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मिर्जापुर: जल संचयन, जल संरक्षण जीवन हरियाली के लिए श्रमिक बहा रहे पसीना

यूपी के मिर्जापुर जिले में लौटे मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध कराया गया है. मनरेगा योजना के तहत जल संचनय, जल संरक्षण हरियाली जीवन के लिए श्रमिकों से तालाबों की खुदाई, नहरों की सिल्ट सफाई और मेड़बंदी जैसे कामों के जरिए रोजगार दिया गया है.

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मनरेगा के तहत तालाबों की हो रही खुदाई.
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Published : Jun 3, 2020, 9:28 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: गैर प्रांतों से अपने गांव लौटे मजदूरों के जोश और जज्बे में कमी नजर नहीं आ रही है. लॉकडाउन में श्रमिक अपनी मेहनत से गांव की सूरत बदल रहे हैं. जल संचयन, जल संरक्षण जीवन हरियाली के लिए कुदाल और फावड़ा लेकर ताल-तलैया खोदने में जुटे हैं. जनपद मिर्जापुर के सभी 809 ग्राम पंचायतों में 2700 जगहों पर मनरेगा योजना अंतर्गत स्थानीय ग्रामीण मजदूरों के साथ जो बाहर से लौटे हैं, वह भी छोटे बड़े जलाशयों को खोद कर सहेजने का काम कर रहे हैं.

मनरेगा के तहत तालाबों की हो रही खुदाई.

जल संचयन, जल संरक्षण के लिए हो रहे कार्य
लॉकडाउन में पलायन को मजबूर मजदूरों के लिए मनरेगा सहारा बन गया है. मिर्जापुर के सभी ग्राम सभा में 20 अप्रैल से मनरेगा योजना अंतर्गत जल संचयन, जल संरक्षण के लिए युद्ध स्तर पर तालाब, बंधी निर्माण, सिंचाई के लिए नालों का निर्माण, नहरों की सिल्ट सफाई, मेड़बंदी और समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है. प्रतिदिन एक ग्राम पंचायत में औसतन 126 श्रमिकों को मनरेगा योजना के अंतर्गत रोजगार प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया है.

रोजगार देने के मामले में चौथे स्थान पर है जिला
एक लाख से अधिक श्रमिकों और प्रवासियों को रोजगार देने के साथ ही अब तक मजदूरी के मद में 17 करोड़ 82 लाख का भुगतान किया जा चुका है. जिले में कुल 2700 प्रोजेक्ट मनरेगा योजना के अंतर्गत चल रहे हैं. इसमें 3000 कार्ड बाहर से आए मजदूरों के बनाए गए हैं, जो कार्य कर रहे हैं. मजदूरों को अब अपने गांव में ही काम मिल रहा है और गांव के विकास में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. वहीं मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के मामले में मिर्जापुर चौथे स्थान पर आ गया है.

हो रही स्किल मैंपिंग
मनरेगा से होने वाली कमाई से मजदूरों के परिवार का खर्च भी चल रहा है. आर्थिक तंगी से कोई श्रमिक परेशान न हो इसके लिए बाहर से आ रहे मजदूरों की स्किल मैपिंग की जा रही है. जो बाहर रहकर गैर प्रांतों में कार्य करते थे, उसी के आधार पर यहां काम देने की कोशिश की जा रही है. साथ ही जो अनस्किल्ड लेबर हैं उन्हें मनरेगा और श्रम विभाग से लाभ दिया जा रहा है. मनरेगा योजना के तहत जल संचयन के लिए तालाबों का गहरीकरण, खेतों में तालाब बनाना, नाली निर्माण और बंधी निर्माण जैसे कार्य हो रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- मिर्जापुर: लॉकडाउन में बग्घी, डीजे और रोड लाइट वाले परेशान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

इन कार्यों का निरीक्षण जिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह पटेल और मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह कर रहे हैं और लेबरों से परेशानियां पूछ रहे हैं. डीएम का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत जो कार्य किया जा रहा है, उसका मुख्य उद्देश्य जल संचयन है, ताकि वर्षा का जल संचयन किया जा सके. उन्होंने कहा कि सभी को रोजगार दिया जा रहा है. कोई बिना रोजगार का नहीं रहेगा.

मिर्जापुर: गैर प्रांतों से अपने गांव लौटे मजदूरों के जोश और जज्बे में कमी नजर नहीं आ रही है. लॉकडाउन में श्रमिक अपनी मेहनत से गांव की सूरत बदल रहे हैं. जल संचयन, जल संरक्षण जीवन हरियाली के लिए कुदाल और फावड़ा लेकर ताल-तलैया खोदने में जुटे हैं. जनपद मिर्जापुर के सभी 809 ग्राम पंचायतों में 2700 जगहों पर मनरेगा योजना अंतर्गत स्थानीय ग्रामीण मजदूरों के साथ जो बाहर से लौटे हैं, वह भी छोटे बड़े जलाशयों को खोद कर सहेजने का काम कर रहे हैं.

मनरेगा के तहत तालाबों की हो रही खुदाई.

जल संचयन, जल संरक्षण के लिए हो रहे कार्य
लॉकडाउन में पलायन को मजबूर मजदूरों के लिए मनरेगा सहारा बन गया है. मिर्जापुर के सभी ग्राम सभा में 20 अप्रैल से मनरेगा योजना अंतर्गत जल संचयन, जल संरक्षण के लिए युद्ध स्तर पर तालाब, बंधी निर्माण, सिंचाई के लिए नालों का निर्माण, नहरों की सिल्ट सफाई, मेड़बंदी और समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है. प्रतिदिन एक ग्राम पंचायत में औसतन 126 श्रमिकों को मनरेगा योजना के अंतर्गत रोजगार प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया गया है.

रोजगार देने के मामले में चौथे स्थान पर है जिला
एक लाख से अधिक श्रमिकों और प्रवासियों को रोजगार देने के साथ ही अब तक मजदूरी के मद में 17 करोड़ 82 लाख का भुगतान किया जा चुका है. जिले में कुल 2700 प्रोजेक्ट मनरेगा योजना के अंतर्गत चल रहे हैं. इसमें 3000 कार्ड बाहर से आए मजदूरों के बनाए गए हैं, जो कार्य कर रहे हैं. मजदूरों को अब अपने गांव में ही काम मिल रहा है और गांव के विकास में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. वहीं मनरेगा के तहत मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के मामले में मिर्जापुर चौथे स्थान पर आ गया है.

हो रही स्किल मैंपिंग
मनरेगा से होने वाली कमाई से मजदूरों के परिवार का खर्च भी चल रहा है. आर्थिक तंगी से कोई श्रमिक परेशान न हो इसके लिए बाहर से आ रहे मजदूरों की स्किल मैपिंग की जा रही है. जो बाहर रहकर गैर प्रांतों में कार्य करते थे, उसी के आधार पर यहां काम देने की कोशिश की जा रही है. साथ ही जो अनस्किल्ड लेबर हैं उन्हें मनरेगा और श्रम विभाग से लाभ दिया जा रहा है. मनरेगा योजना के तहत जल संचयन के लिए तालाबों का गहरीकरण, खेतों में तालाब बनाना, नाली निर्माण और बंधी निर्माण जैसे कार्य हो रहे हैं.

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इन कार्यों का निरीक्षण जिलाधिकारी सुशील कुमार सिंह पटेल और मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह कर रहे हैं और लेबरों से परेशानियां पूछ रहे हैं. डीएम का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत जो कार्य किया जा रहा है, उसका मुख्य उद्देश्य जल संचयन है, ताकि वर्षा का जल संचयन किया जा सके. उन्होंने कहा कि सभी को रोजगार दिया जा रहा है. कोई बिना रोजगार का नहीं रहेगा.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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