मेरठः चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा के आह्वान पर यूनिवर्सिटी में कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य यूनिवर्सिटी के समस्त कर्मचारियों को कोरोना जैसी महामारी से बचाने के साथ-साथ अपनी पुरानी संस्कृति की ओर ध्यान आकर्षित करना है.
कुलपति नरेंद्र कुमार तनेजा का कहना है कि हिन्दुत्व धर्म नहीं जीवन शैली है. भारतीय संस्कृति हमेशा से ही श्रेष्ठ रही है, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के चक्कर में हम अपनी संस्कृति को भूल गए हैं. जबकि पूरी दुनिया भारतीय संस्कृति को अपना रही है. कोरोना जैसी महामारी में केवल भारतीय संस्कृति को अपनाकर ही बचाव किया जा सकता है. इस अभियान की जिम्मेदारी प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला के निर्देशन में जन्तु विज्ञान विभाग को सौंपी गई है.
कुलपति ने दिए 7 मंत्र
कुलपति का कहना है कि नमस्ते जैसा भारतीय अभिवादन ही श्रेयस्कर है. भारतीय संस्कृति में हाथ मिलाने की परंपरा कभी नहीं रही. हम हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया करते थे. यही हाथ जोड़ने की परंपरा ही कोरोना जैसी महामारी में काम आ रही है.
जूते-चप्पल घर के बाहर ही रखें
भारतीय संस्कृति में घर में जूते चप्पल ले जाने की परंपरा नहीं थी. हम घर के बाहर ही अपने जूते या चप्पल उतार दिया करते थे. उसके बाद घर के बाहर ही लगे नल पर हाथ-पांव धोकर ही घर के अंदर प्रवेश करते थे. कोरोना महामारी में अब घर के बाहर अपना सारा सामान रखकर घर के अंदर प्रवेश करते हैं.
नीम का जीवन शैली में महत्व
कुलपति के मुताबिक नीम के पत्ते का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है. पहले हमारे घरों में नीम का पेड़ जरूर होता था. नीम की ही हम दातून किया करते थे. किसी प्रकार की चर्म रोग होने पर नीम के पानी से स्नान किया करते थे. कान में दर्द या शरीर में कोई दर्द होने पर नीम के तेल की मालिश किया करते थे.
दो बार करते थे स्नान
भारतीय संस्कृति में दिन में दो बार स्नान करने का प्रचलन था. सुबह स्नान करके पूजा पाठ किया करते थे और दूसरी बार शाम को स्नान करके संध्या किया करते थे. कोरोना महामारी में भी हम बाहर से आने के बाद स्नान कर रहे हैं.
ताजा भोजन ही स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ
बताया गया कि हमारी संस्कृति में बासी भोजन का कोई महत्व नहीं था. हमारे घरों में तीनों समय हमेशा ताजा भोजन बनता था. यदि घर में भोजन बच जाता था तो वह हम घर में पल रहे पशुओं को दे देते थे.
घर के बाहर धोते थे कपड़े
पुराने रीति रिवाजों को देखने पर पता चलता है कि पहले लोग घर के बाहर ही तालाब या फिर नदी में कपड़े धोते थे. घर के अंदर कभी कपड़े नहीं धोये जाते थे. कोरोना महामारी में भी हम प्रयास करते हैं कि घर के अंदर नहीं बल्कि बाहर ही आंगन आदि में कपड़े को धोया जाए.
योग का बड़ा महत्व
कुलपति के मुताबिक भारतीय संस्कृति में योग का बहुत महत्व है. योग के माध्यम से हम अपनी श्वसन क्रिया को मजबूत करते हैं. इसके अलावा योग करने से शारीरिक मजबूती भी बनी रहती है. कोरोना सबसे पहले श्वसन तंत्र पर ही हमला करता है. इसलिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और प्रतिदिन योग करें.
जंतु विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीलू जैन का कहना है कि कुलपति स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान की शुरूआत की गई है. इस अभियान को कई चरणों में चलाएंगे. इसमें यूनिवर्सिटी में काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य का परीक्षण भी किया जाएगा. कुलपति नरेंद्र कुमार तनेजा ने पहले चरण में शिक्षक और कर्मचारियों को कोरोना से बचने के लिए सात सूत्र का पालन करने का आह्वान किया है.