मेरठः लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में मंगलवार को एक प्रसूता की पीड़ा रहित (normal delivery )प्रसव कराया गया है. एनेस्थीसिया विभाग के सहयोग से लेबर एनाल्जेसिया विधि(labor analgesia method)द्वारा पीड़ा रहित (normal delivery ) प्रसव कराया गया है. निजी अस्पतालों में इस विधि से प्रसव के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज में इस विधि से निःशुल्क प्रसव कराया जा सकता है.
ये डॉक्टर रहे शामिल
मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर वीडी पांडेय ने बताया कि प्रसूता सोनिया की बिना प्रसव पीड़ा के नॉर्मल प्रसव (डिलीवरी) कराया गया. मरीज की यह प्रथम प्रेगनेंसी थी और प्रसव पीड़ा के कारण वह बहुत परेशान हो रही थी. उन्होंने बताया कि मरीज को पहले एपिड्यूरल एनेस्थीसिया (epidural anesthesia) के लिए डॉक्टरों के द्वारा समझाया गया था, जिसके लिए प्रसव के लिए आईं सोनिया ने स्वीकृति दी थी. बिना दर्द के सामान्य ढंग से डिलीवरी कराने वाली टीम में आचार्य डॉक्टर रचना चौधरी एवं उनकी टीम के डॉक्टर मोनिका, डॉ. नेहा, डॉक्टर हेमा, डॉक्टर राजेश, डॉक्टर नैंसी शामिल थे.
बता दें कि प्रसव के लिए आने वाली मरीज सोनिया की उम्र करीब 23 वर्ष है, जो मेरठ के जागृति की रहने वाली हैं. इस डिलीवरी को सामान्य तरीके से कराने में एनेस्थीसिया विभाग के आचार्य डॉक्टर सुभाष दहिया, डॉक्टर सुधीर धामा के मार्गदर्शन में लेबर एनाल्जेसिया विधि (labor analgesia method)से एपिड्यूरल एनेस्थीसिया देकर पीड़ा रहित प्रसव कराया गया.
कमर में लगाई जाती है सुई
लेबर एनाल्जेसिया मरीज को कई विधियों द्वारा दिया जा सकता है, लेकिन एपीड्यूरल एनेस्थीसिया (epidural anesthesia) सबसे नवीनतम तकनीक में से एक है. इसमें मरीज की कमर में सुई लगाकर एपिड्यूरल कैथेटर के द्वारा एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसमें मरीज को प्रसव के दौरान व बाद में कोई पीड़ा नहीं होती. मरीज की नार्मल डिलीवरी में कोई पीड़ा नहीं होती एवं प्रसव आसानी से हो जाता है. अगर मरीज को इसके बाद भी सिजेरियन ऑपरेशन (cesarean operation) द्वारा प्रसव कराना पड़ता है, तो भी इसी एनेस्थीसिया के द्वारा सिजेरियन प्रसव भी कराया जा सकता है अलग से मरीज को कोई बेहोशी नहीं दी जाती है.
बच्चों को आसानी से मिल जाता है मां का दूध
चिकित्सकों की मानें तो एपिड्यूरल एनेस्थीसिया का एक और लाभ यह भी है कि मरीज को सिजेरियन के बाद भी दर्द नहीं होता है. इस तरीके से मरीज के द्वारा पैदा हुए बच्चे को जल्दी से मां का दूध आसानी से उपलब्ध हो जाता है, क्योंकि मां प्रसव के बाद पीड़ा ग्रस्त नहीं रहती है, इसलिए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि मां का दूध आसानी से प्राप्त हो जाता है. मां का दूध नवजात शिशु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.
प्रथम बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है यह विधि
बताते चलें कि प्रसव के दौरान होने वाले असहनीय दर्द के डर के कारण आजकल बहुत सी नव प्रसूताएं अनुरोध करती हैं कि उनका प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा कर दिया जाए. ऐसे में एपीड्यूरल एनेस्थीसिया विधि(epidural anesthesia method) द्वारा प्रसव वरदान साबित हो सकता है. विशेषकर उन महिलाओं के लिये जिन्होंने प्रथम बार गर्भ धारण किया है. प्रधानाचार्य डॉ. आर सी गुप्ता ने बताया कि लेबर एनाल्जेसिया विधि(labor analgesia method) द्वारा दर्द रहित प्रसव का प्रचार एवं प्रसार होना चाहिए, जिससे बहुतायत में नव प्रसूताएं लाभांवित होती रहें.
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