मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में पराली से मशरूम उत्पादन का सफल प्रयोग किया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रयोग से जहां पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगेगी. वहीं, किसान इसकी खेती कर मुनाफा भी कमा सकते हैं.
अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं किसान
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने धान की पराली जलाने से होने वाली समस्याओं को देखते हुए पराली का उपयोग मशरूम उत्पादन में करके देखा. इस प्रयोग के सफल परिणाम सामने आए. विशेषज्ञों का मानना है कि धान की पराली मशरूम की खेती के लिए अच्छा विकल्प है. पराली का मशरूम की खेती में उपयोग कर किसान अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं.
पैडी स्ट्रॉ मशरूम का अच्छा उत्पादन
धान की पराली में पैडी स्ट्रॉ मशरूम, ढिंगरी या ऑस्टर मशरूम, मिल्की या दूधिया मशरूम, बटन मशरूम आदि को उगाया जा सकता है. पैडी स्ट्रॉ मशरूम का उत्पादन धान की पराली में सबसे अच्छा देखने को मिला है.
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प्रदूषण से भी बचा जा सकता है
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर एस सेंगर का कहना है कि धान की पराली को मशरूम की खेती में उपयोग करने से किसान अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं. साथ ही धान की पराली को जलाने से होने वाले प्रदूषण से भी बचा जा सकता है.
उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षण
मशरूम उत्पादन इंचार्ज डॉ. गोपाल सिंह का कहना है की धान की पराली से मशरूम उत्पादन में अच्छे परिणाम सामने आए हैं, इसीलिए मशरूम उत्पादन के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. किसानों को मशरूम की खेती के वेज्ञानिक तरीके से करने की सलाह और कैसे आमदनी बढ़ाई जाए. इसकी जानकारी देते हुए जागरूक किया जा रहा है. बाजार में मशरूम की अच्छी डिमांड होने के कारण यह मुनाफे वाली फसल साबित हो रही है.