मेरठ: वर्तमान में डिजिटल दौर है. ऐसे में लोगों के साथ ठगी करने के तरीके भी बदल गए हैं. अब तो जरा सी चूक हुई नहीं कि बैंक एकाउंट खाली हो जाता है. ऐसे में समय की मांग है कि साइबर एक्सपर्ट्स तैयार हों ताकि ऐसी घटनाओं पर ब्रेक लग सके. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए वेस्टर्न यूपी के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में पीजी डिप्लोमा कोर्स डिजाइन किया गया है. इसका सिलेबस भी तैयार कर लिया गया है.
अभी फीस का नहीं हुआ निर्धारणः ईटीवी भारत से खास बातचीत में मेरठ कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अंजली मित्तल ने बताया कि पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ करीब डेढ़ साल पहले ही डिजाइन कर लिया गया था. इसके सिलेबस को अधिक प्रभावशाली और बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं. इस कोर्स के लिए विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल से भी अनुमति मिल चुकी है. अब बस इस कोर्स की फीस का निर्धारण होना बाकी है. फीस का निर्धारण होते ही यह कोर्स चालू कर दिया जाएगा.
कोर्स में हैं तमास संभावनाएंः मेरठ कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अंजलि मित्तल ने बताया कि इसी सत्र से यह कोर्स संचालित किया जाए, ऐसी कोशिश चल रही है. विश्वविद्यालय से संबद्ध अन्य कॉलेज भी यदि इसमें रुचि दिखाते हैं तो वहां भी इसको कराया जाएगा. इस कोर्स को करने के बाद तमाम सम्भावनाएं हैं. आज के वक्त की जरूरतों के मुताबिक यह बेहद ही रोजगारपरक कोर्स है.
साइबर एक्सपर्ट के रूप में बना सकेंगे करियरः उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में संभावनाएं इसलिए भी ज्यादा हैं क्योंकि प्रतिदिन कोई न कोई साइबर ठगी का शिकार होता है, ऐसे में यह कोर्स समय की मांग भी है. इस कोर्स को करके युवा भविष्य में बेहतर साइबर एक्सपर्ट बनकर आगे बढ़ सकेंगे. अपने ज्ञान से युवा नौकरी भी पा सकेंगे. इस कोर्स की विशेषता यह है कि इसे करने के लिए किसी भी स्ट्रीम का विधार्थी एडमिशन ले सकेगा. यानी बीए, बीएससी, बीकॉम करने वाले स्टूडेंट भी साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकेंगे.
सेल्फ फाइनेंस होगा कोर्सः प्रिंसिपल डॉ. अंजलि मित्तल ने बताया कि फिलहाल यह कोर्स सेल्फ फाइनेंस होगा. एक सेशन में अधिकतम 40 स्टूडेंट ही एक कॉलेज में इस कोर्स में प्रवेश पा सकेंगे. फिलहाल इस कोर्स को करने के बाद युवाओं को नौकरी की भी कमी नहीं रहने वाली है, क्योंकि आज की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है साइबर सुरक्षा.