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चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

इस बारे में यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी संकाय के HOD विकाश शर्मा ने जानकारी दी. कहा कि अब विद्यार्थियों के लिए खास सिलेबस तैयार किया गया है. इस अनोखे प्रयास के तहत अंग्रेजी के विद्यार्थी अब यहां कबीर के दोहों को अंग्रेजी में पढ़ेंगे.

अब विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे, जानें क्या है मामला
अब विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे, जानें क्या है मामला
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Published : Oct 5, 2021, 5:33 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 7:06 AM IST

मेरठ : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव होने शुरू हो गए हैं. अब चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को कबीर के दोहे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाए जाएंगे. साथ ही अन्य प्रसिद्ध रचनाकारों, साहित्यकारों को भी एमए अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. ईटीवी भारत की एक खास कवरेज..

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के MA अंग्रेजी के छात्रों के लिए इस बार खास कोर्स तैयार किया गया है. सत्र 2021 के लिए तैयार इस कोर्स में विश्वविद्यालय ने हिंदी, संस्कृत, मराठी, बांग्ला, पंजाबी के कई प्रसिद्ध साहित्यकारों, महात्मा गांधी व जवाहरलाल नेहरू की लिखी पुस्तकों के भी कुछ अंश शामिल करने की योजना बनाई है.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

इस बारे में यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी संकाय के HOD विकाश शर्मा ने जानकारी दी. कहा कि अब विद्यार्थियों के लिए खास सिलेबस तैयार किया गया है. इस अनोखे प्रयास के तहत अंग्रेजी के विद्यार्थी अब यहां कबीर के दोहों को अंग्रेजी में पढ़ेंगे. साथ ही रविंद्रनाथ टैगोर से लेकर सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन, अज्ञेय के उपन्यास, महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम को भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ेंगे.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच
अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

HOD डॉक्टर विकाश शर्मा ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड ऑफ स्टडीज से स्वीकृत कराने के बाद कुलपति की तरफ से भी हरी झंडी मिल चुकी है. जिम्मेदार मानते हैं कि इससे एक तो साहित्य का विस्तार होगा, वहीं दुनिया में यहां के बच्चे जहां भी जाएंगे वहां एक तुलनात्मक आध्ययन सामने रख सकेंगे.

बता सकेंगे के पश्चिमी साहित्य के साथ भारत में भी सदियों से साहित्यिक चेतना रही और यहां के महान लेखकों ने अपने युगों में क्या लिखा. छात्र भारत के साहित्य, साहित्यकारों व रचनाकारों को जानने के साथ ही उन्होंने विश्व पटल तक ले जा सकेंगे. पढ़ाई के दौरान छात्र भी हिंदी के रचनाकारों के बारे में जान व समझ सकेंगे.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच
अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

यह भी पढ़ें : जानिए मेरठ में GPS से क्यों खोजी जा रही गौरैया, क्या है इसका मकसद!

बताया कि नए पाठ्यक्रम में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया और मराठी साहित्यकार विजय तेंदुलकर के नाटकों को भी अंग्रेजी माध्यम के छात्र पढ़ सकेंगे. इस बार वैकल्पिक प्रश्नपत्र भी रहेगा. वहीं आस्ट्रेलियन लिटरेचर को भी स्टूडेंट पढ़ सकेंगे.

विश्वविद्यालय में इस बार जो बदलाव हुए हैं, उसका छात्र भी उत्साह के साथ स्वागत कर रहे हैं. छात्र मानते हैं कि इससे हिंदी की रचनाएं व साहित्य भी ग्लोबल बन सकेगा. दुनिया भारत के साहित्य को भी जानने व इसका भारतीय साहित्य के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने में सफलता मिलेगी.

एचओडी डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि जो छात्र एमए इंग्लिश में आते हैं, वो अंग्रेजी पढ़ रहे होते हैं. अंग्रेजी बैकग्राउंड के साथ आते हैं. वो अंग्रेजी साहित्य के अलावा और कुछ नहीं जान पाते. उन्होंने कहा कि कबीर का दर्शन प्रासंगिक है.

वो कहते हैं कि जिस तरह से कबीर ने काशी में रहकर कट्टरपंथियों को अपनी रचनाओं से फटकार लगाई थी, वह सेक्यूलिरिज्म का अनुमप उदाहरण है. इसे सभी छात्रों को जानना चाहिए. कहा कि उनकी कविताएं जिसे रविंद्रनाथ ठाकुर ने अंग्रेजी में अनुवादित किया है, को पढ़कर छात्र ये भी जान सकते हैं कि सेकुलरिज़्म इस देश की शक्ति है. देश का प्राण है. इसलिए कबीर दास जी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

मेरठ : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव होने शुरू हो गए हैं. अब चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को कबीर के दोहे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाए जाएंगे. साथ ही अन्य प्रसिद्ध रचनाकारों, साहित्यकारों को भी एमए अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. ईटीवी भारत की एक खास कवरेज..

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के MA अंग्रेजी के छात्रों के लिए इस बार खास कोर्स तैयार किया गया है. सत्र 2021 के लिए तैयार इस कोर्स में विश्वविद्यालय ने हिंदी, संस्कृत, मराठी, बांग्ला, पंजाबी के कई प्रसिद्ध साहित्यकारों, महात्मा गांधी व जवाहरलाल नेहरू की लिखी पुस्तकों के भी कुछ अंश शामिल करने की योजना बनाई है.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

इस बारे में यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी संकाय के HOD विकाश शर्मा ने जानकारी दी. कहा कि अब विद्यार्थियों के लिए खास सिलेबस तैयार किया गया है. इस अनोखे प्रयास के तहत अंग्रेजी के विद्यार्थी अब यहां कबीर के दोहों को अंग्रेजी में पढ़ेंगे. साथ ही रविंद्रनाथ टैगोर से लेकर सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन, अज्ञेय के उपन्यास, महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम को भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ेंगे.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच
अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

HOD डॉक्टर विकाश शर्मा ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड ऑफ स्टडीज से स्वीकृत कराने के बाद कुलपति की तरफ से भी हरी झंडी मिल चुकी है. जिम्मेदार मानते हैं कि इससे एक तो साहित्य का विस्तार होगा, वहीं दुनिया में यहां के बच्चे जहां भी जाएंगे वहां एक तुलनात्मक आध्ययन सामने रख सकेंगे.

बता सकेंगे के पश्चिमी साहित्य के साथ भारत में भी सदियों से साहित्यिक चेतना रही और यहां के महान लेखकों ने अपने युगों में क्या लिखा. छात्र भारत के साहित्य, साहित्यकारों व रचनाकारों को जानने के साथ ही उन्होंने विश्व पटल तक ले जा सकेंगे. पढ़ाई के दौरान छात्र भी हिंदी के रचनाकारों के बारे में जान व समझ सकेंगे.

अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच
अब मेरठ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के छात्र भी पढ़ेंगे कबीर के दोहे और अंबेडकर की स्पीच

यह भी पढ़ें : जानिए मेरठ में GPS से क्यों खोजी जा रही गौरैया, क्या है इसका मकसद!

बताया कि नए पाठ्यक्रम में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इंडिया और मराठी साहित्यकार विजय तेंदुलकर के नाटकों को भी अंग्रेजी माध्यम के छात्र पढ़ सकेंगे. इस बार वैकल्पिक प्रश्नपत्र भी रहेगा. वहीं आस्ट्रेलियन लिटरेचर को भी स्टूडेंट पढ़ सकेंगे.

विश्वविद्यालय में इस बार जो बदलाव हुए हैं, उसका छात्र भी उत्साह के साथ स्वागत कर रहे हैं. छात्र मानते हैं कि इससे हिंदी की रचनाएं व साहित्य भी ग्लोबल बन सकेगा. दुनिया भारत के साहित्य को भी जानने व इसका भारतीय साहित्य के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने में सफलता मिलेगी.

एचओडी डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि जो छात्र एमए इंग्लिश में आते हैं, वो अंग्रेजी पढ़ रहे होते हैं. अंग्रेजी बैकग्राउंड के साथ आते हैं. वो अंग्रेजी साहित्य के अलावा और कुछ नहीं जान पाते. उन्होंने कहा कि कबीर का दर्शन प्रासंगिक है.

वो कहते हैं कि जिस तरह से कबीर ने काशी में रहकर कट्टरपंथियों को अपनी रचनाओं से फटकार लगाई थी, वह सेक्यूलिरिज्म का अनुमप उदाहरण है. इसे सभी छात्रों को जानना चाहिए. कहा कि उनकी कविताएं जिसे रविंद्रनाथ ठाकुर ने अंग्रेजी में अनुवादित किया है, को पढ़कर छात्र ये भी जान सकते हैं कि सेकुलरिज़्म इस देश की शक्ति है. देश का प्राण है. इसलिए कबीर दास जी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.

Last Updated : Oct 6, 2021, 7:06 AM IST
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