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दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा, ऐसे पश्चिम में चित होंगे दिग्गज

आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच अब पार्टियों की आंतरिक कलह भी खुलकर सामने आ रही है. जिसके कारण आए दिन नेताओं की दल-बदल जारी है. लेकिन सियासी पार्टियों में जारी टूट से एक पार्टी को खासा लाभ हो रहा है और आलम यह है कि इस पार्टी में अब नेता अपने लिए सियासी संभावनाएं तलाश रहे हैं.

दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा
दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा
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Published : Nov 28, 2021, 2:25 PM IST

मेरठ: आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों के बीच अब पार्टियों की आंतरिक कलह भी खुलकर सामने आ रही है. जिसके कारण आए दिन नेताओं की दल-बदल जारी है. लेकिन सियासी पार्टियों में जारी टूट से एक पार्टी को खासा लाभ हो रहा है और आलम यह है कि इस पार्टी में अब नेता अपने लिए सियासी संभावनाएं तलाश रहे हैं. सूबे में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को अब बामुश्किल कुछ माह शेष बचे हैं. ऐसे में हर सियासी पार्टी सीटों के समीकरण को जमीनी स्तर पर जनसंपर्क और मुद्दों के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है.

हर दिन इस चुनावी मौसम में नेता अपने लिए सुरक्षित स्थान या यूं कहे कि सियासत में खुद को स्थापित करने को निर्णय ले रहे हैं. लगातार नेताओं को उनकी अंतरात्मा की आवाज सुनाई दे रही है. इसमें पूर्व मंत्री हों, चाहे किसी पार्टी के बड़े नेता, यहां तक कि कई सियासी पार्टियों के विधायक भी अपनी पार्टी से मोहभंग करके दूसरी पार्टियों का झंडा थाम रहे हैं. खैर, उन्हें ऐसा करने में कोई गुरेज नहीं हो रहा.

दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा

वहीं, पश्चिमी यूपी की राजनीति में मजबूत माने जाने वाली राष्ट्रीय लोकदल एक ऐसी पार्टी के तौर पर उभर रही है, जिसमें दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं की संख्या सबसे अधिक है. सियासी विश्लेषकों की मानें तो किसानों की पार्टी के रूप में चिन्हित जाटलैंड की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल वर्तमान में मजबूत स्थिति में है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस बार माहौल बिल्कुल अलग है.

इसे भी पढ़ें -इस बनारसी कांग्रेसी का अनोखा प्रण, कहा- जब तक नहीं बनेगी यूपी में कांग्रेस की सरकार, तब तक करूंगा नंगे पांव प्रचार

राष्ट्रीय लोकदल के पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष यशवीर सिंह ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर स्तर पर पार्टी के संघठनात्मक ढांचे को मजबूत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल में इस बार खास तौर से पश्चिमी यूपी के हर जिले में अन्य पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता के शामिल होने की होड़ लगी है. आगे उन्होंने कहा कि इस बार यूपी में जनता महंगाई, बेरोजगारी की वजह से त्रस्त हो चुकी है.

ऐसे में किसानों की हक की लड़ाई की बात हो, चाहे अन्य मुद्दे, रालोद हमेशा से ही जनकल्याण के मुद्दों को उठाते रही है. इतना ही नहीं जाति धर्मों के इतर आम लोगों की आवाज को राष्ट्रीय लोकदल ने हमेशा उठाया है.राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री मेहराजुद्दीन ने कहा कि जनता बदलाव चाहती है.

दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा
दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा

इस बदलाव के लिए रालोद तैयार है. योगी सरकार की नीतियों से हर कोई त्रस्त है. खासकर पश्चिम यूपी में अन्य पार्टियों के नेता उनसे लगातार संपर्क में हैं. हालांकि, उक्त विषय पर सियासी विश्लेषक हरिशंकर जोशी ने कहा कि रालोद में दूसरी पार्टियों के नेताओं के आने से अबकी पश्चिम यूपी में बदलाव की सूरत देखने को मिल सकती है.

वहीं, उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि 2022 में राष्ट्रीय लोकदल का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है. लेकिन पार्टी को दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं को लेकर जरा सावधान रहने की जरूरत है. हरिशंकर जोशी का कहना है कि इस बार रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी पर सभी की निगाहें हैं. क्योंकि इस बार उनकी सक्रियता देखते बन रही है. साथ ही पार्टी का तेजी से कुनबा बढ़ा है.

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मेरठ: आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तैयारियों के बीच अब पार्टियों की आंतरिक कलह भी खुलकर सामने आ रही है. जिसके कारण आए दिन नेताओं की दल-बदल जारी है. लेकिन सियासी पार्टियों में जारी टूट से एक पार्टी को खासा लाभ हो रहा है और आलम यह है कि इस पार्टी में अब नेता अपने लिए सियासी संभावनाएं तलाश रहे हैं. सूबे में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को अब बामुश्किल कुछ माह शेष बचे हैं. ऐसे में हर सियासी पार्टी सीटों के समीकरण को जमीनी स्तर पर जनसंपर्क और मुद्दों के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है.

हर दिन इस चुनावी मौसम में नेता अपने लिए सुरक्षित स्थान या यूं कहे कि सियासत में खुद को स्थापित करने को निर्णय ले रहे हैं. लगातार नेताओं को उनकी अंतरात्मा की आवाज सुनाई दे रही है. इसमें पूर्व मंत्री हों, चाहे किसी पार्टी के बड़े नेता, यहां तक कि कई सियासी पार्टियों के विधायक भी अपनी पार्टी से मोहभंग करके दूसरी पार्टियों का झंडा थाम रहे हैं. खैर, उन्हें ऐसा करने में कोई गुरेज नहीं हो रहा.

दलगत टूट से मजबूत हुआ रालोद का कुनबा

वहीं, पश्चिमी यूपी की राजनीति में मजबूत माने जाने वाली राष्ट्रीय लोकदल एक ऐसी पार्टी के तौर पर उभर रही है, जिसमें दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं की संख्या सबसे अधिक है. सियासी विश्लेषकों की मानें तो किसानों की पार्टी के रूप में चिन्हित जाटलैंड की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल वर्तमान में मजबूत स्थिति में है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि इस बार माहौल बिल्कुल अलग है.

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राष्ट्रीय लोकदल के पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष यशवीर सिंह ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर स्तर पर पार्टी के संघठनात्मक ढांचे को मजबूत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल में इस बार खास तौर से पश्चिमी यूपी के हर जिले में अन्य पार्टियों के नेता व कार्यकर्ता के शामिल होने की होड़ लगी है. आगे उन्होंने कहा कि इस बार यूपी में जनता महंगाई, बेरोजगारी की वजह से त्रस्त हो चुकी है.

ऐसे में किसानों की हक की लड़ाई की बात हो, चाहे अन्य मुद्दे, रालोद हमेशा से ही जनकल्याण के मुद्दों को उठाते रही है. इतना ही नहीं जाति धर्मों के इतर आम लोगों की आवाज को राष्ट्रीय लोकदल ने हमेशा उठाया है.राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री मेहराजुद्दीन ने कहा कि जनता बदलाव चाहती है.

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इस बदलाव के लिए रालोद तैयार है. योगी सरकार की नीतियों से हर कोई त्रस्त है. खासकर पश्चिम यूपी में अन्य पार्टियों के नेता उनसे लगातार संपर्क में हैं. हालांकि, उक्त विषय पर सियासी विश्लेषक हरिशंकर जोशी ने कहा कि रालोद में दूसरी पार्टियों के नेताओं के आने से अबकी पश्चिम यूपी में बदलाव की सूरत देखने को मिल सकती है.

वहीं, उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि 2022 में राष्ट्रीय लोकदल का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है. लेकिन पार्टी को दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं को लेकर जरा सावधान रहने की जरूरत है. हरिशंकर जोशी का कहना है कि इस बार रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी पर सभी की निगाहें हैं. क्योंकि इस बार उनकी सक्रियता देखते बन रही है. साथ ही पार्टी का तेजी से कुनबा बढ़ा है.

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