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निकाय चुनाव में ही गठबंधन में दरार तो कैसे लगेगी 2024 में नैया पार, जानिए पश्चिम की सियासी बयार - आजाद समाज पार्टी

निकाय चुनाव में कई राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन भी अलग-थलग पड़ रहे हैं. नतीजतन चुनाव में इसका असर पड़ना तय माना जाना है. बावजूद इसके सियासी दल अपने गठबंधन की मजबूती का दावा कर रहे हैं. जानें कैसे और किस हालात से दल सियासी गठबंधन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

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Published : May 2, 2023, 1:59 PM IST

Updated : May 2, 2023, 2:49 PM IST

मेरठ के सियासी समीकरण पर बातचीत.

मेरठ : यूपी में पिछले साल जब विधानसभा चुनाव हुआ तो सपा-आरएलडी में गठबंधन हुआ था। तब दोनों दलों के नेता एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर खूब प्रचार प्रसार करते एक साथ देखे गए. वही गठबंधन अब न सिर्फ बरकरार है, बल्कि अब तो तीसरा साथी भी आजाद समाज पार्टी के तौर पर गठबंधन में है. वर्ष 2024 से पहले किसी भी दल की दिशा और दशा तय करने के लिए अहम माने जा रहे निकाय चुनावों में अभी तक कहीं भी अखिलेश, जयंत और चंद्रशेखर एक साथ दिखाई नहीं दे रहे हैं. वहीं बीजेपी की तरफ से सीएम योगी से लेकर प्रदेश के सीनियर लीडर तक पूरी ताकत से इन चुनावों में सक्रिय हैं. जानिए क्या कहते हैं पश्चिम में मजबूत मानी जाने वाली रालोद के नेताओं कर मन की बात.


यूपी में होने जा रहे निकाय चुनावों को लेकर खासतौर से समाजवादी पार्टी रालोद और आजाद समाज पार्टी एक साथ होने का दम भर रही हैं. बीजेपी के बड़े बड़े नेता खुद अपने अपने उम्मीदवारों और दावेदारों को जीत के मंत्र दे रहे हैं. ऐसे में गठबंधन का कोई भी बड़ा नेता कहीं भी किसी भी प्रत्याशी की पावर बढाने को अभी तक साथ नजर आता दिखाई नहीं देता. हालांकि गठबंधन से चुनाव लड़कर जीत हासिल करने का दावा गठबंधन के तमाम नेता लगातार कर रहे हैं. निकाय चुनाव को 2024 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. इस टेस्ट को देने में जयंत और अखिलेश की कहीं कोई दिलचस्पी अभी तक दिखाई नहीं दे रही है.


देखा जा रहा है कि कहीं नगर पालिका चेयरमैन के प्रत्याशी के तौर पर सपा और रालोद के प्रत्याशी आमने-सामने हैं तो कहीं पार्षद और सभासद के चुनाव में भी सपा और रालोद प्रत्याशी आमने-सामने हैं. ऐसे में पश्चिमी यूपी में मजबूत होने का दम भरने वाले राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से ईटीवी भारत ने खास बातचीत कर उनसे ही तमाम सवालों के जवाब जाने.
वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉक्टर मेहराजुद्दीन कहते हैं कि हमने खतौली मॉडल पर ही निकाय चुनावों को भी प्लान किया है. उपचुनाव में देखा था कि खतौली में बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों को मुंह की खानी पड़ी थी. उसी पैटर्न पर फिर हम गठबंधन के साथ आगे बढ़ रहे हैं और निश्चित ही हम बड़ी सफलता पाएंगे. जो बीजेपी अपना वोट काउंट कर रही है उसमें डिवीजन बहुत है.


निकाय चुनाव में आपस में सपा और आरएलडी के कार्यकर्ताओं में तल्ख़ियां बहुत हैं और कई जगह तो आमने सामने भी चुनाव लड़ रहे हैं? तो ऐसे में कैसे मजबूती मिलेगी ? इसके जवाब में वह कहते हैं कि यह छोटा चुनाव है और इसमें लेकिन बाद में सब आपस में एक हो जाते हैं और यहां भी ऐसा ही होगा. वह मानते हैं कि 2024 से पहले यह चुनाव जो निकाय के हो रहे हैं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इनसे निश्चित ही आगे की राजनीति की दिशा और दशा भी तय होगी. यूपी में निकाय चुनाव में भी भाजपा की तरफ से पूरी ताकत झोंकी जा रही है. सीएम योगी द्वारा निकाय चुनावों को लेकर प्रचार करने के मुद्दे पर पूर्व कैबिनेट मंत्री का कहना है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर राज्य का मुख्यमंत्री कहीं जाता है तो लाखों रुपये खर्च होते हैं. गठबंधन के शीर्ष नेता भी प्लान कर रहे हैं और जल्द ही अपने अपने प्रत्याशियों के लिए एक साथ एक जुट होकर प्रचार करते दिखेंगे.


राष्ट्रीय लोकदल की सामाजिक न्याय प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष संगीता दोहरे कहती हैं कि हमारा गठबंधन है और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन धर्म निभा रहा है और हम बहुत ही मजबूती से रणनीति के तहत एक साथ होकर प्रचार कर रहे हैं. रणनीति यही है कि सभी उसी तरह से जनता के बीच जाकर कार्य कर रहे हैं जैसे खतौली में किया था. गठबंधन के बावजूद सपा और रालोद इन दोनों पार्टियों के काफी जगह पर नेता आमने-सामने ताल ठोककर चुनाव लड़ रहे हैं तो क्या इससे तल्ख़ियां आने वाले समय में घटेंगी या बढ़ेंगी? इसके जवाब में संगीता दोहरे कहती हैं कि ऐसा कुछ सीटों पर है और इससे बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्या यह चुनाव गठबंधन को आसान लग रहा है जो शीर्ष नेतृत्व बीजपी की तरह एक्टिव नहीं है इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं कि शीर्ष नेतृत्व की भी मिटिंग लगाई गई हैं. सब साथ हैं. सभी आएंगे और दिखाई भी देंगे.


राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द शर्मा कहते हैं कि प्रयास किया गया, लेकिन मेल नहीं हुआ. कई जगह पर मित्र दलों में फ्रेंडली फाइट भी होती है. यह मानकर चलें कि हम अपने दलों के लिए प्रयास करेंगे जो जीत जाएं. वह कहते हैं कि इसको मित्रता की लड़ाई कहिएगा. क्या यह फ्रेंडली फाइट नुकसान नहीं देगी. इस कहना है कि इससे नुकसान तो है, लेकिन प्रयास किए गए. वह कहते हैं कि यह 2024 का लिटमस टेस्ट है. इसमें पूरा प्रयास करना ही चाहिए. धीरे धीरे कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं.

जानिए यूपी वेस्ट को

पश्चिम यूपी में चार नगर निगम आते हैं. इनमें मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर और मुरादाबाद शामिल हैं.
-58 नगरपालिका और 88 नगर पंचायत पश्चिम में हैं.
-लोकसभा की 14 महत्वपूर्ण सीट भी इसी पश्चिम में हैं.


यह भी पढ़ें : Pratapgarh News : आज थम जाएगा चुनाव प्रचार, कुंडा नगर पंचायत सीट पर दिलचस्प मुकाबले के आसार

मेरठ के सियासी समीकरण पर बातचीत.

मेरठ : यूपी में पिछले साल जब विधानसभा चुनाव हुआ तो सपा-आरएलडी में गठबंधन हुआ था। तब दोनों दलों के नेता एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर खूब प्रचार प्रसार करते एक साथ देखे गए. वही गठबंधन अब न सिर्फ बरकरार है, बल्कि अब तो तीसरा साथी भी आजाद समाज पार्टी के तौर पर गठबंधन में है. वर्ष 2024 से पहले किसी भी दल की दिशा और दशा तय करने के लिए अहम माने जा रहे निकाय चुनावों में अभी तक कहीं भी अखिलेश, जयंत और चंद्रशेखर एक साथ दिखाई नहीं दे रहे हैं. वहीं बीजेपी की तरफ से सीएम योगी से लेकर प्रदेश के सीनियर लीडर तक पूरी ताकत से इन चुनावों में सक्रिय हैं. जानिए क्या कहते हैं पश्चिम में मजबूत मानी जाने वाली रालोद के नेताओं कर मन की बात.


यूपी में होने जा रहे निकाय चुनावों को लेकर खासतौर से समाजवादी पार्टी रालोद और आजाद समाज पार्टी एक साथ होने का दम भर रही हैं. बीजेपी के बड़े बड़े नेता खुद अपने अपने उम्मीदवारों और दावेदारों को जीत के मंत्र दे रहे हैं. ऐसे में गठबंधन का कोई भी बड़ा नेता कहीं भी किसी भी प्रत्याशी की पावर बढाने को अभी तक साथ नजर आता दिखाई नहीं देता. हालांकि गठबंधन से चुनाव लड़कर जीत हासिल करने का दावा गठबंधन के तमाम नेता लगातार कर रहे हैं. निकाय चुनाव को 2024 का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. इस टेस्ट को देने में जयंत और अखिलेश की कहीं कोई दिलचस्पी अभी तक दिखाई नहीं दे रही है.


देखा जा रहा है कि कहीं नगर पालिका चेयरमैन के प्रत्याशी के तौर पर सपा और रालोद के प्रत्याशी आमने-सामने हैं तो कहीं पार्षद और सभासद के चुनाव में भी सपा और रालोद प्रत्याशी आमने-सामने हैं. ऐसे में पश्चिमी यूपी में मजबूत होने का दम भरने वाले राष्ट्रीय लोकदल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से ईटीवी भारत ने खास बातचीत कर उनसे ही तमाम सवालों के जवाब जाने.
वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉक्टर मेहराजुद्दीन कहते हैं कि हमने खतौली मॉडल पर ही निकाय चुनावों को भी प्लान किया है. उपचुनाव में देखा था कि खतौली में बीजेपी समेत सभी विपक्षी दलों को मुंह की खानी पड़ी थी. उसी पैटर्न पर फिर हम गठबंधन के साथ आगे बढ़ रहे हैं और निश्चित ही हम बड़ी सफलता पाएंगे. जो बीजेपी अपना वोट काउंट कर रही है उसमें डिवीजन बहुत है.


निकाय चुनाव में आपस में सपा और आरएलडी के कार्यकर्ताओं में तल्ख़ियां बहुत हैं और कई जगह तो आमने सामने भी चुनाव लड़ रहे हैं? तो ऐसे में कैसे मजबूती मिलेगी ? इसके जवाब में वह कहते हैं कि यह छोटा चुनाव है और इसमें लेकिन बाद में सब आपस में एक हो जाते हैं और यहां भी ऐसा ही होगा. वह मानते हैं कि 2024 से पहले यह चुनाव जो निकाय के हो रहे हैं बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इनसे निश्चित ही आगे की राजनीति की दिशा और दशा भी तय होगी. यूपी में निकाय चुनाव में भी भाजपा की तरफ से पूरी ताकत झोंकी जा रही है. सीएम योगी द्वारा निकाय चुनावों को लेकर प्रचार करने के मुद्दे पर पूर्व कैबिनेट मंत्री का कहना है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर राज्य का मुख्यमंत्री कहीं जाता है तो लाखों रुपये खर्च होते हैं. गठबंधन के शीर्ष नेता भी प्लान कर रहे हैं और जल्द ही अपने अपने प्रत्याशियों के लिए एक साथ एक जुट होकर प्रचार करते दिखेंगे.


राष्ट्रीय लोकदल की सामाजिक न्याय प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष संगीता दोहरे कहती हैं कि हमारा गठबंधन है और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन धर्म निभा रहा है और हम बहुत ही मजबूती से रणनीति के तहत एक साथ होकर प्रचार कर रहे हैं. रणनीति यही है कि सभी उसी तरह से जनता के बीच जाकर कार्य कर रहे हैं जैसे खतौली में किया था. गठबंधन के बावजूद सपा और रालोद इन दोनों पार्टियों के काफी जगह पर नेता आमने-सामने ताल ठोककर चुनाव लड़ रहे हैं तो क्या इससे तल्ख़ियां आने वाले समय में घटेंगी या बढ़ेंगी? इसके जवाब में संगीता दोहरे कहती हैं कि ऐसा कुछ सीटों पर है और इससे बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्या यह चुनाव गठबंधन को आसान लग रहा है जो शीर्ष नेतृत्व बीजपी की तरह एक्टिव नहीं है इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं कि शीर्ष नेतृत्व की भी मिटिंग लगाई गई हैं. सब साथ हैं. सभी आएंगे और दिखाई भी देंगे.


राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द शर्मा कहते हैं कि प्रयास किया गया, लेकिन मेल नहीं हुआ. कई जगह पर मित्र दलों में फ्रेंडली फाइट भी होती है. यह मानकर चलें कि हम अपने दलों के लिए प्रयास करेंगे जो जीत जाएं. वह कहते हैं कि इसको मित्रता की लड़ाई कहिएगा. क्या यह फ्रेंडली फाइट नुकसान नहीं देगी. इस कहना है कि इससे नुकसान तो है, लेकिन प्रयास किए गए. वह कहते हैं कि यह 2024 का लिटमस टेस्ट है. इसमें पूरा प्रयास करना ही चाहिए. धीरे धीरे कार्यकर्ता एकजुट हो रहे हैं.

जानिए यूपी वेस्ट को

पश्चिम यूपी में चार नगर निगम आते हैं. इनमें मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर और मुरादाबाद शामिल हैं.
-58 नगरपालिका और 88 नगर पंचायत पश्चिम में हैं.
-लोकसभा की 14 महत्वपूर्ण सीट भी इसी पश्चिम में हैं.


यह भी पढ़ें : Pratapgarh News : आज थम जाएगा चुनाव प्रचार, कुंडा नगर पंचायत सीट पर दिलचस्प मुकाबले के आसार

Last Updated : May 2, 2023, 2:49 PM IST
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