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मेरठ:अंधविश्वास दूर करने के लिए गांव-गांव अलख जगाता यह शिक्षक - भूत प्रेत

उत्तर प्रदेश के मेरठ मे सांइस के एक शिक्षक ने समाज से अंधविश्वास खत्म करने का बीड़ा उठाया है. उनकी इस मुहिम मे अलग-अलग स्कूलों के लगभग 150 बच्चे उनका साथ दे रहे हैं.

अधंविश्वास के अंधेरे को दूर कर रहे 'दीपक'
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Published : Sep 5, 2019, 3:16 PM IST

मेरठ: जिले के एनएएस इंटर कॉलेज के शिक्षक दीपक शर्मा गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहे हैं. वो मेरठ जिले के अलावा यूपी के अन्य प्रदेशों में भी जाकर लोगों के बीच फैले अंधविश्वास को दूर करते हैं और उन्हें साइंस के बारे में जानकारी देते हैं. अब इनके साथ एक पूरी टीम जुड़ चुकी है जो इनके विजन को आगे बढ़ाने का काम कर रही है.

अधंविश्वास के अंधेरे को दूर कर रहे 'दीपक'
अधंविश्वास के अंधेरे को दूर कर रहे 'दीपक'
  • दीपक शर्मा शहर के एनएएस इंटर कॉलेज में फिजिक्स के टीचर हैं.
  • वो नियमित रूप से स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बाद सामाजिक कार्य में जुट जाते हैं.
  • स्कूल की छुट्टी के बाद दीपक शर्मा समाज के लोगों को जादू टोने और भूत प्रेत की हकीकत बताते हैं.
  • दीपक के मुताबिक जादू-टोना, भूत-प्रेत यह सब अंधविश्वास की वजह से पनपता है.
  • इन घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक आधार होता है लेकिन, ऐसी घटनाओं को लोग चमत्कार मान लेते हैं.


बच्चों से पता चला झाड़-फूंक के प्रति अंधविश्वास
दीपक शर्मा बताते हैं कि जब बच्चे बीमारी की वजह से स्कूल नहीं आते थे, तब पता चलता था कि उनके माता-पिता उन्हें किसी के पास झाड़-फूंक कराने ले गए हैं. पीलिया जैसी बीमारी होने पर भी झाड़-फूंक कराने की बात सामने आती थी. तब उन्होंने बीड़ा उठाया कि ऐसे बच्चों के मां-बाप को जागरूक करना जरूरी है. शुरू में कुछ बच्चों के माता-पिता को जागरूक करने की यह मुहिम आगे बढ़ती चली गई. बाद में वह गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक करने लगे. अब उनके साथ अलग-अलग स्कूलों के करीब 150 बच्चे हैं. ये सभी बच्चे अपने माता-पिता ही नहीं दूसरों को भी अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

बच्चों मे जगा रहे सांइस के प्रति रूचि
बच्चों में साइंस के प्रति लगाव हो उसके लिए गांव में जाकर नुक्कड़ सभा और गोष्ठी आदि के माध्यम से जानकारी दी जा रही है. दीपक शर्मा का कहना है कि अंधविश्वास सबसे अधिक उपेक्षित और गरीब परिवारों के लोगों में होता है. ऐसे लोगों को कुछ लोग किसी बुरी आत्मा का असर बता कर उनकी मजबूरी का लाभ उठाते हैं. जब उन्हें किसी गांव में इस तरह के अंधविश्वास की सूचना मिलती है तो वह वहां जाकर लोगों को इसकी हकीकत से रूबरू कराते हैं. वर्तमान में दीपक शर्मा जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक भी हैं. उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ हजार से अधिक गांवों में अपना दौरा कर लोगों को जागरूक कर चुके हैं.

बच्चों को आसानी से समझ आती है बात
दीपक शर्मा का मानना है कि बच्चों को कोई भी बात आसानी से समझाई जा सकती है, इसलिए वह गांव-गांव जाकर बच्चों को इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें विज्ञान की जानकारी देते हैं. गांव के लोगों को मिलावट की चीजों का पता करने के बारे में भी जानकारी देते हैं और बताते हैं कि कैसे वह खुद ही असली नकली की पहचान कर सकते हैं.

मेरठ: जिले के एनएएस इंटर कॉलेज के शिक्षक दीपक शर्मा गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहे हैं. वो मेरठ जिले के अलावा यूपी के अन्य प्रदेशों में भी जाकर लोगों के बीच फैले अंधविश्वास को दूर करते हैं और उन्हें साइंस के बारे में जानकारी देते हैं. अब इनके साथ एक पूरी टीम जुड़ चुकी है जो इनके विजन को आगे बढ़ाने का काम कर रही है.

अधंविश्वास के अंधेरे को दूर कर रहे 'दीपक'
अधंविश्वास के अंधेरे को दूर कर रहे 'दीपक'
  • दीपक शर्मा शहर के एनएएस इंटर कॉलेज में फिजिक्स के टीचर हैं.
  • वो नियमित रूप से स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बाद सामाजिक कार्य में जुट जाते हैं.
  • स्कूल की छुट्टी के बाद दीपक शर्मा समाज के लोगों को जादू टोने और भूत प्रेत की हकीकत बताते हैं.
  • दीपक के मुताबिक जादू-टोना, भूत-प्रेत यह सब अंधविश्वास की वजह से पनपता है.
  • इन घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक आधार होता है लेकिन, ऐसी घटनाओं को लोग चमत्कार मान लेते हैं.


बच्चों से पता चला झाड़-फूंक के प्रति अंधविश्वास
दीपक शर्मा बताते हैं कि जब बच्चे बीमारी की वजह से स्कूल नहीं आते थे, तब पता चलता था कि उनके माता-पिता उन्हें किसी के पास झाड़-फूंक कराने ले गए हैं. पीलिया जैसी बीमारी होने पर भी झाड़-फूंक कराने की बात सामने आती थी. तब उन्होंने बीड़ा उठाया कि ऐसे बच्चों के मां-बाप को जागरूक करना जरूरी है. शुरू में कुछ बच्चों के माता-पिता को जागरूक करने की यह मुहिम आगे बढ़ती चली गई. बाद में वह गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक करने लगे. अब उनके साथ अलग-अलग स्कूलों के करीब 150 बच्चे हैं. ये सभी बच्चे अपने माता-पिता ही नहीं दूसरों को भी अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

बच्चों मे जगा रहे सांइस के प्रति रूचि
बच्चों में साइंस के प्रति लगाव हो उसके लिए गांव में जाकर नुक्कड़ सभा और गोष्ठी आदि के माध्यम से जानकारी दी जा रही है. दीपक शर्मा का कहना है कि अंधविश्वास सबसे अधिक उपेक्षित और गरीब परिवारों के लोगों में होता है. ऐसे लोगों को कुछ लोग किसी बुरी आत्मा का असर बता कर उनकी मजबूरी का लाभ उठाते हैं. जब उन्हें किसी गांव में इस तरह के अंधविश्वास की सूचना मिलती है तो वह वहां जाकर लोगों को इसकी हकीकत से रूबरू कराते हैं. वर्तमान में दीपक शर्मा जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक भी हैं. उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ हजार से अधिक गांवों में अपना दौरा कर लोगों को जागरूक कर चुके हैं.

बच्चों को आसानी से समझ आती है बात
दीपक शर्मा का मानना है कि बच्चों को कोई भी बात आसानी से समझाई जा सकती है, इसलिए वह गांव-गांव जाकर बच्चों को इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें विज्ञान की जानकारी देते हैं. गांव के लोगों को मिलावट की चीजों का पता करने के बारे में भी जानकारी देते हैं और बताते हैं कि कैसे वह खुद ही असली नकली की पहचान कर सकते हैं.

Intro:स्पेशल: मेरठ- यह शिक्षक अंधविश्वास दूर करने के लिए गांव गांव जागताहै अलख
मेरठ। साइंस पढ़ाने वाला यह टीचर गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहा है। मेरठ जिले के अलावा यूपी और आसपास के अन्य प्रदेशों में भी जाकर यह टीचर लोगों के बीच फैले अंधविश्वास को दूर करता है और उन्हें साइंस के बारे में जानकारी देता है। अब इस टीचर के साथ एक पूरी टीम जुड़ चुकी है जो उसके विजन को आगे बढ़ाने का काम कर रही है।




Body:टीचर का नाम दीपक शर्मा है। दीपक शर्मा शहर के एनएएस इंटर कॉलेज में फिजिक्स के टीचर हैं। दीपक शर्मा सुबह नियमित रूप से स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बाद सोशल वर्क में जुट जाते हैं। स्कूल की छुट्टी के बाद दीपक शर्मा समाज के लोगों को अंधविश्वास पर उन्हें जादू टोने और भूत प्रेत की हकीकत बताते हैं। दीपक शर्मा के मुताबिक जादू टोना, भूत प्रेत यह सब अंधविश्वास की वजह से पनपता है। इन घटनाओं के पीछे वैज्ञानिक आधार होता है लेकिन, ऐसी घटनाओं को लोग चमत्कारिक घटनाएं मान लेते हैं।

बच्चों से पता चला झाड़-फूंक के प्रति अंधविश्वास
दीपक शर्मा बताते हैं कि जब बच्चे बीमारी की वजह से उसको नहीं आते थे तब उनके बारे में पता चलता था कि उनके माता-पिता उन्हें किसी के पास झाड़-फूंक कराने ले गए हैं। पीलिया जैसी बीमारी होने पर भी झाड़-फूंक कराने की बात सामने आती थी। तब उन्होंने बीड़ा उठाया कि ऐसे बच्चों के मां-बाप को जागरूक करना जरूरी है। शुरू में एक दो बच्चों के माता-पिता को जागरूक करने की यह मुहिम अब आगे बढ़ती चली गई। बाद में वह गांव-गांव जाकर लोगों को अंधविश्वास के प्रति जागरूक करने लगे।अब उनके साथ करीब 150 स्कूली बच्चे हैं जो अलग-अलग स्कूलों के हैं। यह सभी बच्चे अपने माता-पिता ही नहीं दूसरों को भी अंधविश्वास के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

बच्चों को कर रहे साइंस के प्रति जागरूक
बच्चों में साइंस के प्रति लगाव हो उसके लिए गांव में जाकर नुक्कड़ सभा और गोष्ठी आदि के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। दीपक शर्मा का कहना है कि अंधविश्वास सबसे अधिक उपेक्षित और गरीब परिवारों के लोगों में अधिक होता है ऐसे लोगों को कुछ लोग किसी बुरी आत्मा का असर बता कर उनकी मजबूरी का लाभ उठाते हैं। बताया कि जब उन्हें किसी गांव में इस तरह के अंधविश्वास की सूचना मिलती है तो वह वहां जाकर लोगों को इसकी हकीकत से रूबरू कराते हैं। वर्तमान में दीपक शर्मा जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक भी हैं। उन्होंने बताया कि अब तक डेढ़ हजार से अधिक गांव में अपना दौरा कर लोगों को जागरूक कर चुके हैं।




Conclusion:बच्चों को आसानी से समझ आती है बात
दीपक शर्मा का मानना है कि बच्चों को कोई भी बात आसानी से समझाई जा सकती है, इसलिए है वह गांव गांव जाकर बच्चों को इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें विज्ञान की जानकारी देते हैं। गांव के लोगों को मिलावट की चीजों का पता करने के बारे में जानकारी देते हैं और बताते हैं कि कैसे वह खुद ही असली नकली की पहचान कर सकते हैं।

बाइट-दीपक शर्मा, टीचर

अजय चौहान
9897799794
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