मेरठ: जिले की रहने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका ने 68 साल की उम्र में देह दान कर मिसाल पेश की है. शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना पूरा शरीर दान कर दिया है. देहांत होने पर मेडिकल कॉलेज की टीम शरीर को अपने संरक्षण में लेगी, जिसके बाद इनके शरीर को मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए रखा जाएगा.
विमला पुंडीर का कहना था उनके फैसले का परिवार में सभी ने विरोध किया था, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि अब वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगी. करीब 6 महीने पहले अपने बड़े बेटे की आकस्मिक मौत से विमला पुंडीर टूट चुकी थीं. छोटे बेटे और बड़ी बेटी ने इस फैसले का विरोध किया. सभी ने कहा कि यह ठीक नहीं है, लेकिन जब उन्होंने अपने अटल फैसले के बारे में बताया तब फिर सब ने अपनी मौन सहमति दे दी. पति निरंजन पुंडीर भी पत्नी के इस फैसले से सहमत नहीं थे, लेकिन पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए अब उन्होंने भी अपनी सहमति दे दी है.
विमला पुंडीर के पति निरंजन पुंडीर का कहना है कि उनका शरीर मरने के बाद भी मेडिकल स्टूडेंट के काम आएगा. मेडिकल में स्टूडेंटस के लिए व्यवहारिक ज्ञान के लिए मानव की बॉडी सबसे बड़े गुरु के रूप में काम आती है. मानव की बॉडी को स्टूडेंट्स ही नहीं शिक्षक भी गुरु मानते हैं. कुछ समय बाद बॉडी का उसके धर्म के अनुसार ही पूरे मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.