मेरठ: एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार गरीब असहाय जरूरतमंद परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजनाएं चलाई हुई हैं. वहीं मेडिक्लेम के नाम पर ठगी का खेल किया जा रहा है. थाना नौचन्दी पुलिस ने मेडिकल क्लेम के नाम पर करोड़ों की धांधली करने वाले गिरोह का भंडफ़ोड़ किया है. पुलिस ने अस्पताल में मरीज को भर्ती कराए बिना करोड़ों रुपये का मेडिकल क्लेम भुनाने वाले गिरोह सरकारी पशु चिकित्सक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इनके पास से लैपटॉप, स्वास्थ्य बीमा संबधी दस्तावेज और फर्जी मेडिक्लेम बिल भी बरामद किये हैं. पुलिस ने सभी के खिलाफ मकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है. पुलिस का मानना है कि मेडिक्लेम के इस खेल में बीमा कंपनियों के अधिकारी एवं कर्मचारियों की भी मिली भगत हो सकती है. जिसके चलते कई पहलुओं पर जांच की जा रही है.
फर्जीवाड़ा कर लेते थे मेडिक्लेम
बता दें कि थाना नौचंदी पुलिस को सूचना मिली थी कि शहर में एक ऐसा गिरोह सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जो मेडिक्लेम के नाम पर करोड़ों का खेल करने में लगा है. एसपी सिटी विनीत भटनागर के निर्देशन में पुलिस ने जैदी फॉर्म के पास सनराइज हॉस्पिटल के बाहर से थाना भावनपुर इलाके के गांव किनानगर निवासी व्यक्ति को पूछताछ के लिए उठाया था. जिसने पुलिस पूछताछ में करोड़ों के फर्जीवाड़े का खुलासा किया. पुलिस ने सनराइज हॉस्पिटल में छापा मारकर हॉस्पिटल मैनेजर को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पुलिस भी हैरान रह गई. हॉस्पिटल के मैनेजर ने बताया कि गढ़ रोड पर गोकुलधाम कॉलोनी में एक पशु चिकित्सक मेडिक्लेम इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा है. जबकि पशु चिकित्सक मूल रूप से थाना सिविल लाइन इलाके के सुभाषनगर का रहने वाला है.
सरकारी पशु चिकित्सक समेत तीन गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में दबिश देकर गिरोह के मास्टरमाइंड सरकारी पशु चिकित्सक को भी गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने किनानगर निवासी व्यक्ति से करीब 10 लाख रुपये के फर्जी बिल बरामद किए हैं. ये सभी बिल गढ़ रोड स्तिथ सनराइज हॉस्पिटल के नाम पर बनाये गए थे. पशु चिकित्सक के पास से एक लैपटॉप, हॉस्पिटल और मेडिकल स्टोर की मुहर भी बरामद हुई हैं. बरामद लैपटॉप में पूरे गोरखधंधे का काला चिट्ठा रखा गया है. जानकारी के मुताबिक लैपटॉप में उन लोगों का ब्योरा फीड है, जिनके नाम पर फर्जी क्लेम लिया गया है.
जानिए कैसे करते थे करोड़ों का फर्जीवाड़ा
एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि सरकारी पशु चिकित्सक ऐसे लोगों के कागजात ढूंढता रहता था, जो लोग हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम ले चुके हैं. हैरानी की बात तो ये है कि मेडिक्लेम लेने वाले लोगों की जानकारी के बिना न सिर्फ उनके बीमा को भुना लेता था बल्कि फर्जी तरीके से सनराइज हॉस्पिटल में भर्ती किये बिना ही ऑनलाइन क्लेम के लिए आवेदन कर देता था. इसके लिए बाकायदा सनराइज हॉस्पिटल से मरीज के नाम की पूरी फाइल बनाई जाती थी. नियमानुसार मेडिकल स्टोर से मरीज की दवाएं तक खरीदना दिखाया जाता था. इतना ही नहीं कुछ दिन बाद इलाज पूरा होना दिखाकर इंश्योरेंस कंपनी से अस्पताल के बिल भेज कर क्लेम ले लेते थे. पुलिस का मानना है कि इस बड़े खेल में इंश्योरेंस कंपनी के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं. बीमा कंपनी मरीज और अस्पताल का सर्वे किए बिना क्लेम की राशि नहीं दे सकती.
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एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया कि इस मामले में सरकारी पशु चिकित्सक, सनराइज अस्पताल के संचालक महबूब अली और बीमा कंपनी में कर्मचारी रह चुके विकास कुमार को गिरफ्तार किया है. विकास को बीमा कंपनी से क्लेम लेने की पूरी जानकारी थी तो वहीं पशु चिकित्सक को मेडिकल संबंधित फर्जी कागजात बनाने का अनुभव था. जिसके चलते सनराइज अस्पताल के संचालक के साथ मिलकर बीमा कंपनियों को करोड़ों रुपये की चंपत लगाई है. फिलहाल तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आगे की जांच की जा रही है ताकि गिरोह के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जा सके.