मेरठः जिले में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मंगलवार को जनसंख्या वृद्धि को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा है कि 'बढ़ी जनसंख्या भगवान का वरदान है, हम लोग चाहते हैं सब चीज बढ़े, जनसंख्या बढ़ रही है तो खराब क्या है'. उन्होंने कहा कि 'हम बढ़ी जनसंख्या का सदुपयोग नहीं जानते इसलिए समस्या हो रही है. भारत सरकार और भारत के विद्वान मिल बैठकर ऐसी योजनाएं बनाएं, जिसमें बढ़ी जनसंख्या का सदुपयोग हो सके'. उन्होंने मुस्लिमों को लेकर भी टिप्पणी की, वहीं मदरसों की जांच पर भी मुखर होकर बोले.
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि 'सरकार से कहना चाहेंगे कि रिवर को रिवर रहने दें व सीवर को सीवर रहने दें. नदियों की अविरल धारा के बारे में सरकार को सलाह देंगे कि इस तरफ ध्यान दें'. उन्होंने कहा कि 'नदियों पर जगह जगह बांध बनाए जा रहे हैं, नदियों की धारा को रोका जा रहा है और नदियों की अविरलता का मुद्दा बना हुआ है. हालांकि इस बारे में नीति बन चुकी है पूर्व में इस बारे में मांग भी की थी कि रिवर और सीवर को अलग-अलग किया जाना चाहिए'.
सुप्रीम कोर्ट के धर्मांतरण के विषय में की गई टिप्पणी पर बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि 'कई वर्षों से धर्मांतरण की विभीषिका को हम देख पा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट को इस पर स्वतः संज्ञान लेकर निर्देश देना चाहिए कि इस बारे में चीजों को सही किया जाए, अन्यथा देश की परिस्थिति जिस ओर जा रही है वो हर किसी के लिए चिंताजनक है'.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि इस प्रकार का धर्मांतरण नहीं रोका गया, तो देश में जटिल स्थिति पैदा हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण को देश के लिए खतरनाक और गम्भीर मुद्दा मानते हुए सरकार से इसे रोकने के लिए ठोस प्रयास करने के लिए कहा है.
मदरसों के सर्वे पर पिछली सरकार समेत वर्तमान सरकार को घेरा
यूपी में सरकार के द्वारा मदरसों के सर्वे कराए जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार को मदरसों का सर्वे करना पड़ रहा है ये पूर्व की और अब की सरकारों की नाकामयाबी ही है. सर्वे की जरूरत ही नहीं पड़नी चाहिए थी , सरकार की जानकारी में ये सूचना होनी चाहिए कि कहां कितने मदरसे हैं. सरकार की दृष्टि में सब कुछ होना चाहिए. मदरसों के सर्वे के विरोध करने वाले लोगों के लिए उन्होंने कहा कि कुछ भी करोगे तो विरोध तो होता ही है.
मुसलमानों को लेकर कही ये बात
उन्होंने कहा कि 'हमें कोई संकोच नहीं है कहने में कि मुसलमान की वेशभूषा देखने भर से लोगों को भय हो रहा है. केवल भारत में ही नहीं दूसरे देशों में भी लोगों को भय हो रहा है. किसी भी धर्म का कोई भी मुसलमान वेशभूषा बनाकर दूसरे देशों में चला जाए, तो उसकी चेकिंग ज्यादा की जाएगी क्योंकि उनकी छवि में कुछ असर आया है. इसका मतलब कि उनकी कम्युनिटी के लोगों ने कुछ ऐसा किया है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी छवि बनी है. मीडिया से मुखातिब होते हुए हुए उन्होंने कहा कि देखा अभी गया है कि कई ऐसे मामले हुए हैं जब मदरसों से से अस्त्र शस्त्र निकले हैं.
जनसंख्या नियंत्रण पर मुखर होकर बोले अविमुक्तेश्वरानंद
जनसंख्या नियंत्रण पर उन्होंने कहा कि 'यह तो व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि हमारे पास किसी चीज की बढ़ोतरी हो रही है, तो बढ़ोतरी कब खराब होती है. जनसंख्या की जो वृद्धि है, वृद्धि तो अच्छी चीज है. हम लोग चाहते हैं सब चीज बढ़े, तो जनसंख्या बढ़ रही है तो खराब क्या है. समस्या ये है कि बढ़ी हुई जनसंख्या का सदुपयोग हम नहीं कर पा रहे हैं, हमारे अंदर वो योग्यता नहीं है कि बढ़ी हुई जनसंख्या का हम सदुपयोग कर सकें, इसलिए हमारे लिए समस्या हो गई है. अगर भारत की सरकार और भारत के विद्वान मिल बैठ के ऐसी योजनाएं बनाएं, जिसमें बढ़ी जनसंख्या का सदुपयोग हो सके तो ये तो वरदान है भगवान का'.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि 'हमारे पूर्वजों ने कामनाएं की हैं कि हमारे ज्यादा बच्चे हों, तो ये तो वरदान है भगवान का. अब उस भगवान के वरदान का हम सदुपयोग नहीं जानते इसलिए हमारे लिए वो समस्या हो गई है. सदुपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए, घटाने से घट नहीं रही है, ये बात तो वर्षों पहले तय हो गयी है'. उन्होंने कहा कि 'जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए इंदिरा गांधी के राज से उपाय किए जा रहे हैं, तगड़े-तगड़े उपाय किए गए, लेकिन क्या जनसंख्या वॄद्धि रोक पाए. जब नहीं रोक पाए रहे, तो उसका सदुपयोग करने के बारे में सोचना चाहिए.
इंसान को अपनी जड़ों को कभी छोड़ना नहीं चाहिए
पैसा देकर पदों को खरीदने पर उन्होंने कहा कि 'समाया तब होती है जब अयोग्य व्यक्ति पैसा देकर पदों पर आसीन हो जाता है. योग्य व कुशल व्यक्ति ही उस पद पर आसीन होना चाहिए जो उसके योग्य है. व्यक्ति ने अपने धर्म व सभ्यता को पीछे कर दिया है. पश्चिम की ओर ज्यादा देखने लगे कि वो संस्कृति ज्यादा अच्छी है. हमने अपना ली अब अपनाने के बाद समस्याएं दिख रही हैं, तो तब हम घबरा रहे हैं'. उन्होंने कहा कि इंसान को अपनी जड़ों को कभी छोड़ना नहीं चाहिए, जड़ों से जुड़े तो आज के वक्त में अवसाद वाली जो समस्याएं हैं वो समाप्त हो जाएंगी.
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