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मेरठ: 6 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले में एक आरोपी बिजनौर से गिरफ्तार

उत्तराखंड में फर्जी कॉलेज और फर्जी छात्र दर्शाकर करीब छह करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले में मेरठ सेक्टर की ईओडब्ल्यू टीम ने एक आरोपी को बिजनौर से गिरफ्तार किया है. ईओडब्ल्यू एसपी रामसुरेश यादव ने बताया कि आरोपी का नाम भीम सिंह है.

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गिरफ्तार आरोपी.
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Published : Sep 11, 2020, 10:53 AM IST

मेरठ: उत्तराखंड में फर्जी कॉलेज और फर्जी छात्र दर्शाकर करीब छह करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले में मेरठ सेक्टर की ईओडब्ल्यू टीम ने एक आरोपी को बिजनौर से गिरफ्तार किया है. ईओडब्ल्यू एसपी रामसुरेश यादव ने बताया कि आरोपी का नाम भीम सिंह है. वह बिजनौर की कोतवाली देहात क्षेत्र के ग्राम सनपता का रहने वाला है. आरोपी की गिरफ्तारी बिजनौर के ग्राम ककराला बस अड्डे के पास से हुई है.

एसपी रामसुरेश यादव के मुताबिक इस घोटाले के मुख्य आरोपी ततारपुर निवासी अंकित राजपूत को बीती 20 फरवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. भीम सिंह मुख्य आरोपी अंकित राजपूत का सहयोगी है. इस मामले में बिजनौर के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी पजनेश कुमार, प्रधान लिपिक रामेश्वर दयाल, सुपरवाइजर मलिक महमूद खां और योगेश कुमार की भूमिका सामने आई है. इनके खिलाफ भी मुकदमा चलाने के लिए शासन से अनुमति मांगी जा रही है.

बताया गया कि मुख्य आरोपी अंकित राजपूत और भीम सिंह को वर्ष 2013 में बिजनौर पुलिस ने पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था. उनके पास से उस वक्त सौ से अधिक बैंक पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड, सरकारी मुहरें आदि बरामद हुईं थीं. उनकी गिरफ्तारी के बाद ही छात्रवृत्ति घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.

वर्ष 2014 में दर्ज कराया था मुकदमा
जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2014 में बिजनौर की कोतवाली शहर में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अजय गोस्वामी ने 6 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में इसकी जांच वर्ष 2015 में ईओडब्ल्यू सेक्टर मेरठ को सौंप दी गई थी. जांच के दौरान सामने आया कि आरोपियों ने गांव-गांव जाकर छात्रों से उनके शैक्षिक दस्तावेज इकट्ठा कर लिए. शैक्षिक दस्तावेज इकट्ठा करने के बाद इन छात्रों को उत्तराखंड के देहरादून, उधमसिंह नगर और काशीपुर के सात कॉलेजों में अध्ययनरत दिखाकर करीब 6 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली.

देहरादून के करनपुर इलाके में इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ कंप्यूटर सांइस का बोर्ड लगाकर 37 छात्रों का प्रवेश भी दिखाया गया था. इसके बाद शासन से सत्र 2010-11 के लिए आई छात्रवृत्ति को कूटरचित कागज तैयार कर बैंक में खाते खुलवाकर हड़प लिया गया था.

मेरठ: उत्तराखंड में फर्जी कॉलेज और फर्जी छात्र दर्शाकर करीब छह करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले में मेरठ सेक्टर की ईओडब्ल्यू टीम ने एक आरोपी को बिजनौर से गिरफ्तार किया है. ईओडब्ल्यू एसपी रामसुरेश यादव ने बताया कि आरोपी का नाम भीम सिंह है. वह बिजनौर की कोतवाली देहात क्षेत्र के ग्राम सनपता का रहने वाला है. आरोपी की गिरफ्तारी बिजनौर के ग्राम ककराला बस अड्डे के पास से हुई है.

एसपी रामसुरेश यादव के मुताबिक इस घोटाले के मुख्य आरोपी ततारपुर निवासी अंकित राजपूत को बीती 20 फरवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. भीम सिंह मुख्य आरोपी अंकित राजपूत का सहयोगी है. इस मामले में बिजनौर के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी पजनेश कुमार, प्रधान लिपिक रामेश्वर दयाल, सुपरवाइजर मलिक महमूद खां और योगेश कुमार की भूमिका सामने आई है. इनके खिलाफ भी मुकदमा चलाने के लिए शासन से अनुमति मांगी जा रही है.

बताया गया कि मुख्य आरोपी अंकित राजपूत और भीम सिंह को वर्ष 2013 में बिजनौर पुलिस ने पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था. उनके पास से उस वक्त सौ से अधिक बैंक पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड, सरकारी मुहरें आदि बरामद हुईं थीं. उनकी गिरफ्तारी के बाद ही छात्रवृत्ति घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.

वर्ष 2014 में दर्ज कराया था मुकदमा
जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2014 में बिजनौर की कोतवाली शहर में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अजय गोस्वामी ने 6 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में इसकी जांच वर्ष 2015 में ईओडब्ल्यू सेक्टर मेरठ को सौंप दी गई थी. जांच के दौरान सामने आया कि आरोपियों ने गांव-गांव जाकर छात्रों से उनके शैक्षिक दस्तावेज इकट्ठा कर लिए. शैक्षिक दस्तावेज इकट्ठा करने के बाद इन छात्रों को उत्तराखंड के देहरादून, उधमसिंह नगर और काशीपुर के सात कॉलेजों में अध्ययनरत दिखाकर करीब 6 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति हड़प ली.

देहरादून के करनपुर इलाके में इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ कंप्यूटर सांइस का बोर्ड लगाकर 37 छात्रों का प्रवेश भी दिखाया गया था. इसके बाद शासन से सत्र 2010-11 के लिए आई छात्रवृत्ति को कूटरचित कागज तैयार कर बैंक में खाते खुलवाकर हड़प लिया गया था.

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