लखनऊ: वैश्विक महामारी कोरोना के बाद लगातार हो रही बारिश मुसीबत बनकर सामने आई है. बारिश से जहां नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है तो वहीं कटान ने भी संकट खड़ा कर दिया है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. जो नदियां खतरे के निशान से नीचे हैं, वे भी लगातार खतरे के निशान को पार करने के लिए आतुर दिख रही हैं. उफनाई नदियों ने गांव के लोगों को भी डरा दिया है. गोरखपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों में भी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है.
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शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से कई गांव जलमग्न
पहाड़ों पर लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बाद बनबसा स्थित शारदा बैराज से 19 जून की सुबह शारदा नदी में 1 लाख 69 हजार 816 दोपहर में एक लाख 91 हजार और रात में 2 लाख 37 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया, जिससे देर रात पीलीभीत जिले के राहुलनगर और ट्रांस शारदा क्षेत्र के गांवों में पानी भर गया है. बाढ़ की आशंका को लेकर पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को हाई अलर्ट किया गया है.
शारदी नदी के जलस्तर को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा कराए जा रहे कार्य भी बंद करा दिए गए हैं. बाढ़ का पानी शनिवार को दिन में 12 बजे तक रामनगर क्षेत्र में पहुंच चुका था जबकि इसके 2 घंटे बाद राहुल नगर में पानी घुसने लगा. वहीं देर रात गांव में पूरी तरह से पानी भर गया है. बाढ़ खंड और शारदा सागर खंड के अभियंता मौके पर पहुंच गए हैं और नदी के जल स्तर पर लगातार नजर रखे हुए हैं. बाढ़ राहत के करोड़ों के काम पर पानी फिर गया है.
मेरठ में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
एक ओर जहां पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं भीमगोडा बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने से मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, जिसके चलते गंगा तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया है. पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश से गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. हरिद्वार से लेकर मुजफ्फरनगर, बिजनौर के बाद मेरठ के हस्तिनापुर में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.
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मेरठ जिला प्रशासन ने हस्तिनापुर के खादर इलाके में किसानों एवं स्थानीय लोगों को न सिर्फ सावधान रहने को कहा है, बल्कि आसपास के ग्रामीणों को गंगा किनारे जाने से भी मना किया है. शनिवार को स्थानीय विधायक और डीएम के. बालाजी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ खादर इलाके का जायजा लिया, जहां उन्होंने गंगा नदी के तट को मजबूत करने और 24 घंटे निगरानी रखने के निर्देश दिए. हालांकि भीमगोडा बैराज से छोड़ा गया पानी देर रात तक ही मेरठ की सीमा में पहुंच पाएगा, लेकिन एहतियात के तौर पर प्रशासन अपनी तैयारियों में जुट गया है.
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पहाड़ों में हुई बारिश से मैदानी इलाकों में बढ़ी चिंता
बता दें कि कई दिनों से उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बारिश हो रही है. लगातार बारिश होने से न सिर्फ गंगा नदी का जल स्तर बढ़ रहा है, बल्कि हरिद्वार के भीमगौडा बैराज में पानी ओवर फ्लो हो गया है, जिसके चलते शनिवार सुबह भीमगोडा बैराज से गंगा नदी में करीब 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. इससे गंगा खादर के इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है. गंगा नदी से सटे हस्तिनापुर इलाके को लेकर मेरठ प्रशासन की भी चिंता बढ़ने लगी है. वहीं गंगा तटीय गांवों के ग्रामीणों को परिवार एवं मवेशियों की चिंता सताने लगी है. डीएम के निर्देश पर सीडीओ शशांक चौधरी, एडीएम वित्त एवं राजस्व सुभाष प्रजापति, एसडीएम कमलेश कुमार ने गंगा तटीय गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है.
इसे भी पढे़ं: Weather Forecast: मौसम विभाग ने 43 जिलों में जारी किया येलो अलर्ट
बता दें कि मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश के 43 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है. येलो अलर्ट आने वाले खतरे के प्रति सचेत करता है. येलो अलर्ट को जैसे-जैसे मौसम खराब होता है, ऑरेंज अलर्ट में परिवर्तित कर दिया जाता है.
गोरखपुर में उफान पर नदियां
गोरखपुर में रोहिन नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. रोहिन खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. रोहिन की डेंजर लाइन त्रिमुहानी घाट पर 82.44 है, लेकिन वो अभी खतरे के निशान से .89 मीटर ऊपर बहते हुए 83.330 पर बह रही है. रोहिन ने कैम्पियरगंज तहसील के चन्दीपुर गांव और बुढेली गांव के कोमर टोला में आवागमन बाधित कर दिया है. पिछले साल की तरह इस साल भी रोहिन नदी तबाही मचाने को आतुर दिख रही है.
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नेपाल के पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश की वजह से भी पहाड़ी नदियां उफान पर हैं. यही वजह है कि मैदानी इलाके में रोहिन नदी पूरी तरह से उफान पर आ गई है. राप्ती बर्डघाट पर अभी खतरे के निशान 74.98 से 1.02 मीटर नीचे बह रही है, लेकिन लगातार चढ़ान पर है. यही हाल कुआनो का भी है. कुआनो भी मुखलिसपुर में खतरे के निशान 82.44 मीटर से तीन मीटर से भी नीचे 83.330 मीटर पर है, लेकिन वो भी लगातार चढ़ान पर है. घाघरा भी अयोध्यापुल और तुर्तीपार में लगातार बढ़ रही है.
गोरखपुर के डोमिनगढ़ से उत्तरी कोलियां गांव जाने वाले मार्ग राप्ती और रोहिन का संगम स्थल है. सड़क के उत्तर रोहिन तो वहीं दक्षिण तरफ राप्ती नदी उफान पर दिखाई दे रही है. चार से पांच दिनों में हुई बारिश से दोनों नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है. गोरखपुर के डोमिनगढ़ बंधा कहे जाने वाले इस मार्ग पर लगातार हो रही बारिश की वजह से कई जगह पर बंधे के बोल्डर के पहले और बाद में सड़क के दोनों ओर रेनकट हो गया है. रेनकट की वजह से सड़क के किनारे ही बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं. ऐसे में सड़क के कटने और दुर्घटना का भी खतरा बढ़ गया है. पूर्वानुमान की मानें, तो 24 से 48 घंटे तक मूसलाधार बारिश के अलर्ट की वजह से नदियों का जलस्तर और तेजी से बढ़ सकता है.
मिर्जापुर में बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन अलर्ट
पहाड़ी और मैदानी इलाकों में हो रही लगातार बारिश से गंगा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है. इस बीच हरिद्वार से 3.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से गंगा किनारे रह रहे लोगों के घरों तक पानी पहुंचने का डर है. हालांकि मिर्जापुर में गंगा नदी अभी बहुत नीचे बह रही है. हरिद्वार से छोड़े गए पानी को आने में एक हफ्ते लग सकते हैं. फिर भी जिला प्रशासन ने बाढ़ को देखते हुए बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी है और अधिकारियों को बाढ़ से निपटने के लिये अलर्ट कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार से छोड़ा गया पानी प्रयागराज पहुंचने पर यहां के लोगों को सतर्क करने या बाढ़ चौकियां को सक्रिय करने की स्थिति बनती है. फिलहाल गंगा बहुत नीचे बह रही है.
हरिद्वार से छोड़े गए पानी के एक हफ्ते में पहुंचने की आशंका
हरिद्वार से गंगा में 3.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. मिर्जापुर में करीब 6 से 7 दिन में पानी पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. बाढ़ से निपटने के लिए गंगा किनारे बसे सभी गांवों के मदद पहुंचाने के लिए हर वर्ष के तरह इस वर्ष भी बाढ़ चौकियां बना दी गई हैं.
दो तहसील के 493 गांव होते हैं प्रभावित
गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे बसे दो तहसील के 493 गांव प्रभावित होते हैं. बाढ़ आने से यह सभी गांव जलमग्न हो जाते हैं. गंगा के बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने 37 बाढ़ चौकियां बनाई हुई हैं. चुनार तहसील में 23 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं. वहीं 14 बाढ़ चौकिया सदर तहसील में बनाई गई है, जो बाढ़ आने पर 24 घंटे कार्य करेंगी.