मेरठ : थाना खरखौदा इलाके के लोहिया नगर में शनिवार को उस समय जबरदस्त हंगामा हो गया, जब मेरठ विकास प्राधिकरण की टीम एक जमीन पर पुलिस बल के साथ कब्जा लेने पहुंच गई. इस दौरान प्राधिकरण की टीम का जबरदस्त विरोध हुआ. जहां जमीन के मालिकों एवं किसानों ने जमकर हंगामा किया, वहीं महिलाओं ने तेल छिड़क कर आत्मदाह की चेतावनी दी. उनका कहना है कि उन्हें न तो कोई मुआवजा मिला है और न ही शासन से इस जमीन के मामले में कोई आदेश आया है.
लोगों ने एमडीए के अधिकारियो पर फर्जी तरीके से उक्त करोड़ों की विवादित जमीन को किसी अन्य शख्स को आवंटित करने का आरोप लगाया. जबकि उक्त जमीन का मामला अभी हाईकोर्ट में विचारधीन है.
क्या है मामला
बता दें कि शुक्रवार की शाम को मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी भारी पुलिस फोर्स के साथ थाना खरखौदा इलाके के लोहिया नगर पहुंचे, जहां उन्होंने जमीन पर प्राधिकरण का मालिकाना हक जताते हुए कब्जा कब्जा करना शुरू कर दिया. इस पर स्थानीय लोगों ने उक्त जमीन पर अपना हक जताया और जमीन सबंधी दस्तावेज दिखाए. बावजूद इसके प्राधिकरण की टीम ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी, जिससे गुस्साए लोग MDA की टीम के विरोध में उतर आए.
अधिकारियों का किया घेराव
बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने प्राधिकरण अधिकारियों का घेराव कर लिया. स्थानीय लोगों ने अधिकारियों को जमीन के आवंटन किए जाने की बात कही, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. जमीन के मालिकों ने जमीन से संबंधित कागजात प्राधिकरण अधिकारियों को दिखाए, जिसके बाद अधिकारी बगले झांकते नजर आए.
कब्जा मुक्त कराए बिना ही वापस लौटी टीम
मामला इतना बढ़ गया कि इस दौरान महिलाओं ने तेल छिड़ककर आत्मदाह की चेतावनी दे डाली. कई महिलाएं मिट्टी के तेल से भरी कैन लेकर मौके पर पहुंच गईं और अपने ऊपर तेल छिड़कने लगी. हंगामा बढ़ते देख प्राधिकरण की टीम और पुलिस को जमीन को कब्जा मुक्त कराए बिना ही वापस लौटना पड़ा.
प्राधिकरण ने 2012 में आवंटित की थी जमीन
जमीन के बैनामा धारक पक्ष के लोगों का कहना है कि जमीन के सर्वेक्षण के बाद एक प्रस्ताव 2012 में खुद प्राधिकरण की एक बैठक में पास किया गया था, जिसमें प्राधिकरण द्वारा शासन को जमीन को अर्जन मुक्त कराने की संस्तुति की गई थी, जिसका बाकायदा आदेश पत्र भी लोगों ने मौके पर दिखाया है. ये मामला तब से शासन के पास विचारधीन है, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से करोड़ों की जमीन का आवंटन किसी अन्य शख्स को कर दिया गया. जबकि इस जमीन के बैनामा धारक, किसानों को किसी तरह का कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया.