मेरठः वर्तमान समय में एक जटिल समस्या डॉक्टरों के सामने आ रही है. यह समस्या है गर्भवती महिलाओं द्वारा तय समय से पहले बच्चों का जन्म देना. इन्हें प्रीमैच्योर बेबी(Premature Baby) कहा जाता है. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.
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डॉक्टर प्रियंका कहती हैं कि सबसे ज्यादा जरूरी है कि जो गर्भधारण की सही उम्र होनी चाहिए. एक बायोलॉजिकल चक्र जो वुमन का है वह वैसा ही होना चाहिए जैसे कि भगवान ने बनाया है. वह सही उम्र है लगभग 25 से 26 साल तक या बहुत अधिक हो तो 30 साल तक. उन्होंने कहा कि गर्भाधारण का जब भी पता चले तो किसी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में जरूर दिखाएं. सही समय पर सही जांच कराकर सब ठीक किया जा सकता है. आयरन,फोलिक एसिड की टेबलेट समेत नियमित तय समय पर अल्ट्रासाउंड होने चाहिएं. शुगर से लेकर ब्लडप्रेशर भी दिखाएं. इंफेक्शन ठीक हो सकता है.
वहीं, SNCU के नोडल अधिकारी अमर सिंह गुंजियाल ने बताया कि ऐसे बच्चे जो कि प्रीमैच्योर हैं, जिनका वजन कम होता है, ऐसे बच्चे 20 से 25 प्रतिशत या कभी कुछ कम और कभी ज्यादा जिला अस्पताल में हर दिन एडमिट हो रहे हैं. हमारे यहां की परंपरा ये है कि महिलाएं सबसे बाद में खाना खाती हैं. ऐसे में जरूरी है सम्पूर्ण पोषण युक्त आहार माताओं को नहीं मिलता है. माताओं को पौष्टिक आहार मिलना बेहद जरूर है. समय-समय पर जांच जरूर कराते रहें.
मेरठ के महिला जिला अस्पताल में SNCU वार्ड में बतौर स्टाफ नर्स कार्यरत रोहित जांगिड़ बताते हैं कि हर दिन ऐसे नवजात शिशु एडमिट होते हैं जिनकी डिलीवरी समय से पूर्व हो जाती है. वह कहते हैं कि हमारे यहां पर 12 बेड हैं जो कि हर वक्त भरे ही रहते हैं.