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Meerut के इस मंदिर में मंदोदरी ने भगवान शिव की पूजा करके रावण को पति के रूप में पाया !

मेरठ में भगवान शिव का दक्षिणमुखी मन्दिर में पूजा करने के बाद मंदोरी ने रावण को अपने पति के रूप में पाया था. इसके बाद से ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में 41 दिन तक लगातार पूजा-अर्चना करने से हर मुराद पूरी होती है.

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Published : Feb 18, 2023, 10:47 AM IST

Updated : Feb 18, 2023, 12:02 PM IST

सिद्ध पीठ बिल्वेश्वर शिव मंदिर की मान्यता के बारे में बताते मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी

मेरठः जिले के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बिल्वेश्वर शिव मंदिर रामायण काल का धर्मस्थल है. मेरठ में उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर भगवान शिव का दक्षिणमुखी मन्दिर है. इसके बारे में बताया जाता है कि मंदोदरी ने अपने लिए बुद्धिमान और बलशाली पति की इच्छा प्रकट करते हुए नियमित पूजा-अर्चना की थी. इसके बाद मंदोदरी ने रावण को पति के रूप में पाया था.

गौरतलब है कि मेरठ में बिल्वेश्वर महादेव मंदिर सिद्ध पीठों में से एक है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है. मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी ने बताया कि मेरठ का नाम पहले मयराष्ट्र था. यह मय राजा की नगरी थी, जो कि अब मेरठ हो गया है. मंदोदरी राजा मय की बेटी थीं. मंदिर के इतिहास और उसकी मान्यताओं के बारे में बताते हुए पुजारी ने कहा कि मंदिर में जो शिवलिंग है वह स्वयंभू है यानी इस शिवलिंग की किसी ने स्थापना नहीं की है. यह शिवलिंग स्वयं ही यहां प्रकट हुआ था.

मयराष्ट्र राजा की पुत्री मंदोदरी इस शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने आया करती थीं. मंदोदरी की पूजा और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मनवांछित वर प्रदान किया था. ऐसा कहा जाता है कि मंदोदरी ने भगवान शिव से अपने लिए सबसे शक्तिशाली और विद्वान पति का वरदान मांगा था. इसके बाद उन्हें रावण जैसा शक्तिशाली और विद्वान राजा पति के रूप में मिला. इसीलिए मेरठ को रावण की ससुराल भी कहा जाता है.

महाशिवरात्रि पर मन्दिर का विशेष श्रृंगार किया गया है. पंडित हरिश्चंद्र जोशी ने बताया कि शिवभक्तों का यहां तांता लगा रहता है. इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कभी निराश नहीं लौटते. कहा जाता है कि 41 दिन तक लगातार पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने से यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.

ये भी पढ़ेंः महाशिवरात्रि पर 27 साल बाद अद्भुत संयोग, आप करें राशि के हिसाब से रुद्राभिषेक, जानें कैसे

सिद्ध पीठ बिल्वेश्वर शिव मंदिर की मान्यता के बारे में बताते मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी

मेरठः जिले के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बिल्वेश्वर शिव मंदिर रामायण काल का धर्मस्थल है. मेरठ में उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर भगवान शिव का दक्षिणमुखी मन्दिर है. इसके बारे में बताया जाता है कि मंदोदरी ने अपने लिए बुद्धिमान और बलशाली पति की इच्छा प्रकट करते हुए नियमित पूजा-अर्चना की थी. इसके बाद मंदोदरी ने रावण को पति के रूप में पाया था.

गौरतलब है कि मेरठ में बिल्वेश्वर महादेव मंदिर सिद्ध पीठों में से एक है. इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना बताया जाता है. मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी ने बताया कि मेरठ का नाम पहले मयराष्ट्र था. यह मय राजा की नगरी थी, जो कि अब मेरठ हो गया है. मंदोदरी राजा मय की बेटी थीं. मंदिर के इतिहास और उसकी मान्यताओं के बारे में बताते हुए पुजारी ने कहा कि मंदिर में जो शिवलिंग है वह स्वयंभू है यानी इस शिवलिंग की किसी ने स्थापना नहीं की है. यह शिवलिंग स्वयं ही यहां प्रकट हुआ था.

मयराष्ट्र राजा की पुत्री मंदोदरी इस शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने आया करती थीं. मंदोदरी की पूजा और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मनवांछित वर प्रदान किया था. ऐसा कहा जाता है कि मंदोदरी ने भगवान शिव से अपने लिए सबसे शक्तिशाली और विद्वान पति का वरदान मांगा था. इसके बाद उन्हें रावण जैसा शक्तिशाली और विद्वान राजा पति के रूप में मिला. इसीलिए मेरठ को रावण की ससुराल भी कहा जाता है.

महाशिवरात्रि पर मन्दिर का विशेष श्रृंगार किया गया है. पंडित हरिश्चंद्र जोशी ने बताया कि शिवभक्तों का यहां तांता लगा रहता है. इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु कभी निराश नहीं लौटते. कहा जाता है कि 41 दिन तक लगातार पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने से यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.

ये भी पढ़ेंः महाशिवरात्रि पर 27 साल बाद अद्भुत संयोग, आप करें राशि के हिसाब से रुद्राभिषेक, जानें कैसे

Last Updated : Feb 18, 2023, 12:02 PM IST
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