मेरठ: श्रावण मास में शिवालयों में श्रद्धालु जलाभिषेक कर शिव की आराधना करते हैं. जिले में कई ऐसे शिवालय हैं, जिनका अपना पौराणिक और मान्यताओं भरा इतिहास है. ऐसा ही इतिहास है जिले के मटौर गांव में स्थित झाखंडेश्वर महादेव मंदिर का. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो शिवलिंग है वह चमत्कारिक है. इस शिवलिंग की स्थापना महर्षि परशुराम द्वारा की गई थी. यह शिवलिंग महर्षि परशुराम द्वारा स्थापित किए गए 108 शिवलिंग में से एक है.
सिद्धपीठ है झारखंडेश्वर महादेव मंदिर
बाबा झारखंड ईश्वर महादेव मंदिर के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि यह एक सिद्ध पीठ है. गांव के बाहर दक्षिण में जंगल के रास्ते में यह मंदिर है. श्रद्धालु पुरुषोत्तम दास उपाध्याय और श्रद्धालु विपिन का कहना है कि मंदिर के बारे में कई कहानियां हैं. इस मंदिर के मुख्य परिसर में जो शिवलिंग है वह अद्भुत है. इस शिवलिंग को कई बार यहां से हटाकर दूसरे स्थान पर स्थापित करने का प्रयास किया गया, लेकिन काफी प्रयासों के बावजूद आज तक इस शिवलिंग को एक इंच भी हटाया नहीं जा सका. शिवलिंग को जमीन से निकालने के लिए काफी खुदाई की गई, लेकिन उसका निचला छोर नहीं मिला. अब जहां यह शिवलिंग है, वहीं भव्य मंदिर की स्थापना कर दी गई है.
शंकराचार्य ने आकर की थी पुष्टि
मंदिर के पुजारी पंडित गोविंद आचार्य का कहना है कि इस मंदिर में मौजूद चमत्कारिक शिवलिंग के बारे में जानकारी शंकराचार्य बद्रीकाश्रम ने स्वयं यहां आकर दी थी. उन्होंने इस शिवलिंग को देखकर उसे परशुराम द्वारा स्थापित 108 शिवलिंग में से एक बताया था. शंकराचार्य द्वारा ही इसे सिद्धपीठ होने की जानकारी ग्रामीणों को दी गई थी. उनके कहने के बाद ही इस मंदिर पर जलाभिषेक कराया जाने लगा, तब से हर साल यहां हजारों की संख्या में सावन के महीने में कांवड़ लाकर शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं. आसपास के दूसरे गांव के लोग भी इस सिद्धपीठ पर आकर अपनी मन्नत बाबा भोलेनाथ से मांगते हैं.
नि:स्वार्थ भाव से की गई पूजा से प्रसन्न होते हैं बाबा
मंदिर के पुजारी का कहना है कि मंदिर में आने वाले भक्त यदि नि:स्वार्थ भाव से भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं तो बाबा उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. उन्होंने बताया कि आज तक कोई भक्त यहां से निराश वापस नहीं लौटा. बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने वाले श्रद्धालुओं को फल जरूर मिलता है. मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु यहां भंडारे का आयोजन भी कराते हैं. श्रावण मास में यहां पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर रुद्राभिषेक भी कराते हैं. श्रावण मास में यहां विशेष मेले का आयोजन भी कराया जाता है.