मेरठ: टोक्यो ओलंपिक में उत्तर प्रदेश से 10 खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे. इसमें मेरठ की रहने वाली प्रियंका गोस्वामी भी शामिल हैं. प्रियंका को भी ओलंपिक का टिकट मिल गया है. प्रियंका ने रांची में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में रेसवॉक स्पर्धा को 1:28:45 मिनट में पूरा करते हुए नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता. जिसके बाद अब वह ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. प्रियंका की इस उपलब्धि से उनके परिजन काफी खुश हैं.
मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना क्षेत्र में जन्मी प्रियंका गोस्वामी ने जुलाई में होने वाले टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया है. प्रियंका का सफर काफी जोखिम भरा रहा है. प्रियंका के पिता रोडवेज में एक बस कंडक्टर थे, लेकिन किसी कारण उनकी नौकरी चली गई थी. मगर, आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी प्रियंका ने हार नहीं मानी और अपने मेहनत के दम पर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया. टोक्यो रवाना होने से पहले खिलाड़ियों का हौसला अफजाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में खिलाड़ियों और उनके परिजनों से बात की. जिसके बाद खिलाड़ियों के परिजनों की खुशी दो गुनी हो गई.
2006 में मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना क्षेत्र के सागड़ी गांव से मदनपाल गोस्वमी, पत्नी अनीता गोस्वामी और दोनों बच्चों कपिल व प्रियंका को लेकर मेरठ आ गए थे. पिता मदनपाल रोडवेज में परिचालक थे. मदनपाल का कहना है कि 2010 में रोडवेज के उच्चाधिकारियों ने मिलीभगत कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी और नौकरी से निलंबित करा दिया. नौकरी की बहाली के लिए मदनपाल अधिकारियों के चक्कर काटते रहे. इस बीच परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई के लिए मदनपाल ने किराए पर टैक्सी चलाई, किराना स्टोर खोला और आटा चक्की चलाकर न केवल बच्चों को पढ़ाई जारी रखी, बल्कि उन्हें खेलों के साथ भी जोड़ा.
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प्रियंका की उपलब्धियां
प्रियंका ने सबसे पहले साल 2015 में तिरुअनंतपुरुम में आयोजित हुई रेस वॉकिंग की नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मैंगलोर में फेडरेशन कप में भी प्रियंका तीसरे स्थान पर रहते हुए कांस्य पर कब्जा जमाया. साल 2017 में दिल्ली में हुई नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में इस एथलीट ने कमाल करते हुए अपने वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल जीता. 2018 में खेल कोटे से रेलवे में प्रियंका को क्लर्क की नौकरी मिल गई, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ. बीती फरवरी में प्रियंका गोस्वामी ने रांची में चल रहे राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई कर लिया. यहां अंतरराष्ट्रीय रेस वॉकर प्रियंका गोस्वामी ने नए रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता.
प्रियंका ने कनोहरलाल गर्ल्स स्कूल और बीके माहेश्वरी से स्कूली शिक्षा पूरी की. बीए की पढ़ाई उसने पटियाला में की. इस दौरान पिता उसे हर माह जैसे-तैसे 4 से 5 हजार रुपये भेजते थे. पिता ने बताया प्रियंका एक समय का खाना खुद बनाती तो एक समय का खाना गुरुद्वारा के लंगर में खाती थी. 2011 में पहला पदक हासिल करने के बाद प्रियंका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. प्रियंका का छोटा भाई कपिल गोस्वामी ने बॉक्सिंग में प्रदेश स्तर तक खेला है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कपिल ने पटियाला में रहना छोड़ दिया और मेरठ लौट आया. अब वह निजी कंपनी में नौकरी कर रहा है.
प्रियंका के पिता मदन पाल बताते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने सम्मान के लिए लखनऊ बुलाया है साथ ही रोडवेज द्वारा छीनी गई नौकरी के लिए भी बातचीत करने का आश्वासन दिया है.
प्रियंका के कोच ने बताया कि पिछले 10 साल से वह प्रियंका को ट्रेनिंग दे रहे हैं. प्रियंका बहुत मेहनती हैं ऐसे में उन्होंने भी गुरु दक्षिणा में प्रियंका से गोल्ड मेडल मांगा है. साथ ही उन्होंने बताया कि प्रियंका ने कभी पैसों को तवज्जो नहीं दी, बल्कि उसने हमेशा उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाने के लिए खेला. अब वो देश का भी मान बढ़ाएगी.