मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. मेरठ : आमतौर पर मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी विषय में होती है, लेकिन लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ में हिंदी माध्यम से डाॅक्टर तैयार हो रहे हैं. हालांकि अभी सभी किताबें हिंदी में कोर्सेज से जुड़ी नहीं आ पाई हैं, लेकिन कुछ किताबों के साथ यह अनोखी शुरुआत यहां की जा चुकी है. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य आरसी गुप्ता ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को यहां हिंदी में भी तमाम चीजें पढ़ाई जाएंगी. तय कोर्स से जुड़ी अब तक कई पुस्तकें स्टूडेंट्स को मिल भी चुकी हैं.
मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. प्राचार्य आरसी गुप्ता बताते हैं कि इसकी उत्पत्ति इसलिए की हुई थी, क्योंकि कुछ बच्चे गांव की पृष्टभूमि से आते हैं, जो हिंदी माध्यम से अपनी पढाई करके आते हैं. ऐसे में उन्हें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई में काफी असुविधा होती थी. हमने इस तरफ काम किया, जिससे ऐसे स्टूडेंट्स भी मेडिकल पढ़ाई आसानी से कर सकेंगे. प्रदेश सरकार भी इस तरफ बेहद गंभीर है. इस बाबत तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया हैं, जिसमें वह स्वयं सदस्य हैं. यह समिति हिंदी और अंग्रेजी के मिश्रण से कोर्स तैयार करने में लगी हुई है.
मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. प्राचार्य ने बताया कि हिंदी में मेडिकल कॉलेज में पुनर्नवा के नाम से मेडिकल साइंस के हिंदी में अगस्त से पुनर्नवा नाम से जर्नल प्रकाशित भी हो चुके हैं. जो बोलचाल की भाषा है उसमें हम हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ाएंगे और जो मेडिकल शब्दावली है उसे हम ऐसे ही रखेंगे ताकि आसानी से स्टूडेंट्स समझ सकें. इसेस इंटरनेशनल स्टेंडर्ड में कहीं कोई कमी नहीं आने पाएगी. 15 अगस्त 2022 को पहला ई जर्नल पुनर्नवा नाम से शुरू किया था. तब से हर माह वह पब्लिश हो रहा है. इसी तरह से कुछ किताबें भी लिखी हैं. उनका भी हिंदी में प्रकाशन किया गया है और भी कई किताबें पाइपलाइन में हैं जो अलग अलग प्रोफेसर लिख रहे हैं.
मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. प्राचार्य का कहना है कि इसका मकसद यही है कि जो बच्चे हिंदी में पढ़ना चाहते हैं या कम्युनिकेशन हिंदी में करते हैं, उन्हें कोई समस्या ना हो. वैसे भी देखा जाता है कि आमतौर पर जो चिकित्सक होते हैं वह जब मरीजों या फिर उनके परिजनों से बातचीत करते हैं तो वह तो हिंदी में ही करते हैं. हालांकि लिखने वाला जो भाग है वह हिंदी में अभी नहीं हो पाया है. उसे हम चाहते भी नहीं हैं कि वह हिंदी में हो, लेकिन जो समझाने वाला भाग है वह हमने हिंदी में कर दिया है. कुछ किताबें हिंदी में कर दी गई हैं. सरकार से आग्रह भी किया है कि हम लोग अगर नोडल बन जाएंगे तो सभी मेडिकल कॉलेज वह फिर चाहे सरकारी हों या निजी मेडिकल कॉलेज सभी से वीडियो से जुड़ जाएंगे तो हम सभी को इस पद्धति से पढ़ा सकेंगे.
मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. हिंदी में वर्तमान में एनाटॉमी फिजियोलॉजी : शरीर रचना विज्ञान, बायोकेमिस्ट्री, इंडोकरनोलॉजी, मेडिसिन ये विषय अभी पढ़ाए जा रहे हैं, सभी प्रोफेसर हिंदी को बहुत प्रोत्साहन दे रहे हैं. परीक्षा में भी हमने छूट दी है कि जिन्हें अंग्रेजी में समस्या आ रही है वह हिंदी में जवाब दे सकते हैं. इससे उन बच्चों को काफी फायदा होगा जिनको अंग्रेजी समझने में दिक्कत होती है. डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया कि मेडिकल की पढ़ाई को लेकर 300 वीडियो और एक हजार लेख वह स्वयं हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों के लिए तैयार कर चुके हैं. प्रोफेसर डॉ. पंकज अग्रवाल एंडोक्रिनोलॉजिस्ट (अंत: स्राव विद्या) 2017 से इस अभियान में जुटे हैं. काफी बड़े स्तर पर उन्होंने अध्ययन सामग्री तैयार कर ली है. थायरायड ग्रंथि पर उनके हिंदी जरनल का सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर में विमोचन भी किया था और इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया था.
मेरठ के एलएलआर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से शुरू हो गई एमबीबीएस की पढ़ाई. यह भी पढ़ें : कानपुर के हैलट अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने मारपीट की, FIR दर्ज