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कार सेवक पंकज कश्यप के पास आज भी है राम मंदिर आंदोलन की खास निशानी, दो बार जा चुके हैं जेल

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 14, 2024, 9:03 AM IST

राम मंदिर के लिए काफी कार सेवकों और राम भक्तों ने यातनाएं सही थीं. जेल भी गए थे, पुलिस की लाठियां भी खाईं थी. मेरठ के कार सेवक पंकज कश्यप (Meerut kar Sevak Pankaj Kashyap) भी इन्हीं में से एक हैं.

कार सेवक के पास है खास निशानी.
कार सेवक के पास है खास निशानी.
कार सेवक के पास है खास निशानी.

मेरठ : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर राम भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके कार सेवक भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. मेरठ के खंदक बाजार मोहल्ला निवासी पंकज कश्यप भी इन्हीं कार सेवकों में से एक हैं. वह 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या में मौजूद थे. वह विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान ढांचे के अवशेष से एक पत्थर की मूर्ति भी अपने साथ याद के तौर पर लाए थे. इसे उन्होंने आज भी सहेजकर रखा है.

तमामा बाधाएं पारकर पहुंचे थे अयोध्या : ईटीवी भारत से बातचीत में पंकज कश्यप ने बताया कि वह अपने कुछ साथियों के साथ कार सेवा के लिए एक दिसंबर 1992 की रात को अयोध्या के लिए निकले थे. रास्ते में तमाम बाधाएं आईं. साथियों के साथ पहले लखनऊ पहुंचे थे. उस दौरान हालात कुछ इस तरह के थे कि पुलिस कर्मी अयोध्या की तरफ किसी को नहीं जाने दे रहे थे. इसके बाद वे पहले गोंडा चले गए. वहां से नवाबगंज होकर किसी तरह अयोध्या पहुंचे. कार सेवकों को जगह-जगह रोका जा रहा था. इसके बाद वे कई दिनों तक पुलिस को चकमा देकर अयोध्या में रहे. उस दौरान रामभक्तों का खून उबाल मार रहा था. हर राम भक्त राम मंदिर आंदोलन में दिल से जुड़ना चाहता था.

खास निशानी को पंकज कश्यप ने आज भी संभाल कर रखा है.
खास निशानी को पंकज कश्यप ने आज भी संभाल कर रखा है.

बेरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ा था रामभक्तों का जत्था : पंकज कश्यप ने बताया कि छह दिसंबर की सुबह सभी लोग उठे सरयू जी में स्नान किया. इसके बाद तैयार होकर निकल पड़े. विवादित ढांचे के पास थोड़ी ही दूरी पर मंच बना हुआ था. 10 बजे के करीब भाषण शुरू हो गया. पहला जत्था बेरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ गया. कंटीले तारों के बेरिकेड को भी तोड़ दिया गया था. सभी कार सेवकों का रेला आगे बढ़ रहा था. कार सेवकों ने विवादित ढांचे को तोड़ दिया था. इसके बाद हम लोग वहां से लौटने लगे थे. विवादित ढांचे के मलबे से देवी-देवताओं की आकृति की बनी तमाम मूर्तियां वहां बिखरी पड़ी थीं. यह अवशेष मंदिर के थे. इनमें से एक टुकड़ा लेकर वह मेरठ चले आए. आज भी उन्होंने उसे सहेजकर रखा है.

पंकज साथियों के साथ गए थे कार सेवा करने.
पंकज साथियों के साथ गए थे कार सेवा करने.

बहुत मुश्किलों के बाद शुभ दिन आया : पंकज कश्यप इसे भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति बताते हैं. वह कहते हैं कि उस दौरान उनकी उम्र 22 साल थी. कार सेवा में शामिल होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था. दो बार वह जेल गए थे. इसके साक्ष्य भी उनके पास हैं. अब 22 तारीख का बेसब्री से इंतजार है. अब वह शुभ घड़ी आने वाली है जिसका इंतजार रामभक्तों को सैकड़ों सालों से था. राम मंदिर के लिए आंदोलन में शामिल लोगों के लिए इससे बढ़कर खुशी का दिन कोई और हो ही नहीं सकता है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन मंदिर में पूजा की जाएगी. इस दिन सभी दीपावली मनाएं, एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटें. बहुत मुश्किलों के बाद यह शुभ दिन आया है. पंकज कश्यप ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे.

यह भी पढ़ें : रामनगरी में इस दुकान की रबड़ी खाते हैं रामलला, पीते हैं दूध, 65 साल से कायम है परंपरा, पढ़िए डिटेल

कार सेवक के पास है खास निशानी.

मेरठ : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर राम भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले चुके कार सेवक भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. मेरठ के खंदक बाजार मोहल्ला निवासी पंकज कश्यप भी इन्हीं कार सेवकों में से एक हैं. वह 6 दिसंबर 1992 में अयोध्या में मौजूद थे. वह विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान ढांचे के अवशेष से एक पत्थर की मूर्ति भी अपने साथ याद के तौर पर लाए थे. इसे उन्होंने आज भी सहेजकर रखा है.

तमामा बाधाएं पारकर पहुंचे थे अयोध्या : ईटीवी भारत से बातचीत में पंकज कश्यप ने बताया कि वह अपने कुछ साथियों के साथ कार सेवा के लिए एक दिसंबर 1992 की रात को अयोध्या के लिए निकले थे. रास्ते में तमाम बाधाएं आईं. साथियों के साथ पहले लखनऊ पहुंचे थे. उस दौरान हालात कुछ इस तरह के थे कि पुलिस कर्मी अयोध्या की तरफ किसी को नहीं जाने दे रहे थे. इसके बाद वे पहले गोंडा चले गए. वहां से नवाबगंज होकर किसी तरह अयोध्या पहुंचे. कार सेवकों को जगह-जगह रोका जा रहा था. इसके बाद वे कई दिनों तक पुलिस को चकमा देकर अयोध्या में रहे. उस दौरान रामभक्तों का खून उबाल मार रहा था. हर राम भक्त राम मंदिर आंदोलन में दिल से जुड़ना चाहता था.

खास निशानी को पंकज कश्यप ने आज भी संभाल कर रखा है.
खास निशानी को पंकज कश्यप ने आज भी संभाल कर रखा है.

बेरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ा था रामभक्तों का जत्था : पंकज कश्यप ने बताया कि छह दिसंबर की सुबह सभी लोग उठे सरयू जी में स्नान किया. इसके बाद तैयार होकर निकल पड़े. विवादित ढांचे के पास थोड़ी ही दूरी पर मंच बना हुआ था. 10 बजे के करीब भाषण शुरू हो गया. पहला जत्था बेरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ गया. कंटीले तारों के बेरिकेड को भी तोड़ दिया गया था. सभी कार सेवकों का रेला आगे बढ़ रहा था. कार सेवकों ने विवादित ढांचे को तोड़ दिया था. इसके बाद हम लोग वहां से लौटने लगे थे. विवादित ढांचे के मलबे से देवी-देवताओं की आकृति की बनी तमाम मूर्तियां वहां बिखरी पड़ी थीं. यह अवशेष मंदिर के थे. इनमें से एक टुकड़ा लेकर वह मेरठ चले आए. आज भी उन्होंने उसे सहेजकर रखा है.

पंकज साथियों के साथ गए थे कार सेवा करने.
पंकज साथियों के साथ गए थे कार सेवा करने.

बहुत मुश्किलों के बाद शुभ दिन आया : पंकज कश्यप इसे भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति बताते हैं. वह कहते हैं कि उस दौरान उनकी उम्र 22 साल थी. कार सेवा में शामिल होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था. दो बार वह जेल गए थे. इसके साक्ष्य भी उनके पास हैं. अब 22 तारीख का बेसब्री से इंतजार है. अब वह शुभ घड़ी आने वाली है जिसका इंतजार रामभक्तों को सैकड़ों सालों से था. राम मंदिर के लिए आंदोलन में शामिल लोगों के लिए इससे बढ़कर खुशी का दिन कोई और हो ही नहीं सकता है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन मंदिर में पूजा की जाएगी. इस दिन सभी दीपावली मनाएं, एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटें. बहुत मुश्किलों के बाद यह शुभ दिन आया है. पंकज कश्यप ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे.

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