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निकाय चुनाव 2022, सपा और रालोद कार्यकर्ताओं में ठनेगी रार या बना रहेगा यूं ही प्यार

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Published : Dec 17, 2022, 9:04 AM IST

पश्चिमी यूपी में सपा और रालोद के गठबंधन को मजबूती मिली है. निकाय चुनावों को लेकर सपा जहां अपने पार्टी के उम्मीदवारों की सूची प्रदेश मुख्यालय भेज चुकी है, वहीं, रालोद के दफ्तर पर इन दिनों खूब चहल पहल देखी जा रही है. क्या ऐसे में गठबंधन में गांठ पड़ेगी या चुनाव लड़ने का सपना पालने वाले अनेकों लोगों का सपना पूरा होगा.

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सपा और रालोद
निकाय चुनाव को लेकर बातचीत करते हुए संवाददाता श्रीपाल तेवतिया

मेरठः स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी ने पहले ही जिले से मेयर और नगर पालिकाओं से चेयरमैन पद समेत नगर पंचायतों से नगर पंचायत अध्यक्ष के दावेदारों के अलावा पार्षद और सभासदों के आवेदकों की सूची पार्टी मुख्यालय को भेज दी थी. ऐसे में अब खतौली में हुए उपचुनाव के बाद आए नतीजों के बाद से राष्ट्रीय लोकदल गदगद है.

पिछले कुछ दिनों से पार्टी के दफ्तर पर हर दिन चुनाव लड़ने के इक्छुकों से आवेदन स्वीकार किए जा रहे थे. हैरानी की बात यह है कि दोनों पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी को रोकने के लिए दोनों दलों में गठबंधन है. ऐसे में सपा और रालोद के दावेदारों की बढ़ती संख्या से चयन समिति के नेता बेहद खुश हैं कि उन पर अब ज्यादा विकल्प होंगे.

सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह का कहना है कि 'जिले में सपा और रालोद का गठबंधन है और हम एक हैं. पार्टी मुख्यालय को स्थानीय निकाय चुनाव में किस्मत आजमाने वालों के आवेदन भेज दिए गए हैं. वर्तमान में समाजवादी पार्टी का ही मेयर भी मेरठ में है, जो भी निर्णय होगा वह तो हाईकमान ही तय करेगा.

बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल की पश्चिमी यूपी की अलग-अलग सीट से जीत कर विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों की संख्या 8 थी. अब पार्टी के पास नवरत्न हो गए हैं, क्योंकि खतौली में भी पार्टी को गठबंधन का फायदा मिला और बीजेपी से इस सीट को छीन लिया. राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष आतिर रिजवी ने बताया कि अब तक मेरठ के महापौर के लिए उनके पास 12 आवेदन आ चुके हैं. जिले में 13 नगर पंचायत और 2 नगर पालिका हैं उनके लिए भी आवेदन आए हैं. वहीं, 55 वार्ड लिए भी अब तक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं.

पार्टी के जिला उपाध्यक्ष का कहना है कि यह जोश जो दिखाई दे रहा है, यह खतौली की विजय का जोश भी है.
आतिर रिजवी ने बताया कि आरक्षण को लेकर न्यायालय ने रोक लगाई है, तो उन्होंने भी आवेदकों से अभी बायोडाटा लेने बंद कर दिए हैं. 20 दिसबंर के बाद अब आवेदन लिए जाएंगे.

वहीं, सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि 'तैयारी जबरदस्त है, हम लोग मिलकर निकाय चुनाव लड़ेंगे. विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी एक हैं. अब सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोड चीफ तय करेंगे कि कौन कहां चुनाव लड़ेंगा. यही तो लोकप्रियता है कि गठबंधन के दोनों दलों के पास चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों की कमी नहीं है. गठबंधन का जनाधार इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि सरकार से लोगों में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि सभी ने देखा है कि खतौली में मिलकर चुनाव लड़ाया गया और जीते हैं. आने वाले समय में भी बंपर तरीके से चुनाव जीतेंगे'.

बहरहाल भले ही दोनों पार्टियों के नेता एकजुट होने की बात कर रहे हों, लेकिन जिस तरह से हर दिन दावेदार लगातार चुनाव लड़ने को आवेदन कर रहे हैं उससे दोनों दलों के नेताओं को उन आवेदकों के उस भरोसे को बरकार रख पाना तो बड़ी चुनौती ही है. जिस भरोसे से वह पार्टी पर भरोसा करके अपनी दावेदारी रख रहे हैं. अब यह फायदेमंद साबित होगा या नुकसान दायक यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन दोनों दलों के लिए यह वक्त किसी चुनौती से कम नहीं है.

पढ़ेंः आसान नहीं वाराणसी में पार्षद की राह, अपराध जगत में भारी पड़ा यह पद

निकाय चुनाव को लेकर बातचीत करते हुए संवाददाता श्रीपाल तेवतिया

मेरठः स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी ने पहले ही जिले से मेयर और नगर पालिकाओं से चेयरमैन पद समेत नगर पंचायतों से नगर पंचायत अध्यक्ष के दावेदारों के अलावा पार्षद और सभासदों के आवेदकों की सूची पार्टी मुख्यालय को भेज दी थी. ऐसे में अब खतौली में हुए उपचुनाव के बाद आए नतीजों के बाद से राष्ट्रीय लोकदल गदगद है.

पिछले कुछ दिनों से पार्टी के दफ्तर पर हर दिन चुनाव लड़ने के इक्छुकों से आवेदन स्वीकार किए जा रहे थे. हैरानी की बात यह है कि दोनों पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी को रोकने के लिए दोनों दलों में गठबंधन है. ऐसे में सपा और रालोद के दावेदारों की बढ़ती संख्या से चयन समिति के नेता बेहद खुश हैं कि उन पर अब ज्यादा विकल्प होंगे.

सपा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह का कहना है कि 'जिले में सपा और रालोद का गठबंधन है और हम एक हैं. पार्टी मुख्यालय को स्थानीय निकाय चुनाव में किस्मत आजमाने वालों के आवेदन भेज दिए गए हैं. वर्तमान में समाजवादी पार्टी का ही मेयर भी मेरठ में है, जो भी निर्णय होगा वह तो हाईकमान ही तय करेगा.

बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल की पश्चिमी यूपी की अलग-अलग सीट से जीत कर विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों की संख्या 8 थी. अब पार्टी के पास नवरत्न हो गए हैं, क्योंकि खतौली में भी पार्टी को गठबंधन का फायदा मिला और बीजेपी से इस सीट को छीन लिया. राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष आतिर रिजवी ने बताया कि अब तक मेरठ के महापौर के लिए उनके पास 12 आवेदन आ चुके हैं. जिले में 13 नगर पंचायत और 2 नगर पालिका हैं उनके लिए भी आवेदन आए हैं. वहीं, 55 वार्ड लिए भी अब तक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं.

पार्टी के जिला उपाध्यक्ष का कहना है कि यह जोश जो दिखाई दे रहा है, यह खतौली की विजय का जोश भी है.
आतिर रिजवी ने बताया कि आरक्षण को लेकर न्यायालय ने रोक लगाई है, तो उन्होंने भी आवेदकों से अभी बायोडाटा लेने बंद कर दिए हैं. 20 दिसबंर के बाद अब आवेदन लिए जाएंगे.

वहीं, सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि 'तैयारी जबरदस्त है, हम लोग मिलकर निकाय चुनाव लड़ेंगे. विधायक अतुल प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी एक हैं. अब सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोड चीफ तय करेंगे कि कौन कहां चुनाव लड़ेंगा. यही तो लोकप्रियता है कि गठबंधन के दोनों दलों के पास चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों की कमी नहीं है. गठबंधन का जनाधार इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि सरकार से लोगों में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि सभी ने देखा है कि खतौली में मिलकर चुनाव लड़ाया गया और जीते हैं. आने वाले समय में भी बंपर तरीके से चुनाव जीतेंगे'.

बहरहाल भले ही दोनों पार्टियों के नेता एकजुट होने की बात कर रहे हों, लेकिन जिस तरह से हर दिन दावेदार लगातार चुनाव लड़ने को आवेदन कर रहे हैं उससे दोनों दलों के नेताओं को उन आवेदकों के उस भरोसे को बरकार रख पाना तो बड़ी चुनौती ही है. जिस भरोसे से वह पार्टी पर भरोसा करके अपनी दावेदारी रख रहे हैं. अब यह फायदेमंद साबित होगा या नुकसान दायक यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन दोनों दलों के लिए यह वक्त किसी चुनौती से कम नहीं है.

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