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बेमौसम गर्मी से घटा गुड़ उत्पादन, कारोबारी परेशान - गुड़ का कारोबार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने की पैदावार और गुड़ के लिए जाना जाता है. फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही गर्मी जैसे हालात शुरू होने से गुड़ के कारोबार को खासा नुकसान हुआ है. बेमौसम गर्मी की वजह से एशिया की सबसे बड़ी गुड़मंडी का कारोबार भी प्रभावित हुआ है.

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बेमौसम गर्मी से घटा गुड़ उत्पादन
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Published : Mar 8, 2021, 7:14 PM IST

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को न सिर्फ चीनी का कटोरा कहा जाता है, बल्कि गुड़ उत्पादन के लिए भी देश भर में जाना जाता है. इस बार समय से पहले आई गर्मी ने गुड़ कारोबारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. मौसम बदलते ही गुड़ उत्पादन में कमी आने लगी है. इससे गुड़ कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं, बेमौसम गर्मी की वजह से एशिया की सबसे बड़ी गुड़मंडी का कारोबार भी प्रभावित हो गया.

बेमौसम गर्मी से घटा गुड़ उत्पादन

इसे भी पढ़ें- प्रदेश की पचास प्रतिशत मंडियों में ही हो रहा है कारोबार

जानिए क्यों खास है पश्चिमी युपी का गुड़
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने और गुड़ उत्पादन के लिए देश में नहीं दुनिया भर में जाना जाता है. मुजफ्फरनगर में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से विभिन्न प्रकार का गुड़ देशवासियों के मुंह का स्वाद बढ़ा रहा है. इसके साथ ही दुनिया के कई देशों में भी अपनी मिठास से पहचान बनाए हुए है. पश्चिमी यूपी में तैयार किया गया गुड़ एक्सपोर्ट भी किया जाता है. इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह में गर्मी बढ़ने से गुड़ कारोबार को नुकसान हुआ है. मार्च के पहले सप्ताह में गुड़ का कारोबार तेजी से बढ़ता है. बेमौसम गर्मी की वजह से कोल्हुओं में गुड़ के कड़ाहे ठंडे पड़े हैं.

समय से पहले गर्मी की मार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कोल्हू चलाए जा रहे हैं. एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से निर्यात किए जाने वाला गुड़ विदेशों में अपनी धाक जमाता है. इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह से बेमौसम गर्मी शुरू हो गई. इसका सीधा असर गुड़ के कारोबार पर पड़ता नजर आ रहा है. गुड़ कारोबारियों का कहना है कि इस बार बेमौसम ही अप्रैल-मई महीने की तरह तापमान बढ़ने लगा है. गर्मी के मौसम में गुड़ बनाने में दिक्कतें आ रही हैं. गन्ने से निकला रस पकाने के साथ गुड़ की भेली नहीं बन पा रही है.

गर्मी से गुड़ करोबार हुआ प्रभावित
गुड़ कारोबारियों के मुताबिक गर्मी के कारण गुड़ उत्पादन में भी कमी आई है. भीषण गर्मी में गन्ने सूख रहे है, जिससे उनसे रस कम निकल रहा है और गुड़ उत्पादन भी कम हो रहा है. इस बेमौसम गर्मी की वजह से गुड़ का कारोबार 25 फीसदी तक प्रभावित हुआ है. यही वजह है कि इस बार समय से पहले ही कोल्हुओं में रस पकाने वाले कड़ाहे ठंडे पड़ने लगे हैं. कारोबारी भट्ठियां बंद करने को मजबूर हो गए हैं. गुड़ कारोबारियों का कहना है कि सरकार ने गुड़ को टैक्स फ्री कर रखा है, जिससे उन्हें फायदा होता है. मगर मौसम के आगे सब बेबस हैं.

इसे भी पढ़ें- महोत्सव ने गुड़ उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाया: गन्ना मंत्री सुरेश राणा

मौसम विभाग के अनुसार मार्च के प्रथम सप्ताह तक मेरठ का पारा 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभवना है. 15 मार्च तक मेरठ में अधिकतम तापमान 37-38 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा सकता है. वर्तमान में मेरठ का अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड 39.5 डिग्री सेल्सियस रहा है, जो 29 मार्च 1973 को दर्ज किया गया था. आने वाले दिनों में हमें और तेज गर्मी के लिए तैयार रहना पड़ेगा.

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को न सिर्फ चीनी का कटोरा कहा जाता है, बल्कि गुड़ उत्पादन के लिए भी देश भर में जाना जाता है. इस बार समय से पहले आई गर्मी ने गुड़ कारोबारियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. मौसम बदलते ही गुड़ उत्पादन में कमी आने लगी है. इससे गुड़ कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. इतना ही नहीं, बेमौसम गर्मी की वजह से एशिया की सबसे बड़ी गुड़मंडी का कारोबार भी प्रभावित हो गया.

बेमौसम गर्मी से घटा गुड़ उत्पादन

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जानिए क्यों खास है पश्चिमी युपी का गुड़
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ने और गुड़ उत्पादन के लिए देश में नहीं दुनिया भर में जाना जाता है. मुजफ्फरनगर में एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से विभिन्न प्रकार का गुड़ देशवासियों के मुंह का स्वाद बढ़ा रहा है. इसके साथ ही दुनिया के कई देशों में भी अपनी मिठास से पहचान बनाए हुए है. पश्चिमी यूपी में तैयार किया गया गुड़ एक्सपोर्ट भी किया जाता है. इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह में गर्मी बढ़ने से गुड़ कारोबार को नुकसान हुआ है. मार्च के पहले सप्ताह में गुड़ का कारोबार तेजी से बढ़ता है. बेमौसम गर्मी की वजह से कोल्हुओं में गुड़ के कड़ाहे ठंडे पड़े हैं.

समय से पहले गर्मी की मार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कोल्हू चलाए जा रहे हैं. एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी से निर्यात किए जाने वाला गुड़ विदेशों में अपनी धाक जमाता है. इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह से बेमौसम गर्मी शुरू हो गई. इसका सीधा असर गुड़ के कारोबार पर पड़ता नजर आ रहा है. गुड़ कारोबारियों का कहना है कि इस बार बेमौसम ही अप्रैल-मई महीने की तरह तापमान बढ़ने लगा है. गर्मी के मौसम में गुड़ बनाने में दिक्कतें आ रही हैं. गन्ने से निकला रस पकाने के साथ गुड़ की भेली नहीं बन पा रही है.

गर्मी से गुड़ करोबार हुआ प्रभावित
गुड़ कारोबारियों के मुताबिक गर्मी के कारण गुड़ उत्पादन में भी कमी आई है. भीषण गर्मी में गन्ने सूख रहे है, जिससे उनसे रस कम निकल रहा है और गुड़ उत्पादन भी कम हो रहा है. इस बेमौसम गर्मी की वजह से गुड़ का कारोबार 25 फीसदी तक प्रभावित हुआ है. यही वजह है कि इस बार समय से पहले ही कोल्हुओं में रस पकाने वाले कड़ाहे ठंडे पड़ने लगे हैं. कारोबारी भट्ठियां बंद करने को मजबूर हो गए हैं. गुड़ कारोबारियों का कहना है कि सरकार ने गुड़ को टैक्स फ्री कर रखा है, जिससे उन्हें फायदा होता है. मगर मौसम के आगे सब बेबस हैं.

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मौसम विभाग के अनुसार मार्च के प्रथम सप्ताह तक मेरठ का पारा 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभवना है. 15 मार्च तक मेरठ में अधिकतम तापमान 37-38 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया जा सकता है. वर्तमान में मेरठ का अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड 39.5 डिग्री सेल्सियस रहा है, जो 29 मार्च 1973 को दर्ज किया गया था. आने वाले दिनों में हमें और तेज गर्मी के लिए तैयार रहना पड़ेगा.

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