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मेरठ के इतने गांवों में अब नहीं रहेगा पेयजल संकट, 'हर घर जल योजना' ने पकड़ी रफ्तार - मेरठ के गांवों में पीने के पानी की किल्लत

पश्चिमी यूपी के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में शुमार मेरठ जिले में 236 ऐसे गांव हैं, जहां पानी की गुणवत्ता में गड़बड़ी है. इन गांवों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन ने सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'हर घर जल और जल जीवन मिशन' को लेकर तेजी दिखानी शुरू कर दी है.

हर घर जल योजना
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Published : Apr 16, 2022, 10:41 AM IST

मेरठ: जिले के सभी गांवों तक शुद्ध पीने का जल उपलब्ध हो सके इसके लिए जिला प्रशासन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'हर घर जल और जल जीवन मिशन' को लेकर तेजी दिखा रहा है. पश्चिमी यूपी के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में शुमार मेरठ जिले में 236 ऐसे गांव हैं, जहां पानी की गुणवत्ता में गड़बड़ी है यानी या तो पानी दूषित है या फिर वाटर लेवल नीचे की तरफ खिसक गया है, जिससे पानी को लेकर सकंट की स्थिति है. पढ़िए ये खास खबर...

जल संकट से निपटने को सरकार की तरफ से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचे. मेरठ की अगर बात करें तो यहां 236 गांव ऐसे हैं, जहां या तो पेयजल हर घर को आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा है, या फिर किसी न किसी रूप में इन चिह्नित गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है. शुद्ध पेयजल की उपलब्धता न होना जिले में एक बड़ी समस्या है. शुद्ध जल सभी को मिले इसके लिए इस संकट से बचने को अब यहां प्रशासन प्लान करके पानी उपलब्ध कराने के लिए कारगर कदम उठा रहा है.

मेरठ में दूर होगा संकट.

केंद्र सरकार की मंशा है कि देशभर में पीने योग्य जल लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके. इसी लिए सरकार गम्भीरता दिखा रही है. जिला प्रशासन ने ऐसे गांवों को चिह्नित करके वहां टंकियों के निर्माण का कार्य भी आरम्भ करा दिया है. खासतौर पर ऐसे ग्रामीण इलाकों को पहले चरण में पानी की पाइप लाइन से टंकी तक कनेक्ट किया जाएगा, जहां जल सकंट अधिक है. घर-घर पाइप लाइन, वाटर सप्लाई स्कीम के तहत कार्य किए जा रहे हैं. जिम्मेदारों द्वारा जिले के गांवों का सर्वे भी कराया गया है, जिससे ये पता चला कि काफी गांवों में पेयजल अधिक दूषित तो है ही, साथ ही साथ स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकता है.

अधिकारी मानते हैं कि जिले में भूगर्भ पेयजल काफी दूषित है. सीडीओ शशांक चौधरी का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत घर-घर जल पहुंचाने के लिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति हो इस तरफ तीव्र गति से कार्य जारी नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले चरण में 236 गांवों का चयन किया गया है. जिले के करीब 69 गांवों में तेजी से कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि 140 गांवों में ऐसे स्थान भी चिह्नित कर लिए गए हैं, जहां हर घर को शुद्ध जल उपलब्ध कराने को टंकियों के निर्माण समेत पाइपलाइन बिछाने का कार्य होना है.

यह भी पढ़ें: अच्छी खबर! अब किसान ड्रोन से कर सकेंगे फसलों में खाद का छिड़काव

पर्यावरणविदों की मानें तो मेरठ में शुद्ध पेयजल एक बड़ी समस्या है. साथ ही वे मानते हैं कि जिले में काफी इलाकों में पानी इस योग्य नहीं है कि उसका सेवन किया जा सके. हालांकि, वे ये भी मानते हैं कि जल बचाने की तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है. इस बारे में सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार गम्भीर है. सरकार ने अलग से मंत्रालय बनाकर पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने को जो योजना बनाई थी उससे इस समस्या का हल हो जाएगा. सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि देश में बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां शुद्ध पीने के पानी की कमी है. वे कहते हैं कि काफी इलाकों में पानी दूषित है, लेकिन 2024 तक देश में लोगों को स्वच्छ जल निश्चित ही मिलने लगेगा.

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मेरठ: जिले के सभी गांवों तक शुद्ध पीने का जल उपलब्ध हो सके इसके लिए जिला प्रशासन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'हर घर जल और जल जीवन मिशन' को लेकर तेजी दिखा रहा है. पश्चिमी यूपी के सबसे महत्वपूर्ण जिलों में शुमार मेरठ जिले में 236 ऐसे गांव हैं, जहां पानी की गुणवत्ता में गड़बड़ी है यानी या तो पानी दूषित है या फिर वाटर लेवल नीचे की तरफ खिसक गया है, जिससे पानी को लेकर सकंट की स्थिति है. पढ़िए ये खास खबर...

जल संकट से निपटने को सरकार की तरफ से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचे. मेरठ की अगर बात करें तो यहां 236 गांव ऐसे हैं, जहां या तो पेयजल हर घर को आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहा है, या फिर किसी न किसी रूप में इन चिह्नित गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है. शुद्ध पेयजल की उपलब्धता न होना जिले में एक बड़ी समस्या है. शुद्ध जल सभी को मिले इसके लिए इस संकट से बचने को अब यहां प्रशासन प्लान करके पानी उपलब्ध कराने के लिए कारगर कदम उठा रहा है.

मेरठ में दूर होगा संकट.

केंद्र सरकार की मंशा है कि देशभर में पीने योग्य जल लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सके. इसी लिए सरकार गम्भीरता दिखा रही है. जिला प्रशासन ने ऐसे गांवों को चिह्नित करके वहां टंकियों के निर्माण का कार्य भी आरम्भ करा दिया है. खासतौर पर ऐसे ग्रामीण इलाकों को पहले चरण में पानी की पाइप लाइन से टंकी तक कनेक्ट किया जाएगा, जहां जल सकंट अधिक है. घर-घर पाइप लाइन, वाटर सप्लाई स्कीम के तहत कार्य किए जा रहे हैं. जिम्मेदारों द्वारा जिले के गांवों का सर्वे भी कराया गया है, जिससे ये पता चला कि काफी गांवों में पेयजल अधिक दूषित तो है ही, साथ ही साथ स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डाल सकता है.

अधिकारी मानते हैं कि जिले में भूगर्भ पेयजल काफी दूषित है. सीडीओ शशांक चौधरी का कहना है कि जल जीवन मिशन के तहत घर-घर जल पहुंचाने के लिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति हो इस तरफ तीव्र गति से कार्य जारी नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले चरण में 236 गांवों का चयन किया गया है. जिले के करीब 69 गांवों में तेजी से कार्य चल रहा है. उन्होंने कहा कि 140 गांवों में ऐसे स्थान भी चिह्नित कर लिए गए हैं, जहां हर घर को शुद्ध जल उपलब्ध कराने को टंकियों के निर्माण समेत पाइपलाइन बिछाने का कार्य होना है.

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पर्यावरणविदों की मानें तो मेरठ में शुद्ध पेयजल एक बड़ी समस्या है. साथ ही वे मानते हैं कि जिले में काफी इलाकों में पानी इस योग्य नहीं है कि उसका सेवन किया जा सके. हालांकि, वे ये भी मानते हैं कि जल बचाने की तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है. इस बारे में सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार गम्भीर है. सरकार ने अलग से मंत्रालय बनाकर पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने को जो योजना बनाई थी उससे इस समस्या का हल हो जाएगा. सांसद राजेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि देश में बहुत से ऐसे इलाके हैं, जहां शुद्ध पीने के पानी की कमी है. वे कहते हैं कि काफी इलाकों में पानी दूषित है, लेकिन 2024 तक देश में लोगों को स्वच्छ जल निश्चित ही मिलने लगेगा.

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