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हर साल बर्बाद होते हैं 92 हजार करोड़ के फल और कृषि उत्पाद: उप म​हानिदेशक

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Published : Oct 30, 2020, 9:35 AM IST

मेरठ में गुरुवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया. वेबीनार का विषय था- जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना.

कुलप​ति प्रोफेसर आरके मित्तल वेबीनार में बोलते हुए.
कुलप​ति प्रोफेसर आरके मित्तल वेबीनार में बोलते हुए.

मेरठ: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक अभियांत्रिकी डॉ के अलगुसन्दरम ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस, मछली और अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण और भंडारण के अभाव में खराब हो जाते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए हमें ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण और भंडारण के क्षेत्र में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना होगा.

खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना होगा
डॉ के अलगुसन्दरम ने यह बात गुरुवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि कही. वेबीनार का विषय था 'जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना'. इस वेबीनार में डॉ के अलगुसंदरम ने कहा कि ऐसे खादय पदार्थ जो जल्दी खराब हो जाते हैं या खाने योग्य नहीं रहते, उन्हें लम्बे समय तक खाने योग्य बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्य की हमारे देश में काफी संभावनाएं हैं. देश में हर साल करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस-मछली व अन्य कृषि उत्पाद खराब हो जाते हैं. इस संबंध में केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की पहल पर पीएमएफएमई योजना देशभर में लागू की है, इसका लाभ उठाना चाहिए.

तकनीक और मशीनों के बारे में दी जानकारी
वेबीनार में डॉ. आशुतोष उपाध्याय, डॉ. सत्येन यादव, डॉ. पीके ओमरे और रवि शर्मा ने फूड प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल में आने वाली तकनीकों और मशीनों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में फल, सब्जी आदि जल्द खराब होने वाले उत्पाद का उत्पादन हो रहा है, वहां भंडारण और प्रसंस्करण संबंधी उद्योग लगाने चाहिए.

नई प्रजाति विकसित करनी होगी
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल ने कहा कि हमें बदलते परिवेश में दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में अनुसंधान के माध्यम से फल एवं सब्जियों की ऐसी प्रजाति का विकास करना होगा, जिनका उपयोग हम विभिन्न प्रकार के उत्पादों में कर सके. भारत सरकार की इस योजना से हमें किसानों के खेतों पर उनकी कृषि उपज के प्रसंस्करण के साधनों का विकास करना होगा. इस प्रकार हम किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भंडारण एवं प्रसंस्करण उद्योग में शामिल कर उनको रोजगार के अवसर प्रदान कर सकेंगे. कार्यक्रम में डॉ अनिल सिरोही, प्रोफेसर शमशेर सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे.

मेरठ: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक अभियांत्रिकी डॉ के अलगुसन्दरम ने कहा कि देश में प्रतिवर्ष करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस, मछली और अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करण और भंडारण के अभाव में खराब हो जाते हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए हमें ग्रामीण स्तर पर प्रसंस्करण और भंडारण के क्षेत्र में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना होगा.

खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना होगा
डॉ के अलगुसन्दरम ने यह बात गुरुवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि कही. वेबीनार का विषय था 'जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को लम्बे समय तक खाने योग्य बनाना'. इस वेबीनार में डॉ के अलगुसंदरम ने कहा कि ऐसे खादय पदार्थ जो जल्दी खराब हो जाते हैं या खाने योग्य नहीं रहते, उन्हें लम्बे समय तक खाने योग्य बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्य की हमारे देश में काफी संभावनाएं हैं. देश में हर साल करीब 92 हजार करोड़ रूपये के फल, सब्जी, मांस-मछली व अन्य कृषि उत्पाद खराब हो जाते हैं. इस संबंध में केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की पहल पर पीएमएफएमई योजना देशभर में लागू की है, इसका लाभ उठाना चाहिए.

तकनीक और मशीनों के बारे में दी जानकारी
वेबीनार में डॉ. आशुतोष उपाध्याय, डॉ. सत्येन यादव, डॉ. पीके ओमरे और रवि शर्मा ने फूड प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल में आने वाली तकनीकों और मशीनों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में फल, सब्जी आदि जल्द खराब होने वाले उत्पाद का उत्पादन हो रहा है, वहां भंडारण और प्रसंस्करण संबंधी उद्योग लगाने चाहिए.

नई प्रजाति विकसित करनी होगी
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आरके मित्तल ने कहा कि हमें बदलते परिवेश में दुनिया की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में अनुसंधान के माध्यम से फल एवं सब्जियों की ऐसी प्रजाति का विकास करना होगा, जिनका उपयोग हम विभिन्न प्रकार के उत्पादों में कर सके. भारत सरकार की इस योजना से हमें किसानों के खेतों पर उनकी कृषि उपज के प्रसंस्करण के साधनों का विकास करना होगा. इस प्रकार हम किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भंडारण एवं प्रसंस्करण उद्योग में शामिल कर उनको रोजगार के अवसर प्रदान कर सकेंगे. कार्यक्रम में डॉ अनिल सिरोही, प्रोफेसर शमशेर सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे.

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