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धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा, आखिर क्यों दिलचस्पी नहीं ले रहे अन्नदाता

धीरे धीरे एक पखवाड़ा होने को है लेकिन मेरठ जिले में किसानों ने धान की बिक्री के लिए सरकारी तौल केंद्रों की तरफ रुख तक नहीं किया. जबकि सरकारी महकमे के जिम्मेदार दावा कर रहे हैं कि जिले में सभी तौल केंद्रों पर धान खरीद को सभी इंतजाम हैं.

धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
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Published : Oct 14, 2021, 8:39 AM IST

मेरठ: यूपी में योगी सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण करने का आदेश दिया था, मेरठ जिले में भी कुल 13 क्रय केंद्र स्थापित किये गए हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि गन्ना बेल्ट के तौर पर मशहूर इस जिले में अभी तक भी तौल केंद्रों पर कोई किसान नहीं पहुंचा है, ईटीवी भारत ने इस बारे पड़ताल की जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वो वजह है जो धान क्रय केंद्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है.



दरअसल, गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर मेरठ जिले में किसानों ने धान न उगाया हो ऐसा भी नहीं है ,हालांकि बड़े पैमाने पर यहां गन्ने की खेती होती है, किसानों का कहना है कि तौल केंद्र तो स्थापित हुए हैं, लेकिन इसे प्रचार-प्रसार की कमी कहें या कुछ और उन्हें इस बारे में जानकारी मिली ही नहीं, वहीं किसानों का ये भी कहना है कि सरकारी तौल केंद्रों पर जिस भाव धान खरीदा जा रहा है, वो वैराइटी लोग नहीं उगाते, किसानों के कहना है कि जो वैराइटी वो लोग उगाते हैं उसकी कीमत बाजार में अधिक होती है.

धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
इस बारे में खरखोदा के तौल केंद्र पर ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक कर ये जानने की कोशिश की कि आखिर वहां क्या कुछ व्यवस्था हैं, तौल केंद्र पर कहीं कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी, जिससे ये पता चल सके कि वहां धान की खरीद को कुछ इंतजाम किए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत के कैमरे हरकत में आए तो वहां जानकारी करके लोग इंतजाम में लग गए.एक तो प्रचार प्रसार का अभाव ऊपर से क्रय केंद्र बनाए गए सेंटर पर कहीं ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि यहां धान खरीद के लिए सेंटर बनाया गया है. आनन-फानन में अपनी अधिकारी का आदेश पाकर तत्काल दरी बिछाई गई, कांटे रख दिये गए कुर्सियां तक जमा दी गईं.
खरखोदा के तौल केंद्र
खरखोदा के तौल केंद्र
केंद्र पर तैनात विपणन निरीक्षक किरण का कहना है कि सभी तैयारी हैं, हमने जानने की कोशिश की कि क्या कोई किसी तरह का प्रचार क्षेत्र में नहीं किया गया है, या क्या वो वजह है जो किसान दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, तो अफसर का दावा यही था कि प्रचार प्रसार बहुत हुआ है.किसानों से बात की वो मानते हैं कि जो कीमत इन धान क्रय केंद्रों पर निर्धारित है उससे बेहतर तो वे बाजार में अपनी फसल बिक्री कर ले रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें गन्ने पर ज्यादा भरोसा है.
एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण
एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण
विपणन निरीक्षक का कहना है कि एक वजह ये भी है कि जिले में किसान गन्ने की फसल पर अधिक भरोसा करते हैं. इस बारे में जिला विपणन अधिकारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि पिछली बार 13 तौल केंद्रों में से 6 पर तो एक दाना भी किसान लेकर नहीं पहुंचे थे, विपणन निरीक्षक ने बताया कि पिछली बार भी खरखोदा क्षेत्र में एक भी किसान ने यहां एक भी दाना क्रय करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.
धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
फिलहाल कुछ किसान आरोप लगाते हैं कि उन्हें सरकारी कांटे स्थापना की जानकारी नहीं है, वहीं कुछ किसानों का कहना है कि अच्छी किस्म की वैराइटी का धान उगाते हैं, जिसका मूल्य अधिक तो उन्हें बाहर बाजार में मिल रहा है तो फिर वो आखिर औने-पौने दाम में सरकारी मूल्य पर खरीद क्यों भला करेंगे.

मेरठ: यूपी में योगी सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण करने का आदेश दिया था, मेरठ जिले में भी कुल 13 क्रय केंद्र स्थापित किये गए हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि गन्ना बेल्ट के तौर पर मशहूर इस जिले में अभी तक भी तौल केंद्रों पर कोई किसान नहीं पहुंचा है, ईटीवी भारत ने इस बारे पड़ताल की जानने की कोशिश की कि आखिर क्या वो वजह है जो धान क्रय केंद्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है.



दरअसल, गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर मेरठ जिले में किसानों ने धान न उगाया हो ऐसा भी नहीं है ,हालांकि बड़े पैमाने पर यहां गन्ने की खेती होती है, किसानों का कहना है कि तौल केंद्र तो स्थापित हुए हैं, लेकिन इसे प्रचार-प्रसार की कमी कहें या कुछ और उन्हें इस बारे में जानकारी मिली ही नहीं, वहीं किसानों का ये भी कहना है कि सरकारी तौल केंद्रों पर जिस भाव धान खरीदा जा रहा है, वो वैराइटी लोग नहीं उगाते, किसानों के कहना है कि जो वैराइटी वो लोग उगाते हैं उसकी कीमत बाजार में अधिक होती है.

धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
इस बारे में खरखोदा के तौल केंद्र पर ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक कर ये जानने की कोशिश की कि आखिर वहां क्या कुछ व्यवस्था हैं, तौल केंद्र पर कहीं कोई ऐसी व्यवस्था नहीं थी, जिससे ये पता चल सके कि वहां धान की खरीद को कुछ इंतजाम किए गए हैं, लेकिन जब ईटीवी भारत के कैमरे हरकत में आए तो वहां जानकारी करके लोग इंतजाम में लग गए.एक तो प्रचार प्रसार का अभाव ऊपर से क्रय केंद्र बनाए गए सेंटर पर कहीं ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि यहां धान खरीद के लिए सेंटर बनाया गया है. आनन-फानन में अपनी अधिकारी का आदेश पाकर तत्काल दरी बिछाई गई, कांटे रख दिये गए कुर्सियां तक जमा दी गईं.
खरखोदा के तौल केंद्र
खरखोदा के तौल केंद्र
केंद्र पर तैनात विपणन निरीक्षक किरण का कहना है कि सभी तैयारी हैं, हमने जानने की कोशिश की कि क्या कोई किसी तरह का प्रचार क्षेत्र में नहीं किया गया है, या क्या वो वजह है जो किसान दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, तो अफसर का दावा यही था कि प्रचार प्रसार बहुत हुआ है.किसानों से बात की वो मानते हैं कि जो कीमत इन धान क्रय केंद्रों पर निर्धारित है उससे बेहतर तो वे बाजार में अपनी फसल बिक्री कर ले रहे हैं, वहीं कुछ किसानों ने बताया कि उन्हें गन्ने पर ज्यादा भरोसा है.
एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण
एक अक्टूबर से धान खरीद के लिए सभी इंतजाम पूर्ण
विपणन निरीक्षक का कहना है कि एक वजह ये भी है कि जिले में किसान गन्ने की फसल पर अधिक भरोसा करते हैं. इस बारे में जिला विपणन अधिकारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि पिछली बार 13 तौल केंद्रों में से 6 पर तो एक दाना भी किसान लेकर नहीं पहुंचे थे, विपणन निरीक्षक ने बताया कि पिछली बार भी खरखोदा क्षेत्र में एक भी किसान ने यहां एक भी दाना क्रय करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.
धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
धान क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
फिलहाल कुछ किसान आरोप लगाते हैं कि उन्हें सरकारी कांटे स्थापना की जानकारी नहीं है, वहीं कुछ किसानों का कहना है कि अच्छी किस्म की वैराइटी का धान उगाते हैं, जिसका मूल्य अधिक तो उन्हें बाहर बाजार में मिल रहा है तो फिर वो आखिर औने-पौने दाम में सरकारी मूल्य पर खरीद क्यों भला करेंगे.
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