मेरठ: देवभूमि में आई त्रासदी ने जहां उत्तराखंड के कई जिलों में तबाही का मंजर बना दिया है, वहीं पश्चमी उत्तर प्रदेश में भी कोहराम मचा हुआ है. मेरठ और अमरोहा जिले के 9 लोगों के लापता होने की खबर मिल रही है. सभी लोग चमोली में आये जलप्रलय में लापता हो गए हैं. पिछले दो दिन से परिजनों का उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते परिजनों को अनहोनी की चिंता सताने लगी है. जल प्रलय की आ रही तस्वीरों को देखने के बाद परिजनों की सांसें भी अटकी हुई हैं. इसके लिए परिजन उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर भी संपर्क किया है,लेकिन अभी तक कोई भी जानकारी नहीं मिली है.
मेरठ जिले के गांव कसेरूखेड़ा निवासी सौरभ प्रजापति जियो कंपनी का टावर लगाने का काम करते हैं. हाल ही में उन्हें उत्तराखंड के जोशीमठ में मोबाइल टावर लगाने का ठेका मिला था. सौरभ के साथ अमरोहा से 5 और मेरठ से 4 लोग टावर लगाने के लिए उत्तराखण्ड गए हुए थे. मेरठ से प्रदीप कुमार (25), रोहित (23), बालक राम (24) और 21 वर्षीय अतुल कुमार निवासीगण आजाद नगर खटकाना पुल थाना लालकुर्ती जोशीमठ टॉवर लगाने गए थे, जो वहां आई जलप्रलय में लापता हो गए. बार बार हेल्पलाइन नंबरों पर सम्पर्क किये जाने के बाद भी कुछ पता नही चल पा रहा है. हर बार यही बताया जा रहा है कि जब जानकारी मिल जाएगी सूचित कर दिया जाएगा. गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाले ये चारों युवक 4 जनवरी को मोबाइल टावर का कार्य करने के लिए उत्तराखण्ड रवाना हुए थे.
स्विच ऑफ आ रहे मोबाइल
परिजनों ने बताया कि 2 दिन पहले तक रोज उनसे बात होती रही है. लेकिन 2 दिन से उनके फोन स्विच ऑफ़ आ रहे हैं. परिजनों को जल प्रलय के बाद अनहोनी की आशंका सता रही है, जिससे परिजनों में कोहराम मच हुआ है. बेबस परिजन कभी बेटों के मोबाइल पर फोन कर रहे हैं तो कभी हेल्पलाइन नंबर पर जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन न तो युवकों का फोन लग रहा है और ना ही हेल्पलाइन नंबर से संतोषजनक जवाब मिल रहा है. यही वजह है कि परिजनों की बेचैनी बढ़ती जा रही है.
रविवार को हुई थी अंतिम बात
टावर ठेकेदार सौरभ प्रजापति ने बताया कि जोशीमठ समेत दो जगहों पर जियो कंपनी के मोबाइल टावर लगाने का काम चल रहा था. मेरठ से 4 और अमरोहा से 5 युवक चमोली के सरायकोटा में टावर लगाने गए हुए थे. लेकिन चमोली में ग्लेशियर फटने से आई तबाही के बाद उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. हालांकि दो दिन पहले प्रदीप से बात हुई थी तो उसने टावर का कुछ मैटेरियल पहुंचाने को कहा था. सौरभ के मुताबिक उनकी रविवार सुबह रोहित से बात हुई थी. उस वक्त वे सब सरायसोटा में साइट पर ही थे. उसके कुछ समय बाद ही जलप्रलय की घटना हुई.