विधायक मौजूद रहे. अंतिम दर्शन के लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, भाजपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष भाजपा सम्राट चौधरी समेत कई विधायक सांसदों ने सुनील ओझा को पुष्प गुच्छ अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. साथ ही उनके परिजनों ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए. उनके बेटे विरल और रुत्वीज ने चिता में आग लगाई.

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल एस पार्टी की ओर से उन्हें विन्रम श्रद्धांजलि है. उन्होंने कई सालों से वाराणसी मिर्जापुर के क्षेत्र में काम किया है. उनके निधन से अपूर्णीय क्षति पहुंची है. भाजपा वरिष्ठ नेता सुनील ओझा का 29 नवंबर को सुबह 4.30 बजे गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में हार्टअटैक से निधन हो गया था. निधन की सूचना से भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई.

सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी थे. मूल रूप से गुजरात के रहने वाले सुनील ओझा ने अपने राजनीतिक जीवर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी. 1998 और 2002 में भावनगर (दक्षिण) निर्वाचन क्षेत्र से गुजरात विधानसभा के लिए विधायक थे. वर्ष 2007 में भाजपा ने टिकट काट दिया तो निर्दलीय चुनाव लड़े और हार गए. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, पार्टी का विरोध करते हुए 2007 के चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी थी.

फिर 2011 में भाजपा के करीब आ गए. गुजरात का प्रवक्ता बना दिया गया था. जब 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया तो सुनील ओझा को जिम्मेदारी संभालने के लिए भेजा गया. 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले अमित शाह को यूपी भाजपा का प्रभारी बनाया गया तो सुनील ओझा को सहप्रभारी बनाया गया था. वाराणसी चुनाव की जिम्मेदारी के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें चुना था, तब से सुनील कुमार ओझा वाराणसी क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.

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