मेरठ: उत्तर प्रदेश में लघु उद्योग, खादी, वस्त्र उद्योग, रेशम उद्योग, निर्यात प्रोत्सान राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने सोमवार को कंकरखेड़ा स्थित रेशम फार्म का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि उत्तर प्रदेश, रेशम के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने. उन्होंने अधिक से अधिक किसानों व भूमिहीनों को रेशम उद्योग से जोड़ने की बात कही, ताकि यह उनकी आय का स्त्रोत बन सके.
आय का स्त्रोत बने रेशम
उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म लघु उद्योग व रेशम उद्योग के राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने सोमवार को कंकरखेड़ा स्थित रेशम फार्म का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान राज्यमंत्री ने रेशम को किसानों व भूमिहीनों की आय का स्त्रोत बनाने पर जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि वह बताएं कि सरकार के लक्ष्यों को पूरा करने में किस हद तक सफल हुये हैं. उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि मेरठ जिले में कितने रुपयों का रेशम उत्पादन हुआ तथा कितना फैक्ट्रियों में गया. राज्यमंत्री ने कहा कि रेशम किसानों, भूमिहीनों आदि के लिए आय का स्त्रोत बने इस पर कार्य करें. अधिक से अधिक किसानों, भूमिहीनों व घर पर व्यवसाय आदि कार्य करने वाली महिलाओं को रेशम उद्योग से जोड़ें.
घर-घर व्यापार बनाने पर करें मंथन
राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं कि रेशम किसानों व अन्य लोगों के लिए घर-घर का व्यापार बने, इस पर मंथन करें. कार्ययोजना बनाकर कार्य करें. उन्होंने कहा कि दूसरे प्रदेशों से रेशम यूपी में आ रहा है, हमें यूपी को ही रेशम के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है. उन्होंने कहा कि रेशम एक जनपद एक उत्पाद की तरह एक ग्राम एक उत्पाद, एक ब्लाॅक एक उत्पाद आदि भी हो सकता है.
राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कंकरखेडा स्थित राजकीय रेशम कीट पालन केंद्र का निरीक्षण करते समय अधिकारियों से रेशम फार्म की दीवार विवाद के संबंध में पूछा. इसके बाद राज्यमंत्री ने निर्देशित किया कि अधिकारी कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखें और दीवार विवाद को सुलझाएं.
जिले के रेशम फार्मों की दी जानकारी
रेशम विभाग के सहायक निदेशक जीपी अनुरागी ने बताया कि रेशम विभाग केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप कार्य करता है. उन्होंने बताया कि मेरठ में रेशम के तीन फार्म हैं, जो हस्तिनापुर, बहसूमा व महमूद सिकरेडा में हैं.
उन्होंने बताया कि रेशम फार्म कंकरखेड़ा में 30 लाख डीएफएल की क्षमता है. निरीक्षण के दौरान पंचायती राज प्रकोष्ठ के सह संयोजक सुरेन्द्र पाल सिंह तेवतिया भी मौजूद रहे.