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मेरठ: मौसम की मार से इस बार गेहूं की बुवाई पर मंडराया संकट

पश्चिमी यूपी में भारी बारिश के कारण इस बार गेहूं की बुवाई प्रभावित हुई है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो गेहूं के लिए जनवरी की बारिश लाभकारी साबित होती है, लेकिन तराई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश नुकसान का कारण भी बन जाती है.

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मौसम का रंग देख किसान परेशान
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Published : Jan 30, 2020, 3:44 AM IST

मेरठ: पश्चिमी यूपी में इस बार औसत से अधिक बारिश होने से गेहूं की बुवाई प्रभावित हुई है. सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश जहां गेहूं की फसल के लिए वरदान मानी जाती है, वहीं इस बार अधिक बारिश होने की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई कम हो सकी है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में इस बार उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है.

जानकारी देते प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो गेहूं के लिए जनवरी की बारिश लाभकारी साबित होती है, लेकिन तराई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश नुकसान का कारण भी बन जाती है. ऐसी फसल जहां 21 दिन बुवाई के बाद बारिश हुई, वहां यह बारिश गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होती है, लेकिन जहां बुवाई देर से की जाती है, वहां यह बारिश नुकसान का कारण बन जाती है.

पश्चिमी यूपी के जिले मेरठ और आसपास के इलाकों में अधिकतर किसान गन्ना चीनी मिलों में डालने के बाद गेहूं की बुवाई करते हैं. इस बार दिसंबर के बाद जनवरी में भी औसत से अधिक बारिश हुई, जिस कारण खेत गेहूं की बुवाई के लिए तैयार ही नहीं हो सके. जिन किसानों ने बुवाई की भी उनकी फसल भी प्रभावित हो रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि बारिश की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई इस बार प्रभावित हो गई है. ऐसे किसान जो गेहूं की बुवाई नहीं कर सके और उनके खेत खाली रह गए. वह अब जायद की फसलों की बुवाई कर अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.

मेरठ: पश्चिमी यूपी में इस बार औसत से अधिक बारिश होने से गेहूं की बुवाई प्रभावित हुई है. सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश जहां गेहूं की फसल के लिए वरदान मानी जाती है, वहीं इस बार अधिक बारिश होने की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई कम हो सकी है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में इस बार उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है.

जानकारी देते प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो गेहूं के लिए जनवरी की बारिश लाभकारी साबित होती है, लेकिन तराई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश नुकसान का कारण भी बन जाती है. ऐसी फसल जहां 21 दिन बुवाई के बाद बारिश हुई, वहां यह बारिश गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होती है, लेकिन जहां बुवाई देर से की जाती है, वहां यह बारिश नुकसान का कारण बन जाती है.

पश्चिमी यूपी के जिले मेरठ और आसपास के इलाकों में अधिकतर किसान गन्ना चीनी मिलों में डालने के बाद गेहूं की बुवाई करते हैं. इस बार दिसंबर के बाद जनवरी में भी औसत से अधिक बारिश हुई, जिस कारण खेत गेहूं की बुवाई के लिए तैयार ही नहीं हो सके. जिन किसानों ने बुवाई की भी उनकी फसल भी प्रभावित हो रही है.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि बारिश की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई इस बार प्रभावित हो गई है. ऐसे किसान जो गेहूं की बुवाई नहीं कर सके और उनके खेत खाली रह गए. वह अब जायद की फसलों की बुवाई कर अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.
Intro:मेरठ: मौसम की मार से इस बार गेहूं की बुवाई पर मंडराया संकट

वेस्ट यूपी में इस बार औसत से अधिक बारिश होने से उन किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है जो जनवरी में गेहूं की बुवाई करते हैं।

मेरठ। सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश जहां गेहूं की फसल के लिए वरदान मानी जाती है, वहीं इस बार अधिक बारिश होने की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई कम हो सकी है। ऐसे में वेस्ट यूपी में इस बार उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है।


Body:कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो गेहूं के लिए जनवरी की बारिश लाभकारी साबित होती है लेकिन तराई वाले क्षेत्रों में अत्यधिक भारी बारिश नुकसान का कारण भी बन जाती है। ऐसी फसल जहां 21 दिन बुवाई के बाद बारिश हुई वहां यह बारिश गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होती है, लेकिन जहां बुवाई देर से की जाती है वहां यह बारिश नुकसान का कारण बन जाती है। वेस्ट यूपी में मेरठ और आसपास के इलाकों में अधिकतर किसान गन्ना चीनी मिलों में डालने के बाद गेहूं की बुवाई करते हैं। इस बार दिसंबर के बाद जनवरी में भी औसत से अधिक बारिश हुई जिस कारण खेत बुवाई के लिए तैयार ही नहीं हो सके। जिन किसानों ने बुवाई की भी उनकी फसल भी प्रभावित हो रही है।




Conclusion:सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सत्यप्रकाश ने बताया कि बारिश की वजह से देर से की जाने वाली गेहूं की बुवाई इस बार प्रभावित हो गई है। ऐसे किसान जो गेहूं की बुवाई नहीं कर सके और उनके खेत खाली रह गए वह अब जायद की फसलों की बुवाई कर अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं।

बाइट- डाॅ सत्यप्रकाश, प्रोफेसर कृषि विश्वविद्यालय

अजय चौहान
9897799794
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