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दो विश्व रिकार्ड बना चुके हैं सौरभ, टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड जीत बढ़ाएंगे गौरव

टोक्यो में होने जा रहे ओलंपिक खेलों (Tokyo Olympics) का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने जा रहे भारतीय दल में एक खिलाड़ी ऐसा भी है, जिसने 19 साल की उम्र में ही इतिहास रचा है. वो हैं मेरठ जिले के सौरभ चौधरी (Saurabh Chaudhary).

निशानेबाज सौरभ चौधरी.
निशानेबाज सौरभ चौधरी.
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Published : Jul 17, 2021, 10:30 AM IST

मेरठः टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) खेल के पहले टाइम मैगजीन (Time Magazine) ने 48 खिलाड़ियों की लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में भारत के एकमात्र खिलाड़ी निशानेबाज सौरभ चौधरी (Shooter Saurabh Chaudhary) को जगह मिली. सौरभ चौधरी (Saurabh Chaudhary) के नाम दो विश्व रिकार्ड दर्ज हैं. आइए जानतें हैं सौरभ चौधरी के बारे में .

मेरठ जिले के गांव कलीना के रहने वाले हैं सौरभ चौधरी. सौरभ के पिता गन्ना किसान हैं. पिता जगमोहन का कहना है कि बचपन से ही सौरभ को शुटिंग करना पंसद था. तब बच्चे को डांट भी लगाता था, लेकिन निशानेबाजी में आगे बढ़ता देख सपोर्ट शुरू किया. आज इसी निशानेबाजी ने बेटे को देश का चमकाता सितारा बना दिया है.

निशानेबाज सौरभ चौधरी.

शूटिंग के लिए सौरभ को ऐसा जुनून था कि वह घंटों ट्रेनिंग किया करते थे. कई बार तो वह लंच का ब्रेक तक नहीं लेते थे. पिता बताते हैं कि सौरभ शुरुआती दिनों में हर दिन 15 किलोमीटर चल कर ट्रेनिंग करने जाते थे. सौरभ के परिवार ने उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए कर्ज लिया और शूटिंग उपकरण खरीदे. सौरभ के पिता ने बताया कि घर के पीछे एक शूटिंग रेंज बनाकर अभ्यास किया करता था.

इसे भी पढ़ें- ये हौसलों की उड़ान है: मां करती है मजदूरी, बेटी बनी स्टेट चैम्पियन

सौरभ चौधरी की मां बताती हैं कि उनका लाल रोजाना कई किलोमीटर की पैदल चलकर, कभी ट्रक पर सवार होकर तो कभी बुग्गी पर सवार होकर शूटिंग की प्रैक्टिस पर जाया करता था. बागपत के शूटिंग रेंज में सौरभ चौधरी प्रैक्टिस किया करते थे. किसान पिता अपने लाडले की इस उपलब्धि पर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.

निशानेबाज सौरभ चौधरी.
परिवार के साथ निशानेबाज सौरभ चौधरी.

सौरभ ने 2015 में निशानेबाजी में करियर शुरू किया. साल 2018 में वह एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सबसे युवा भारतीय निशानेबाज भी बने थे. इनके नाम, 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर पिस्टल मिश्रित में, दो विश्व रिकॉर्ड भी हैं. सौरभ ने सीनियर आईएसएसएफ में पदार्पण करते हुए 10 मीटर एयर पिस्टल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही टोक्यो ओलंपिक का टिकट भी हासिल किया. सौरभ चौधरी आज देश के सबसे कम उम्र के अर्जुन पुरस्कार विजेता बनने की राह पर हैं.

मेरठः टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) खेल के पहले टाइम मैगजीन (Time Magazine) ने 48 खिलाड़ियों की लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में भारत के एकमात्र खिलाड़ी निशानेबाज सौरभ चौधरी (Shooter Saurabh Chaudhary) को जगह मिली. सौरभ चौधरी (Saurabh Chaudhary) के नाम दो विश्व रिकार्ड दर्ज हैं. आइए जानतें हैं सौरभ चौधरी के बारे में .

मेरठ जिले के गांव कलीना के रहने वाले हैं सौरभ चौधरी. सौरभ के पिता गन्ना किसान हैं. पिता जगमोहन का कहना है कि बचपन से ही सौरभ को शुटिंग करना पंसद था. तब बच्चे को डांट भी लगाता था, लेकिन निशानेबाजी में आगे बढ़ता देख सपोर्ट शुरू किया. आज इसी निशानेबाजी ने बेटे को देश का चमकाता सितारा बना दिया है.

निशानेबाज सौरभ चौधरी.

शूटिंग के लिए सौरभ को ऐसा जुनून था कि वह घंटों ट्रेनिंग किया करते थे. कई बार तो वह लंच का ब्रेक तक नहीं लेते थे. पिता बताते हैं कि सौरभ शुरुआती दिनों में हर दिन 15 किलोमीटर चल कर ट्रेनिंग करने जाते थे. सौरभ के परिवार ने उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए कर्ज लिया और शूटिंग उपकरण खरीदे. सौरभ के पिता ने बताया कि घर के पीछे एक शूटिंग रेंज बनाकर अभ्यास किया करता था.

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सौरभ चौधरी की मां बताती हैं कि उनका लाल रोजाना कई किलोमीटर की पैदल चलकर, कभी ट्रक पर सवार होकर तो कभी बुग्गी पर सवार होकर शूटिंग की प्रैक्टिस पर जाया करता था. बागपत के शूटिंग रेंज में सौरभ चौधरी प्रैक्टिस किया करते थे. किसान पिता अपने लाडले की इस उपलब्धि पर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.

निशानेबाज सौरभ चौधरी.
परिवार के साथ निशानेबाज सौरभ चौधरी.

सौरभ ने 2015 में निशानेबाजी में करियर शुरू किया. साल 2018 में वह एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सबसे युवा भारतीय निशानेबाज भी बने थे. इनके नाम, 10 मीटर एयर पिस्टल, 10 मीटर पिस्टल मिश्रित में, दो विश्व रिकॉर्ड भी हैं. सौरभ ने सीनियर आईएसएसएफ में पदार्पण करते हुए 10 मीटर एयर पिस्टल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही टोक्यो ओलंपिक का टिकट भी हासिल किया. सौरभ चौधरी आज देश के सबसे कम उम्र के अर्जुन पुरस्कार विजेता बनने की राह पर हैं.

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