मेरठ : केंद्र सरकार ने हर हाथ को रोजगार देने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi NREG Act) शुरू की थी. यूपी के जिले मेरठ के ग्रामीण इलाकों में भी इस स्कीम के तहत काम हुए. मगर इस योजना भी धांधली का घुन लग गया है. मेरठ मंडल की मनरेगा लोकपाल अंशु त्यागी (MNREGA Lokpal Anshu Tyagi) ने इस योजना में आई शिकायतों की जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है. मनरेगा लोकपाल अंशु त्यागी का कहना है कि सरकार योजना के लाभार्थियों के लिए पूरा फंड भेज रही है, मगर ब्लॉक लेवल पर भ्रष्टाचार के कारण न तो काम हो रहा है और न ही लाभार्थियों को रोजगार मिल रहा है (Corruption in MNREGA). उन्होंने 50 से अधिक भ्रष्टाचार के मामलों का उदाहरण देते हुए बताया कि मनरेगा स्कीम का पैसा नाबालिग और नौकरीपेशा लोगों के बैंक अकाउंट में जा रहा है. जांच में यह भी सामने आया है कि जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनके नाम से भी पैसे को ट्रांसफर किया गया.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi NREG Act) की लोकपाल अंशु त्यागी ने मनरेगा स्कीम में हो रही धांधली की पोल दी है. उन्होंने मेरठ जिले में अलग-अलग ब्लॉक में मिली गड़बड़ियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है. लोकपाल अंशु त्यागी ने बताया कि मेरठ में सरकार की महत्वाकांक्षी इस योजना का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है बल्कि अपात्रों की बल्ले बल्ले हो रही है. मनरेगा लोकपाल ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को लेकर वर्तमान सरकार बेहद गंभीर है. सरकार इस स्कीम के लिए पूरा पैसा भेज रही है, लेकिन ब्लॉक स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है. उनका कहना है कि मेरठ का ऐसा कोई ब्लॉक नहीं है, जहां अपात्रों के खाते में इस योजना का पैसा ट्रांसफर न हुआ हो. मेरठ जिले में ही ऐसी घपलेबाजी की 50 से ज्यादा मामले हैं.
अंशु त्यागी ने बताया कि मनरेगा में काम करने वालों श्रमिक धांधलियों की शिकायत कर रहे हैं. मनरेगा के मजदूर ही ग्राम प्रधान, पंचायत सेक्रेटरी समेत अन्य जिम्मेदारों की पोल खोल रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिकायतों की जांच में पता चला कि जो लोग दुनिया को अलविदा कर चुके हैं, उनके खाते में भी मनरेगा स्कीम का पैसा भेजा गया है. नाबालिग बच्चों के नाम पर बैंक अकाउंट खोले गए और राशि का गबन किया गया. बता दें मनरेगा के तहत नाबालिगों को रोजगार देने का प्रावधान नहीं है. इसके अलावा नौकरीपेशा लोगों के खाते में भी मनरेगा का पैसा जा रहा है. लोकपाल का कहना है कि पात्रता सूची के दायरे में भी नहीं आने वाले के अकाउंट में पैसा बिना किसी मिलीभगत के नहीं पहुंच सकता है.
अंशु त्यागी के मुताबिक, इस गड़बड़ी के लिए BDO, पंचायत सेक्रेटरी, ग्राम प्रधान, जेई और अकाउंटेंट जिम्मेदार माने जाते हैं. ऐसे मामलों में इन पदों पर तैनात लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. मूल्यांकन के बाद धांधली की गई रकम की रिकवरी के लिए कार्रवाई की जा रही है.
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