मेरठ : उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. आर्थिक कारणों के चलते अपने सपनों को पूरा करने की ख्वाहिश मन में दबाए बैठे युवा छात्र छात्राएं बुलंदियां छू रहे हैं और कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. युवाओं ने अपनी कामयाबी के अनुभव ईटीवी भारत से साझा किए. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभ्युदय योजना की शुरूआत की थी. अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. प्रतिभाशाली युवक युवतियां घर में पैसे के अभाव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहे थे. अभ्युदय योजना का साथ मिलने से ऐसे प्रतिभावान युवा कामयाबी की नई राह के साथ नई ऊंचाइयां भी छू रहे हैं.
मेरठ जिले की उझमा कहती हैं कि उन्हें अपनी एक दोस्त के जरिए अभ्युदय योजना के बारे में जानकारी हुई थी. इसके बाद उन्होंने एंट्रेंस दिया और अब वे यहां अपने सपने को पूरा करने के लिए यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं. वे कहती हैं कि आर्थिक कारणों से जो सपना पूरा करने के बारे में जो स्टूडेंट्स सोच तक नहीं पा रहे थे. अब वे इस योजना से जुड़कर आगे बढ़ रहे हैं. सिमरन कर्दम कहती हैं कि वे आर्थिक तौर पर बेहद ही कमजोर परिवार से ताल्लुक रखती हैं. अभ्युदय योजना का सहारा उन्हें मिला तो एक के बाद एक अब तक 10 अलग अलग कम्पीटिशन में खुद को साबित करके दिखा दिया. फिलहाल भटकना नहीं है सिर्फ यूपीएससी ही हमारा लक्ष्य है. लाएबा खान भी ऐसे ही परिवार से हैं जहां आर्थिक संकट बना रहता है, लेकिन सिविल सेवा में जाना सपना है. लाइबा कहती हैं कि सरकार की इस योजना का लाभ वे ले रही हैं. लाएबा अब तक कई कम्पीटिशन पास कर चुकी हैं.
जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह (District Social Welfare Officer Sunil Kumar Singh) का कहना है कि अभ्युदय योजना के माध्यम से भिन्न भिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा मेहनत और लगन से निरन्तर खुद को साबित करने को प्रयासरत हैं. उन्होंने बताया कि 10 से ज्यादा बच्चे आईएएस, कई मेंस के साथ नीट, JEE सहित कई परीक्षा क्लियर कर चुके हैं. प्रशासनिक सेवाओं में भी तैयारी करने वाले छात्र अच्छे परिणाम ला रहे हैं. मेरठ के कंकर खेड़ा निवासी आकांक्षा सिवाच (Akanksha Siwach, resident of Kankar Kheda, Meerut) ने सीडीएस परीक्षा में देश में छठी रैंक प्राप्त की है. ऐसे ही सीसीएस यूनिवर्सिटी में चल रहे सेंटर में शिक्षा ले रही सिमरन कदम ने 10 अलग-अलग कंपटीशन क्लियर कर लिए हैं. बुलंदशहर जिले की डिबाई तहसील की दूरी मेरठ से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर है. वहां से आकर अभ्युदय योजना की तैयारी कर रहे देवेश ने बताया कि कई कम्पीटिशन क्लियर कर चुका है. इसका श्रेय सरकार को जाता है, क्योंकि जिस कोचिंग को सरकार निःशुल्क करा रही है, इसके लिए लाखों रुपये निजी कोचिंग सेंटर में खर्चने पड़ते हैं. फिलहाल मेरे परिवार की हालत ऐसी नहीं थी कि वे हमें तैयारी कर पाते.
जिला समाज कल्याण अधिकारी (District Social Welfare Officer) के अनुसार मेरठ में अभ्युदय योजना के लिए दो सेंटर बनाए गए हैं. एक सेंटर वेद इंटरनेशनल स्कूल तो दूसरा सेंटर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में बनाया गया है. मेरठ में 750 युवाओं ने अभ्युदय योजना में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था जबकि 400 से ज्यादा युवा इस योजना के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. समय समय पर मेरठ मंडल कमिश्नर, डीएम, सीडीओ सहित तमाम आईएएस अधिकारी भी समय-समय पर जाकर इन युवाओं को मोटिवेट करते हैं, जो कुशल व योग्य टीचर्स अलग अलग विषय के होते हैं जो कि कोटा या अन्य स्थानों पर कोचिंग देते थे या अभी भी देते हैं, ऐसे गुरुजनों का सहयोग लिया जाता है.