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जिंदगी के बाद भी यह शिक्षिका देती रहेगी स्टूडेंट्स को शिक्षा, जानिए कैसे

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Published : Dec 4, 2019, 9:17 PM IST

यूपी के मेरठ में एक शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर दान कर दिया है. देहांत होने पर मेडिकल कॉलेज की टीम स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए शरीर को अपने संरक्षण में रखेगी. ऐसा कर शिक्षिका ने अपनी जिंदगी के बाद भी स्टूडेंट्स को शिक्षा देने का काम किया है.

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शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना शरीर दान में दिया.

मेरठ: जिले की रहने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका ने 68 साल की उम्र में देह दान कर मिसाल पेश की है. शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना पूरा शरीर दान कर दिया है. देहांत होने पर मेडिकल कॉलेज की टीम शरीर को अपने संरक्षण में लेगी, जिसके बाद इनके शरीर को मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए रखा जाएगा.

शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को किया देहदान.
मेरठ की रहने वाली इस रिटायर्ड शिक्षिका का नाम विमला पुंडीर है. विमला पुंडीर देहात के कन्या इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्या के पद से 2012 में वीआरएस लेकर रिटायर्ड हुई थीं. इस समय वह भारत विकास परिषद की पल्लवपुरम शाखा से जुड़ी हैं. शाखा की नवंबर 2019 में हुई बैठक में उन्होंने अपना पूरा शरीर दान देने का निर्णय लिया, जिसके बाद मेडिकल विभाग की टीम ने उनसे संपर्क कर सभी जरूरी कार्रवाई पूरी की.

विमला पुंडीर का कहना था उनके फैसले का परिवार में सभी ने विरोध किया था, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि अब वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगी. करीब 6 महीने पहले अपने बड़े बेटे की आकस्मिक मौत से विमला पुंडीर टूट चुकी थीं. छोटे बेटे और बड़ी बेटी ने इस फैसले का विरोध किया. सभी ने कहा कि यह ठीक नहीं है, लेकिन जब उन्होंने अपने अटल फैसले के बारे में बताया तब फिर सब ने अपनी मौन सहमति दे दी. पति निरंजन पुंडीर भी पत्नी के इस फैसले से सहमत नहीं थे, लेकिन पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए अब उन्होंने भी अपनी सहमति दे दी है.

विमला पुंडीर के पति निरंजन पुंडीर का कहना है कि उनका शरीर मरने के बाद भी मेडिकल स्टूडेंट के काम आएगा. मेडिकल में स्टूडेंटस के लिए व्यवहारिक ज्ञान के लिए मानव की बॉडी सबसे बड़े गुरु के रूप में काम आती है. मानव की बॉडी को स्टूडेंट्स ही नहीं शिक्षक भी गुरु मानते हैं. कुछ समय बाद बॉडी का उसके धर्म के अनुसार ही पूरे मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.

मेरठ: जिले की रहने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका ने 68 साल की उम्र में देह दान कर मिसाल पेश की है. शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना पूरा शरीर दान कर दिया है. देहांत होने पर मेडिकल कॉलेज की टीम शरीर को अपने संरक्षण में लेगी, जिसके बाद इनके शरीर को मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए रखा जाएगा.

शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को किया देहदान.
मेरठ की रहने वाली इस रिटायर्ड शिक्षिका का नाम विमला पुंडीर है. विमला पुंडीर देहात के कन्या इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्या के पद से 2012 में वीआरएस लेकर रिटायर्ड हुई थीं. इस समय वह भारत विकास परिषद की पल्लवपुरम शाखा से जुड़ी हैं. शाखा की नवंबर 2019 में हुई बैठक में उन्होंने अपना पूरा शरीर दान देने का निर्णय लिया, जिसके बाद मेडिकल विभाग की टीम ने उनसे संपर्क कर सभी जरूरी कार्रवाई पूरी की.

विमला पुंडीर का कहना था उनके फैसले का परिवार में सभी ने विरोध किया था, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि अब वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगी. करीब 6 महीने पहले अपने बड़े बेटे की आकस्मिक मौत से विमला पुंडीर टूट चुकी थीं. छोटे बेटे और बड़ी बेटी ने इस फैसले का विरोध किया. सभी ने कहा कि यह ठीक नहीं है, लेकिन जब उन्होंने अपने अटल फैसले के बारे में बताया तब फिर सब ने अपनी मौन सहमति दे दी. पति निरंजन पुंडीर भी पत्नी के इस फैसले से सहमत नहीं थे, लेकिन पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए अब उन्होंने भी अपनी सहमति दे दी है.

विमला पुंडीर के पति निरंजन पुंडीर का कहना है कि उनका शरीर मरने के बाद भी मेडिकल स्टूडेंट के काम आएगा. मेडिकल में स्टूडेंटस के लिए व्यवहारिक ज्ञान के लिए मानव की बॉडी सबसे बड़े गुरु के रूप में काम आती है. मानव की बॉडी को स्टूडेंट्स ही नहीं शिक्षक भी गुरु मानते हैं. कुछ समय बाद बॉडी का उसके धर्म के अनुसार ही पूरे मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.

Intro:मेरठ: मरने के बाद भी यह शिक्षिका देती रहेगी स्टूडेंट्स को शिक्षा
मेरठ। मेरठ की रहने वाली एक रिटायर्ड शिक्षिका ने 68 साल की उम्र में अपना पूरा शरीर दान कर मिसाल पेश की है। शिक्षिका ने मेडिकल कॉलेज को अपना पूरा शरीर दान कर दिया है। देहांत होने पर मेडिकल कॉलेज की टीम शरीर को अपने संरक्षण में लेगी। जिसके बाद इनके शरीर को मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए रखा जाएगा। ऐसा कर अब यह शिक्षिका अपने मरने के बाद भी स्टूडेंट्स को शिक्षा देती रहेगी।


Body:मेरठ की रहने वाली इस रिटायर्ड शिक्षिका का नाम विमला पुंडीर है। विमला पुंडीर देहात के कन्या इंटर कॉलेज से प्रधानाचार्या के पद से 2012 में वीआरएस लेकर रिटायर्ड हुई थी। इस समय वह भारत विकास परिषद की पल्लवपुरम शाखा से जुड़ी हैं। शाखा की नवंबर 2019 में हुई बैठक में उन्होंने अपना पूरा शरीर दान देने का निर्णय लिया। जिसके बाद मेडिकल विभाग की टीम ने उनसे संपर्क कर सभी जरूरी कार्रवाई पूरी की। विमला पुंडीर का कहना है उनके फैसले का परिवार में सभी ने विरोध किया था। लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि अब वे अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगी। करीब 6 महीने पहले अपने बड़े बेटे की आकस्मिक मौत से विमला पुंडीर टूट चुकी थी, छोटे बेटे और बड़ी बेटी ने इस फैसले का विरोध किया। सभी ने कहा की यह ठीक नहीं है, लेकिन जब उन्होंने अपने अटल फैसले के बारे में बताया तब फिर सब ने अपनी मौन सहमति दे दी। पति निरंजन पुंडीर भी पत्नी के इस फैसले से सहमत नहीं थे लेकिन पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए अब उन्होंने भी अपनी सहमति दे दी है।




Conclusion:विमला पुंडीर का कहना है कि उनका शरीर मरने के बाद भी मेडिकल स्टूडेंट के काम आएगा इससे और कुछ नहीं हो सकता। बताया कि मेडिकल में स्टूडेंटस के लिए व्यवहारिक ज्ञान के लिए मानव की बॉडी सबसे बड़े गुरु के रूप में काम आती है, यही उन्हें बताया गया कि मानव की बॉडी को स्टूडेंट्स ही नहीं शिक्षक भी गुरु मानते हैं। कुछ समय बाद बॉडी का उसके धर्म के अनुसार ही पूरे मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है।

बाइट- विमला पुंडीर
बाइट- निरंजन पुंडीर, पति

अजय चौहान
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