मेरठ: खाद्य वस्तुएं हों या अन्य सामान लोगों तक इसकी उपलब्धता के लिए ट्रांसपोर्टर्स का अहम योगदान होता है. इसलिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम को देश की रीढ़ भी कहा जाता है. लेकिन ईंधन के बढ़ते दामों के चलते ट्रांसपोर्ट सिस्टम की ही रीढ़ टूटती जा रही है. सिर्फ डीजल, पेट्रोल व सीएनजी की बढ़ती कीमतें इसके लिए अकेले जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि टोल टैक्स में वृद्धि समेत लगने वाले अन्य तमाम टैक्स इसके लिए जिम्मेदार हैं. ट्रांसपोर्टर्स की मानें तो यह व्यवसाय अब घाटे का सौदा होता जा रहा है.
जिले में करीब साढ़े चार सौ छोटी-बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनियां संचालित हैं. माना जाता है कि इनसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर करीब दो लाख लोग जुड़े हैं. इसी से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ होता है. हालिया कुछ ही समय में पेट्रोल, डीजल व सीएनजी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है. ट्रांसपोर्ट कंपनियों की मानें तो अब इस धंधे में मुनाफा नहीं हो रहा है. तमाम ऐसी चीजें गिनाकर अपना दर्द बयां किया है, जिससे यह समझा जा सकता है कि इस व्यवसाय के हालात अच्छे नहीं हैं.
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गौरव शर्मा के अलावा मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों व अन्य ट्रांसपोर्ट कारोबारियों ने इस मामले में अपने दर्द साझा किए. एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पंकज अनेजा कहते हैं कि सभी कारोबारी बेहद परेशान हैं. तमाम तरह के लगने वाले टैक्स के अलावा वाहन स्वामियों को और भी बहुत कुछ झेलना होता है. उन्होंने बताया कि तमाम तरीके से अवैध वसूली होती है. ट्रांसपोर्ट कम्पनी चलाने वाले रविकांत राठी कहते हैं कि महंगाई तो रुला ही रही है, इसके अलावा सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद भी सुविधाशुल्क देना पड़ता है.
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